Climate Change : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर की अनुसंधान परिषद की 21वीं बैठक 1 सितम्बर, 2025 को अनुसंधान निदेशालय में विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक की अध्यक्षता में आयोजित की गई.
इस अवसर पर वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए एमपीयूएटी के कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान में अग्रणी है. हमारे संस्थान ने मक्का, मूंगफली एवं अफीम की उन्नत नई किस्मों का विकास के साथसाथ गुणवत्ता अनुसंधान प्रपत्रों, वैज्ञानिकों ने साल 2023 और साल 2024 में 34 व्यक्तिगत सम्मान एवं 2 परियोजनाओं ने राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार प्राप्त करने के अलावा सतह अनेक सफलताएं हासिल की हैं.
कुलपति ने वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान कार्य को समय व हितधारक की आवश्यकतानुसार सृजित करने को कहा जिस से समाज के हर तबके जैसे कि उत्पादकों, विपणनकर्ताओं और उपभोक्ताओं को हमारे अनुसंधान का लाभ मिल सके. उन्होंने आगे कहा कि नई तकनीकियों और पेटेंट के द्वारा विश्वविद्यालय की आय के साधन बढ़ेंगे.
इस अवसर पर डा. एसके शर्मा, सहायक महानिदेशक (मानव संसाधन) भाकृअप, नई दिल्ली ने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अंतर्गत क्षेत्र के विशिष्ट कृषि उत्पादों के विकास व मूल्य संवर्धन पर विशेष प्रयास करने की आवश्यकता है जिस से क्षेत्र, उत्पाद के साथसाथ विश्वविद्यालय की ख्याति पूरे विश्व में बढ़ेगी.
साथ ही उन्होेंने कहा कि विश्वविद्यालय को अपने अनुसंधान परिणामों को अन्य समूहों के माध्यम से प्रसारित करने चाहिए जिस से उन्हें शाश्वत रूप से समाज व कृषकों के मध्य सजीव रख सके. उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालय के हर फार्म पर प्रजनक बीज का ही उत्पादन करना चाहिए जिस से विश्वविद्यालय का राजस्व बढ़ेगा.
साथ ही डा. शर्मा ने ‘विकसित भारत 2047’ को ध्यान में रखते हुए जल उपयोग क्षमता, नवीनीकरणीय ऊर्जा उपयोग क्षमता, मक्का से ईथेनोल बनाने के साथसाथ कम उपजाऊ भूमि को उपजाऊ बनाने पर जोर दिया.
डा. शर्मा को सभी वैज्ञानिकों का आह्वान किया कि पेटेंट का व्यावसायीकरण होना चाहिए जिस से विश्वविद्यालय में आय अर्जित हो सके. साथ ही उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की उन्नत तकनीकें विश्वविद्यालय की वैबसाइट पर उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि विश्व में सभी इस विश्वविद्यालय की गतिविधियों के बारे में जान सकें.
डा. उमा शंकर शर्मा, पूर्व कुलपति, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर ने कहा कि वर्तमान जलवायु परिवर्तन (Climate Change) एक प्रमुख समस्या है जो अन्य फसलों के साथसाथ उद्यानिकी फसलों, जैसे फलफूल, मत्स्यपालन, मुरगीपालन आदि को प्रभावित कर रही है. जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के लिए तापमान प्रबंधन व मृदा में कार्बन स्तर में वृद्धि जैसी बातों को ध्यान में रखना चाहिए.
जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान आकर्षण की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली मौडल अनाज फसल आधारित न हो कर उद्यानिकी फसल व पशुपालन आधारित होने चाहिए जिस से कृषकों को अधिक आय प्राप्त हो सके.
साथ ही उन्होंने फसल बोआई से ले कर मूल्य संवर्धन तक यांत्रिकीकरण की महत्ती आवश्यकता बताया. उन्होंने कहा कि समेकित प्रणाली में उद्यानिकी फसलें, विदेशी मशरूम खेती को सम्मिलित करना चाहिए और बाजार स्थिति को देखते हुए मशरूम खेती को वर्षभर करने की सलाह दी.
डॉ. शर्मा ने स्थानीय सब्जियों पर उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना पर जोर दिया. साथ ही शस्य वानिकी फसलों पर कार्य करने पर भी जोर दिया.