सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मशरूम अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र पर मशरूम निदेशालय, सोलन के निर्देश पर अनुसूचित जाति उपयोजना के अंतर्गत युवाओं और किसानों के लिए तीनदिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम किया गया.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वित्त नियंत्रक लक्ष्मी मिश्रा ने कहा कि मशरूम हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी खाद्य पदार्थ है. मशरूम खाने से शरीर की इम्युनिटी बढ़ती है, जिस से मानव जीवन स्वस्थ रह सकता है.

उन्होंने ने आगे कहा कि मशरूम में प्रोटीन के अलावा विभिन्न प्रकार के विटामिन और खनिज लवण मौजूद होते हैं, जिस के कारण इस को इम्यूनिटी बूस्टर भी कहा जाता है.

निर्देशक ट्रेनिंग एवं प्लेसमेंट प्रो. आरएस सेंगर ने कहा कि मशरूम एक प्रकार का सुपरफूड है, इस को खाने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है. साथ ही, भरपूर मात्रा में खनिज लवण भी उपलब्ध हो जाते हैं. अब देश में बायोफोर्टीफाइड मशरूम भी आने लगा है, जिस की मांग धीरेधीरे बढ़ रही है.

विभागाध्यक्ष प्रो. कमल खिलाड़ी ने कहा कि मशरूम को उगने से किसानों को रोजगार मिलता है और कम क्षेत्रफल में मशरूम की खेती प्रारंभ की जा सकती है. इस के लिए अधिक संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए किसान इस क्षेत्र में आगे आ कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं.

प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक प्रो. गोपाल सिंह ने बताया कि मशरूम खाद्य एवं औषधि प्रजातियों के उत्पादन तकनीकी का प्रशिक्षण कार्यक्रम कराया गया, जिस से पश्चिम उत्तर प्रदेश के युवा मशरूम उत्पादन का काम कर सके और उन को स्वरोजगार मिल सके.

डा. गोपाल सिंह ने आगे कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत 50 युवा एवं किसानों ने पंजीकरण कराया और मशरूम उत्पादन की तकनीकी के बारे में प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रो. अनिल सिरोही, प्रो. रामजी सिंह, प्रो. रमेश यादव, प्रो. प्रशांत मिश्रा, प्रो. डीबी सिंह, प्रो. राजेंद्र कुमार आदि ने भी व्याख्यान दिए और मशरूम की उपयोगिता और उस के उत्पादन तकनीक के बारे में जानकारी दी.

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