Seminar : 24 जून, 2025 को लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), हिसार द्वारा वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस संगोष्ठी का विषय “पशु चिकित्सा विज्ञान का भविष्य: प्रवृत्तियां, नवाचार और उत्तर अमेरिका का दृष्टिकोण” था.

यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के परामर्श एवं प्लेसमैंट प्रकोष्ठ द्वारा कुलपति प्रोफैसर डा. नरेश कुमार जिंदल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और शिक्षकों को पशु चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नवीन अनुसंधानों, तकनीकों और कैरियर के अवसरों से अवगत कराना था.

संगोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफैसर डा. पवनीश मदान थे, जो कनाडा स्थित औन्टेरियो वेटेरिनरी कालेज (गुएल्फ विश्वविद्यालय) के बायो मेडिकल साइंस विभाग से हैं. वे पशु प्रजनन जीव विज्ञान और ट्रांसलेशनल रिसर्च में अग्रणी माने जाते हैं.

डा. पवनीश मदान ने अपने ने पशु चिकित्सा विज्ञान के भविष्य को आकार देने वाली उभरती तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने बताया कि आने वाले सालों में यह क्षेत्र अनेक क्रांतिकारी परिवर्तनों से गुजरेगा, जिन में प्रमुख हैं पुनरुत्पादक उपचार (जैसे स्टेम सेल थैरेपी), जो क्षतिग्रस्त ऊतकों के पुनर्निर्माण में सहायक है; सटीक पशु चिकित्सा देखभाल, जिस में प्रत्येक पशु की जैविक विशेषताओं के अनुसार व्यक्तिगत इलाज सुनिश्चित किया जाता है और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जो निदान से ले कर उपचार निर्णयों तक की प्रक्रिया को अधिक तेज, सटीक और प्रभावी बनाती है. उन्होंने इन तकनीकों के व्यावहारिक अनुप्रयोगों को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करते हुए यह संदेश दिया कि पशु चिकित्सा क्षेत्र एक नई वैज्ञानिक दिशा की ओर बढ़ है.

उन्होंने छात्रों को उत्तर अमेरिका में उच्च शिक्षा, रिसर्च फैलोशिप, इंटर्नशिप और कैरियर के विकल्पों की जानकारी भी दी और उन्हें बताया कि एक वैश्विक दृष्टिकोण अपना कर वे अपने कैरियर को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं.

इस कार्यक्रम का आयोजन छात्र कल्याण निदेशक डा. सज्जन सिहाग के पर्यवेक्षण में किया गया, जबकि संचालन और समन्वय की जिम्मेदारी डा. तरुण कुमार (संयोजक, परामर्श एवं प्लेसमैंट प्रकोष्ठ) ने निभाई. पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. गुलशन नारंग भी कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे और उन्होंने छात्रों को इस तरह के कार्यक्रमों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया.

इस संगोष्ठी में विश्वविद्यालय के इंटर्नशिप कर रहे छात्र, स्नातकोत्तर छात्र, रिसर्च स्कौलर्स और फैकल्टी मेंबर्स ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. कार्यक्रम के अंत में एक सवालजवाब और संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिस में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अंतर्राष्ट्रीय शोध सहयोग, नई तकनीकों का अनुप्रयोग और विदेशों में उच्च अध्ययन के अवसरों को ले कर अपने सवाल रखे और विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त किया.

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