नई दिल्ली : गरीब तबके को स्थानीय लेवल पर सस्ती कीमत पर दवाओं की उपलब्धता के लिए भारत सरकार ने देशभर में 2,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों यानी पीएसीएस को प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने का फैसला किया है.

नई दिल्ली में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख एस. मांडविया के साथ हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया.

देशभर में 2,000 पीएसीएस की प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में खोलने के लिए पहचान की जाएगी. इन में से 1,000 जन औषधि केंद्र इस साल अगस्त माह तक और 1,000 दिसंबर माह तक खोले जाएंगे.

इस महत्वपूर्ण निर्णय से पीएएससी की आय बढ़ने और रोजगार के अवसर पैदा होने के साथ ही लोगों, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को सस्ती कीमत पर दवाएं भी उपलब्ध होंगी.

बैठक में सहकारिता मंत्रालय के सचिव, रसायन एवं उर्वरक विभाग के सचिव और सहकारिता मंत्रालय व रसायन एवं उर्वरक विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे.

देशभर में अभी तक 9,400 से अधिक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं. इन में 1,800 प्रकार की दवाएं एवं 285 अन्य मैडिकल डिवाइस उपलब्ध हैं. ब्रांडेड दवाओं की तुलना में जन औषधि केंद्रों पर 50 फीसदी से 90 फीसदी तक कम कीमत पर दवाएं उपलब्ध हैं.

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने के लिए पात्रता मानदंड के तहत व्यक्तिगत आवेदकों को डी. फार्मा/बी. फार्मा होना चाहिए. इस के लिए कोई भी संगठन, एनजीओ, धर्मार्थ संगठन एवं अस्पताल आवेदन के लिए बी. फार्मा/डी. फार्मा डिगरी वालों को नियुक्त कर सकता है/प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के लिए स्वयं या किराए का कम से कम 120 वर्ग फुट स्थान होना चाहिए. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के लिए आवेदन शुल्क 5,000 रुपए है. महिला उद्यमी, दिव्यांग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और भूतपूर्व सैनिक विशेष श्रेणी में आते हैं.

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