बस्ती: कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती पर ‘विश्व मृदा दिवस’ मनाया गया. इस अवसर पर डा. वीबी सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, ‘विश्व मृदा दिवस 2023’ का विषय ‘‘मिट्टी और पानी जीवन का एक स्रोत‘‘ है, जिस का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य की जागरूकता बढ़ाने और समाज को प्रोत्साहित कर के स्वस्थ परिस्थिति की तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्व के बारे में मृदा जागरूकता बढ़ाना व मिट्टी की सेहत में सुधार करना है.

केंद्र के वैज्ञानिक डा. प्रेम शंकर ने पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में बताते हुए कहा कि पराली जलाने से मिट्टी में उपलब्ध लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं, जिस से हमारा उत्पादन घट जाता है. वहीं केंद्र के वैज्ञानिक हरिओम मिश्र ने बताया कि लगातार बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने व अधिक उत्पादन लेने के लिए अंधाधुंध कृषि रसायनों का प्रयोग करना है और उर्वरकों के प्रयोग से हमारी मिट्टी की सेहत दिनोंदिन खराब होती चली जा रही है. नतीजतन, आने वाले समय में हमारी मिट्टी बंजर होने की कगार पर है.

उन्होंने कहा कि हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि अपनी मिट्टी को बिगड़ने से बचाएं और हमें मिट्टी की सेहत के प्रति ध्यान देते हुए धीरेधीरे रासायनिक उर्वरकों का विकल्प जैसे हरी खाद, गोबर की खाद, वर्मी कंपोस्ट व जैविक खाद का प्रयोग करने और साथ ही साथ प्राकृतिक खेती को भी बढ़ाना होगा, तभी हमारी मिट्टी की सेहत बेहतर हो सकती है. वैज्ञानिक डा. अंजलि वर्मा ने पराली के घरेलू उपयोग के बारे में बताया. इस अवसर पर जितेंद्र प्रताप शुक्ला, अहमद अली आदि उपस्थित रहे.

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