Farmers First : उर्वरक विक्रेताओं को किसानों से सीधा संपर्क स्थापित कर विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाने के लिए करें प्रेरित और उन की आमदनी को बढ़ाने में निभाएं अपनी भूमिका.
किसान (Farmers) और उर्वरक विक्रेताओं का आपस में तालमेल बहुत जरूरी है, क्योंकि दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिनका साथ चलना कृषि क्षेत्र और किसानों (Farmers) के लिए अत्यंत लाभदायक है. इसीलिए विगत दिनों प्रसार शिक्षा निदेशालय, उदयपुर द्वारा 15 दिवसीय खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण आयोजित किया गया. इसमें क्या रहा ख़ास, जानिएं –
किसने क्या कहा
पूर्व निदेशक डॉ. आई. जे. माथुर, प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर मुख्य अतिथि रहे. उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि, वह पूरी लगन से अपने व्यवसाय के साथ-साथ किसानों (Farmers) को सही सुझाव देने का काम करें. उनकी हर समस्या का समाधान करने की कोशिश करें. डॉ. माथुर ने कस्टमाइज उर्वरक, संतुलित उर्वरक एवं समन्वित उर्वरक प्रबंधन के विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला और नैनो फर्टिलाइजर एवं जल में घुलनशील उर्वरकों के महत्व पर चर्चा की.
किसान हैं सर्वोपरि
डॉ. आई. जे. माथुर ने कृषि के 6 प्रमुख आयामों जैसे मिट्टी, पानी, बीज, कृषि यंत्र, वातावरण एवं किसान के बारे में बताया और कहा कि, किसान (Farmer) सर्वोपरि हैं और उनको ध्यान में रखते हुए उर्वरक विक्रेताओं को अपनी तैयारी करनी चाहिए.
निदेशक प्रसार शिक्षा, उदयपुर ने क्या कहा
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. आर. एल. सोनी, निदेशक प्रसार शिक्षा, उदयपुर ने अपने उद्बोधन में प्रशिक्षणार्थियों को सफल व्यवसाय करने की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि, विक्रेताओं को किसानों के साथ अच्छे रिश्ते, मधुर व्यवहार रखना चाहिए. साथ ही सभी प्रकार के उत्पाद सही दाम पर किसानों को उपलब्ध करवाने की सलाह दी.
आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाएं किसान
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. एम.सी. गोयल, निदेशक आवसीय निर्देशन, कृषि विश्वविद्यालय, कोटा ने इस प्रशिक्षण को प्राप्त करने के उपरांत सभी उर्वरक विक्रेताओं को कहा कि आपको, किसानों को विभिन्न प्रकार की नवीनतम एवं आधुनिक कृषि तकनीकियों को अपनाने के लिए भी प्रेरित करना चाहिए और उनकी आमदनी को बढ़ाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. साथ ही डॉ. गोयल ने 6 जे का सिद्धांत जल, जंगल, जमीन, जन, जीवन, जागरूकता की अवधारणा को विस्तृत रूप से साझा किया.
मृदा परीक्षण और जैविक खेती पर फोकस
इस प्रशिक्षण के समन्वयक एवं आचार्य डॉ. योगेश कनोजिया ने उर्वरकों के संतुलित उपयोग एवं मृदा परीक्षण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड, पोषक तत्व प्रबंधन, समन्वित पोषक तत्व के लाभ, जैविक खेती और उसके लाभ, कार्बनिक खेती आदि के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी.
प्रशिक्षण के समापन समारोह में खुदरा उर्वरक विक्रेता प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए तथा इस प्रशिक्षण में राज्य के विभिन्न जिलों के कुल 45 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया जिन्हें सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक जानकारियां विश्वविद्यालय के विभिन्न कृषि वैज्ञानिकों एवं राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा प्रदान की गईं.





