मेरठ : श्री अन्न अर्थात मोटे अनाज का महत्व बहुत अधिक है. इसे हमें अपने भोजन में शामिल करना चाहिए, क्योंकि पौष्टिक गुणों के कारण आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस को सुपरफूड या न्यूट्री सीरियल्स के नाम से जाना जाता है. मोटे अनाज की फसलों को कम उपजाऊ भूमि पर कम मात्रा में जल उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग कर के उगाया जा सकता है.

कुलपति डा. केके सिंह ने कहा कि मोटे अनाज की खेती किसानों को कम लागत में बेहतर आमदनी प्राप्त करने का एक अच्छा स्रोत भी प्रदान करती है. मोटे अनाज पोषक और आर्थिक सुरक्षा देने के साथसाथ जलवायु सुरक्षा के लिए भी अनुकूल हैं, क्योंकि यह कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद करता है. इस में ग्लूटेनमुक्त और कम होने के कारण इस को मधुमेह से पीड़ित लोग व मोटापे की रोकथाम के लिए बेहतर विकल्प के रूप में उपयोग में लाते हैं.

उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि विश्व में मोटे अनाजों का सब से बड़ा उत्पादक हमारा देश भारत ही है. देश में मोटे अनाजों की कुल पैदावार में सब से बड़ा हिस्सा बाजरा, ज्वार और रागी का है. इन में से बाजरा और ज्वार की विश्व में कुल पैदावार का लगभग 19 फीसदी हिस्सा भारत में पैदा किया जाता है. भारत के मोटे अनाज की पैदावार वाले प्रमुख राज्यों देखा जाए, तो लगातार मोटे अनाजों की मांग बढ़ती जा रही है.

सहायक महानिदेशक बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली डा. डीके यादव ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि मोटे अनाज की खेती कब और कैसे की जाए और इस से किस प्रकार से अच्छा गुणवत्तायुक्त उत्पादन लिया जा सकता है विषय पर अपने विचार रखे.

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