महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अखिल भारतीय समन्वित कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना द्वारा झाडोल तहसील के 2 गांवों तूरगढ़ एवं थाडीवेरी में SCSP प्रोजैक्ट के तहत 3 कस्टम हायरिंग सैंटर का उद्घाटन किया गया. उद्घाटन समारोह में झाडोल व फलासिया के आसपास के क्षेत्रों के लगभग 7 से 10 गांव सेमली, भामटी, देवडावास, सेमारी, बिछीवाड़ा, तूरगढ़, थाडीवेरी, पानरवा आदि की लगभग 450 महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
कार्यक्रम की अगुआई करते हुए डा. विशाखा बंसल परियोजना प्रभारी एवं इकाई समन्वयक, अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना उदयपुर केंद्र द्वारा बताया गया कि SCSP प्रोजैक्ट में पिछले 2 सालों में गांव की 571 महिला लाभार्थियों को कुलमिला कर लगभग 7 लाख की राशि के छोटेछोटे कृषि एवं पशुपालन से संबंधित उपकरण वितरित किए गए, जिन में पौधों को पानी पिलाने के लिए केन (40), फसलों से कचरा एकत्रित करने के लिए विडर (2), तिरपाल (80), दवा छांटने के स्प्रेयर पंप (25), बहु उपयोगी करात (40), अनाज भंडारण कोठियां (40), दूध की कोठियां (40), वर्मी बैड (40), दरांती (34), अजोला बैड (20), बालटियां (40) और खुरपी (20) शामिल हैं.
अखिल भारतीय कृषिरत महिला अनुसंधान परियोजना, भुवनेश्वर द्वारा संचालित उदयपुर केंद्र द्वारा पूर्व में झाडोल गांव में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के (5) सिस्टम लगवाए गए. उदयपुर के आसपास के गांवों जैसे मदार, लोयरा, ब्राह्मणों की हुन्दर, फेनियों का गुडा, थूर एवं गुडली में सोलर कुकर (20), सोलर लाइट (20), उन्नत कोठियां (100), मशरूम के 30 बैग आदि वितरित कर कई परिवार लाभान्वित हुए.
निरंतर 2 वर्ष तक ‘हर घर सब्जी हर घर पोषण अभियान’ के अंतर्गत साल में 3 बार 500 सब्जियों के पैकेट, जिस में 10 प्रकार की सब्जियां शामिल थीं, वितरित किए गए और लगभग 40 वर्मी बैड स्थापित किए गए.
कस्टम हायरिंग सैंटर महिलाओं को आत्मनिर्भर (Women Self-Reliant) बनाने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए लगभग 10 लाख कीमत की मशीनें जैसे चावल की मशीन (2), दाल बनाने की मशीन (1), सोलर ड्रायर (2), आटा चक्की (1), पशुओं के लिए कुट्टी बनाने की मशीनें (3), बगीचें में घास काटने की मशीने (2), सिलाई मशीन (40) एवं थ्रैशर (2) दोनों केंद्र पर रखवाए गए.
डा. धृति सोलंकी, अधिष्ठाता, सामुदायिक एवं व्यावहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि देश की वर्तमान परिस्थितियों एवं भारतीय सामाजिक संरचना को देखते हुए यह नितांत आवश्यक हो गया है कि महिलाएं आत्मनिर्भर (Women Self-Reliant) बनें. परिवार में पुरुष एवं महिलाएं सदियों से साथ मिल कर काम करते आ रहे हैं. अगर महिलाएं स्वरोजगार की ओर अग्रसर होंगी, तो न केवल परिवार, बल्कि राष्ट्र भी सशक्त होगा बनेगा.
डा. मृदुला देवी, निदेशक कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर द्वारा महिलाओं को स्वरोजगार में दक्षता हासिल कर के आत्मनिर्भर (Women Self-Reliant) बनाने के लिए जागरूक किया गया. महिलाओं की रुचि को देखते हुए आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम करवाए जाएंगे. महिलाओं को विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित करने से उन्हें स्वरोजगार के अवसर मिल सकते हैं. कुछ कौशल जिन में प्रशिक्षण दिया जा सकता है, जैसे सिलाई और कपड़ा डिजाइनिंग, ब्यूटी पार्लर और हेयर स्टाइलिंग, कुकिंग और बेकिंग, कंप्यूटर और आईटी कौशल एवं हस्तशिल्प और कला आदि.
डा. सुभाष मीणा ने बताया कि महिलाओं को आत्मनिर्भर (Women Self-Reliant) और स्वयं का स्वरोजगार शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान कर के व्यवसाय को शुरू करने में मदद मिल सकती है. महिलाओं को व्यावसायिक मार्गदर्शन और परामर्श प्रदान करने से उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने में मदद मिल सकती है. अपने उत्पादों और सेवाओं को बाजार में पहुंचाने और विक्रय करने में मदद करने से उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है. औनलाइन और औफलाइन दोनों तरह के बाजारों में पहुंच बनाने से महिलाओं को अपने व्यवसाय को बढ़ाने में मदद मिल सकती है.
साथ ही, यह भी बताया कि सब से अधिक महिलाओं में आत्मविश्वास और समर्थन प्रदान करने से उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक बढ़ाने में निश्चित ही सफलता प्राप्त होगी.
प्रो. राजश्री उपाध्याय ने कहा कि एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित होगा, सुदृढ़ होगा उन्होंने बताया कि कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान होने से आर्थिक विकास निश्चित रूप से होता है. कृषि के साथ अन्य विधाओं में कौशल विकास से महिलाएं जीविकोपार्जन करने में सक्षम होती हैं.
महिलाओं को आत्मनिर्भर (Women Self-Reliant) बनाने के उद्देश्य से गांव तूरगढ़ में 25 अगस्त, 2025 से 3 सितंबर, 2025 तक कृषि क्षेत्र की महिलाओं के लिए सुरक्षात्मक कपड़ों के डिजाइन और विकास पर कौशल विकास प्रशिक्षण का आयोजन भी किया गया है, जिस में 20 महिलाएं विभिन्न प्रकार के कृषि से संबंधित सुरक्षात्मक वस्त्रों का निर्माण करना सीख रही हैं.
उद्घाटन समारोह के दौरान 2 लघु पुस्तिकाओं कृषक समुदाय हेतु श्रम साध्य उपकरणों की लघु पुस्तिका- जनजाति उप परियोजना अंतर्गत, वर्ष 2025-26 एवं जन्म के 6 वर्ष (0 से 6 वर्ष)-आहार से शिक्षा तक, श्रीअन्न में चिना एवं कांगनी के स्वास्थ्यवर्धक गुण एवं व्यंजन एवं फोल्डर का विमोचन किया गया.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, कृषि विभाग, जयपुर के तहत झाडोल के स्वयंसहायता समूह के लाभार्थियों को मशरूम बैग, वर्मीकंपोस्ट एवं सिरोही प्रजाति के 3 बकरे वितरित किए गए.
कार्यक्रम को सफल बनाने एवं निरंतर सहयोग प्रदान करने हेतु गांव के सक्रिय कार्यकर्ता हीरालाल पटेल एवं नानालाल पटेल का स्वागत अभिनंदन किया गया. कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डा. विशाखा सिंह, प्राचार्य, खाद एवं पोषण विभाग द्वारा किया गया. कार्यक्रम में परियोजना की पूरी टीम डा. सुमित्रा मीणा, डा. कुसुम शर्मा, डा. वंदना जोशी, डा. स्नेहा जैन, अनुष्का तिवारी, विकास परमार और सुजल डामोर ने मिल कर सहयोग प्रदान किया.