आजकल अनेक किसान खेती के पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर एकीकृत खेती प्रणाली अपना रहे हैं. इससे वे एक ही खेत से सालभर में कई प्रकार की आमदनी अर्जित कर रहे हैं — जैसे फसल उत्पादन के साथ पशुपालन, बकरीपालन, मत्स्यपालन आदि. अगर आप भी करना चाहते हैं खेती से अधिक कमाई, तो यह खास प्रणाली अपनाने के लिए पढ़े यह पूरी ख़बर –
कृषि विज्ञान केंद्र बलिया में आयोजित गोष्ठी
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के कृषि विज्ञान केंद्र, बलिया में “किसानों की आय बढ़ाने में एकीकृत कृषि प्रणाली का महत्व” विषय पर एक गोष्ठी आयोजित की गई.कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति कर्नल डॉ. बिजेंद्र सिंह ने किसानों और वैज्ञानिकों से मुलाकात की और एकीकृत खेती प्रणाली के लाभ बताए.
एकीकृत कृषि प्रणाली में क्या करें किसान
कुलपति कर्नल डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि,किसान अपनी मुख्य फसलों के साथ यह कार्य कर सकते है-
• दलहन और तिलहन की खेती
• फल एवं सब्ज़ी उत्पादन
• मशरूम उत्पादन
• केंचुआ खाद (Vermicompost) निर्माण
• पशुपालन, बकरीपालन, मछलीपालन
• मुर्गीपालन, बत्तखपालन, मौनपालन

इन सभी गतिविधियों को एक साथ अपनाकर किसान एकीकृत कृषि प्रणाली के तहत अपनी आमदनी कई गुना तक बढ़ा सकते हैं.
खेतों का सदुपयोग और फसल चक्र का महत्व
इस प्रणाली में समय और भूमि का सही उपयोग आवश्यक होता है.खेती की जमीन का समय के साथ सदुपयोग और फसल चुनाव और साथ में किए जाने वाले काम ही इस प्रणाली के खास बिंदु हैं.
• दो फसलों के बीच हरी खाद (Green Manure) उगाने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है.
• खेत में सालभर उत्पादकता बनी रहती है.
• इससे न केवल किसान की आय बढ़ती है बल्कि खेतिहर मजदूरों के लिए अतिरिक्त रोजगार भी उत्पन्न होते हैं.
दलहनी फसलों में कीट प्रबंधन के उपाय
कुलपति डॉ. सिंह ने दलहनी फसलों में जैविक और एकीकृत कीट प्रबंधन के उपाय भी बताए –
• ग्रीष्मकालीन जुताई
• फसल चक्र (Crop Rotation)
• फेरोमोन ट्रैप का उपयोग
• ट्राईकोग्रामा कार्ड
• ट्रैप क्रॉप (फसल के किनारे गेंदा लगाना)
इन उपायों से किसान कीटनाशकों पर खर्च घटा सकते हैं और फसल को सुरक्षित रख सकते हैं.
किसानों को निःशुल्क सरसों बीज वितरण
कार्यक्रम के अंत में कुलपति ने किसानों को निःशुल्क सरसों के बीज वितरित किए और उन्हें सम्मानित किया. इस अवसर पर डॉ. संजीत कुमार (वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, केवीके बलिया) ने कहा कि केंद्र किसानों के हित में भविष्य में भी लगातार काम करता रहेगा.
इस कार्यक्रम में कुलपति के सचिव डॉ. जसवंत सिंह, डॉ. सोमेंद्र नाथ शस्य वैज्ञानिक, डॉ. अनिल कुमार पाल मृदा वैज्ञानिक, डॉ. अभिषेक यादव पादप सुरक्षा वैज्ञानिक, डॉ. सतीश कुमार सिंह यादव प्रक्षेत्र प्रबंधक, धर्मेंद्र कुमार कार्यक्रम सहायक सहित क्षेत्र के अनेक किसान उपस्थित रहे.
तो किसान भाइयों, खेती में एकीकृत कृषि प्रणाली में, 2 फसलों के बीच खाली खेतों में हरी खाद उगाकर भूमि की उर्वरता एवं पर्यावरण का संरक्षण करते हुए, अपनी शुद्ध आय बढ़ाने के साथ ही, खेतिहर मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकते हैं. इसलिए यह प्रणाली अपनाएं और ज्यादा मुनाफ़ा कमाएं.





