एफसीआई को गेहूं और चावल की ई-नीलामी करने का दिया निर्देश

नई दिल्ली : भारतीय खाद्य निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अशोक केके मीना ने कहा कि सरकार ने गेहूं और चावल की कीमत को नियंत्रित करने के क्रम में बाजार हस्तक्षेप के एक हिस्से के रूप में मौजूदा खुदरा कीमतों में मुद्रास्फीति-रुझान को रोकने के लिए एफसीआई को गेहूं और चावल की ई-नीलामी करने का निर्देश दिया है. गेहूं का आधार मूल्य, एफएक्यू के लिए 2150 रुपए प्रति क्विंटल और यूआरएस गेहूं के लिए 2125 रुपए प्रति क्विंटल पर यथावत रखा गया है.

गेहूं की जमाखोरी को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि नीलामी में भाग लेने के लिए गेहूं स्टाक निगरानी प्रणाली के पोर्टल पर घोषणा करना अनिवार्य है. इस के अलावा वास्तविक प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों की पहचान के उद्देश्य से भाग लेने के लिए एफएसएसएआई लाइसेंस अनिवार्य कर दिया गया है.

इस ई-नीलामी में खरीदार अधिकतम 100 मीट्रिक टन तक के लिए बोली लगा सकते हैं. गेहूं के छोटे प्रसंस्करणकर्ताओं और व्यापारियों को समायोजित करने के लिए न्यूनतम मात्रा 10 मीट्रिक टन रखी गई है. इस के अलावा गेहूं के छोटे और सीमांत व्यापारियों और प्रसंस्करणकर्ताओं को समायोजित करने के लिए ई-नीलामी में भाग लेने के ईएमडी को भी पूर्व स्तर से 50 फीसदी कम कर दिया गया है.

बोली स्थानीय खरीदारों के लिए सीमित रखी गई है, इसे स्टाक जारी होने से पहले राज्य के जीएसटी पंजीकरण की मैपिंग और जांच के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा. ये उपाय किसी राज्य विशेष में पेश किए गए स्टाक के संदर्भ में व्यापक स्थानीय पहुंच सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं.

पहली ई-नीलामी के तहत, देशभर के 457 डिपो से 4 एलएमटी गेहूं की पेशकश की जा रही है. 1 अप्रैल,2023 के बाद 271 खरीदारों का नया पैनल बनाया गया है. अभी तक सक्रिय सूचीबद्ध बोलीदाताओं की संख्या 2093 है.

खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के तहत चावल की ई-नीलामी 5 जुलाई, 2023 से शुरू होगी. चावल का आधार मूल्य 3,100 रुपए प्रति क्विंटल है.

एफसीआई द्वारा 15 मार्च, 2023 तक गेहूं की 6 साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित की जा चुकी हैं. 45 दिनों की अवधि में इस व्यापक हस्तक्षेप के कारण कुल 33.7 एलएमटी गेहूं बाजार में पहुंचा, जिस से गेहूं की कीमतों में 19 फीसदी की कमी आई. गेहूं की रबी खरीद अवधि के कारण बाजार हस्तक्षेप निलंबित कर दिया गया था.

मात्स्यिकी महाविद्यालय में छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन

उदयपुर : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगठक, मात्स्यिकी महाविद्यालय में छात्रसंघ कार्यालय का उद्घाटन मुख्य अतिथि डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी ने एवं कालेज के डीन डा. बीके शर्मा एवं छात्र प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया.

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश सचिव एनएसयूआई, सत्येंद्र यादव, छात्रसंघ अध्यक्ष, एमपीयूएटी, महासचिव मनीष बुनकर, रिसर्च रिप्रेजेंटेटिव मनोज मीणा, दीपेंद्र सिंह, अध्यक्ष, आरसीए, प्रदीप मेहरा महासचिव, सीसीएएस, एवं अन्य महाविद्यालयों के अनेक छात्रछात्राएं उपस्थित थे.

महाविद्यालय के पूर्व अधिष्ठाता डा. सुबोध शर्मा एवं प्रशासनिक अधिकारी डा. एमएल ओझा एवं कालेज के सभी अध्यापक और स्टाफ सदस्य उपस्थित थे.

छात्रसंघ कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर महाविद्यालय के निर्विरोध चुने गए महासचिव जयराम जाट एवं संयुक्त सचिव सौरभ मीणा को आपसी सहयोग व भाईचारे की मिसाल कायम करने पर बधाई दी.

इस अवसर पर कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने विद्यार्थियों को मात्स्यिकी सेवाओं और उच्च अध्ययन में उज्ज्वल भविष्य के बारे में बताते हुए अपने स्वयं के, प्रदेश के और राष्ट्र के निर्माण में जुट जाने का आह्वान किया. उन्होंने राज्य के एकमात्र महाविद्यालय के विकास एवं यहां फैकल्टी लाने का आश्वासन भी दिया. साथ ही, उन्होंने महाविद्यालय के दो विद्यार्थियों का आईसीएआर की राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना में संस्थागत विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चयन होने एवं उन्हें उच्चस्तरीय मात्स्यिकी संस्थान में थाईलैंड में प्रशिक्षण के लिए भेजने के लिए अधिष्ठाता को बधाई दी.

मात्स्यिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. बीके शर्मा ने छात्रसंघ के पदाधिकारियों को महाविद्यालय के विकास में सक्रिय भूमिका निभाने, शिक्षण सुविधाओं का लाभ उठाने एवं लक्ष्य निर्धारित कर उसे प्राप्त करने में अपनी पूरी शक्ति से जुट जाने का आह्वान किया.

फेस औथेंटिकेशन फीचर वाला पीएम किसान मोबाइल एप लौंच

नई दिल्ली : 22 जून 2023. केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी व किसानों को आय सहायता के लिए लोकप्रिय योजना “प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि” के अंतर्गत फेस औथेंटिकेशन फीचर का पीएम किसान मोबाइल एप केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लौंच किया.

आधुनिक टैक्नोलौजी के बेहतरीन उदाहरण इस एप से फेस औथेंटिकेशन फीचर का उपयोग कर किसान दूरदराज, घर बैठे भी आसानी से बिना ओटीपी या फिंगरप्रिंट के ही फेस स्कैनर के जरीए ईकेवाईसी पूरा कर सकता है और सौ अन्य किसानों को भी उन के घर पर ईकेवाईसी करने में मदद कर सकता है. भारत सरकार ने ईकेवाईसी को अनिवार्य रूप से पूरा करने की आवश्यकता समझते हुए किसानों का ईकेवाईसी करने की क्षमता को राज्य सरकारों के अधिकारियों तक भी बढ़ाया है, जिस से हरेक अधिकारी 500 किसानों के लिए ईकेवाईसी प्रक्रिया को पूरा कर सकता है.

कृषि भवन, नई दिल्ली में आयोजित इस समारोह से देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों में उपस्थित हजारों किसानों के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों के अधिकारी और विभिन्न सरकारी एजेंसियों एवं कृषि संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में वर्चुअल जुड़े थे.

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि भारत सरकार की बहुत ही व्यापक एवं महत्वाकांक्षी योजना है, जिस के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों ने काफी परिश्रमपूर्वक अपनी भूमिका का निर्वहन किया है, इसी का परिणाम है कि लगभग साढ़े 8 करोड़ किसानों को केवाईसी के बाद हम योजना की किस्त देने की स्थिति में आ गए हैं. यह प्लेटफार्म जितना परिमार्जित होगा, वह पीएम किसान के काम तो आएगा ही, और किसानों को कभी भी कोई लाभ देना हो, तब भी केंद्र व राज्य सरकारों के पास पूरा डेटा उपलब्ध होगा, जिस से कोई परेशानी खड़ी नहीं हो सकेगी.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पीएम किसान एक अभिनव योजना है, जिस का लाभ बिना किसी बिचौलियों के केंद्र सरकार किसानों को दे पा रही है. आज इतनी बड़ी संख्या में किसानों को टैक्नोलौजी की मदद से ही लाभ देना संभव हो पाया है. इस पूरी योजना के क्रियान्वयन पर कोई प्रश्न खड़ा नहीं कर सकता है, जो बड़ी महत्वपूर्ण उपलब्धि है. भारत सरकार ने टैक्नोलौजी का उपयोग कर के यह जो एप बनाया है, उस से काम काफी आसान हो गया है. भारत सरकार ने सभी आवश्यक सुविधाएं राज्यों को उपलब्ध करा दी हैं, अब राज्य ज्यादा तेजी से काम करेंगे, तो सभी हितग्राहियों तक हम पहुंच जाएंगे और निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार यह आग्रह करते रहे हैं कि योजना के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध है तो हम सेचुरेशन पर पहुंचे. उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में इस दिशा में काम चल रहा है, जिसे शीघ्र पूरा करने पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में सभी पात्र किसानों को योजना की 14वीं किस्त मिल सकेगी. उन्होंने यह भी अनुरोध किया कि इस संबंध में सभी राज्य सरकारें प्रवृत्त हों.

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि टैक्नोलौजी से कृषि क्षेत्र को लाभ हो रहा है और इस एप की नई सुविधा से भी किसानों को काफी सहूलियत होगी.

केंद्रीय कृषि सचिव मनोज अहूजा ने भी अपने विचार रखे. अतिरिक्त सचिव प्रमोद कुमार मेहरदा ने एप की विशेषताएं बताईं. कार्यक्रम का संचालन विभागीय सलाहकार मनोज कुमार गुप्ता ने किया.

इस अवसर पर कुछ राज्य सरकारों के अधिकारियों ने योजना व एप के लाभ से संबंधित अपने अनुभव भी साझा किए. युवाओं के जरीए भी एप से अधिकाधिक किसानों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा और निर्धारित मापदंडों के आधार पर इस में सहायक युवाओं को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्टिफिकेट दिया जाएगा.

पीएम किसान दुनिया की सब से बड़ी डीबीटी योजनाओं में से एक है, जिस में किसानों को आधारकार्ड से जुड़े बैंक खातों में 6 हजार रुपए सालाना राशि, 3 किस्तों में सीधे हस्तांतरित की जाती है. 2.42 लाख करोड़ रुपए, 11 करोड़ से ज्यादा किसानों के खातों में शिफ्ट किए जा चुके हैं, जिन में 3 करोड़ से अधिक महिलाएं हैं. कोविड के समय लौकडाउन के दौरान भी किसानों के लिए पीएम किसान योजना एक मजबूत साथी साबित हुई थी. योजना ने किसानों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान कर आवश्यक सुविधाओं को सुनिश्चित किया व कठिन समय में आत्मविश्वास प्रदान किया है. अब पीएम किसान पोर्टल पर आधार सत्यापन व बैंक खाता विवरण अपडेशन से संबंधित कठिनाइयों का डिजिटल पब्लिक गुड्स के प्रभावी उपयोग से समाधान हो गया.

पहली बार देखा गया है कि 8.1 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम किसान की 13वीं किस्त का भुगतान सीधे उन के आधारकार्ड से जुड़े बैंक खातों में केवल आधार इनेबल्ड पेमेंट के जरीए सफलतापूर्वक किया गया, जो अपनेआप में एक कीर्तिमान है. नया एप उपयोग में बहुत सरल है, गूगल प्ले स्टोर पर आसानी से डाउनलोड हेतु उपलब्ध है. एप किसानों को योजना व पीएम किसान खातों से संबंधित बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी भी प्रदान करेगा. इस में नो यूअर स्टेटस मौड्यूल उपयोग कर किसान लैंडसीडिंग, आधारकार्ड को बैंक खातों से जोड़ने व ईकेवाईसी का स्टेटस जान सकते हैं.

विभाग ने लाभार्थियों के लिए उन के दरवाजे पर आधारकार्ड से जुड़े बैंक खाते खोलने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) को भी शामिल किया है और सीएससी को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की मदद से ग्रामस्तरीय ईकेवाईसी शिविर आयोजित करने को कहा.

आम के फलों पर कीट नियंत्रण के उपायों को ले कर कार्यशाला का आयोजन

मुंबई : एशिया पैसिफिक प्लांट प्रोटेक्शन कमीशन ने भारत को नवंबर, 2022 के दौरान बैंकौक में आयोजित एशिया और पैसिफिक प्लांट प्रोटेक्शन कमीशन (एपीपीपीसी) के 32वें सत्र के दौरान 2023-24 के लिए कीट नियंत्रण उपायों को ले कर (आईपीएम) सर्वसम्मति से स्थायी समिति के द्विवार्षिक अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. आम के फलों पर कीट नियंत्रण उपायों के प्रबंधन के लिए सिस्टम दृष्टिकोण पर कार्यशाला का आयोजन एपीपीपीसी और कृषि मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 19 जून से 23 जून, 2023 तक वाशी, नवी मुंबई में किया जा रहा है.

भारत सरकार की कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने आशीष कुमार श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (पीपी), कृषि और किसान कल्याण विभाग, डा. युबकधोज जीसी, कार्यकारी सचिव, एपीपीपीसी सचिवालय, डा. एसएन सुशील, निदेशक, आईसीएआर-एनबीएआईआर, एमओए एंड एफडब्ल्यू और डा. जेपी सिंह, पीपीए, डीपीपीक्यूएस की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया.

उद्घाटन भाषण में शोभा करंदलाजे ने विश्वभर में बाजार उपलब्ध कराने के लिए कीटनाशक और अवशेषमुक्त फलों और सब्जियों के उत्पादन पर जोर दिया है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके.

उन्होंने कामना की कि कार्यशाला से मिलने वाले लाभ वसुधैव कुटुंबकम के भारत के आदर्श वाक्य का प्रसार करेंगे.

उन्होंने आगे कृषि निर्यात/व्यापार, किए जाने वाले उपायों और निर्यात प्रोत्साहन के लिए मिल कर काम करने की आवश्यकता पर बल दिया.

संयुक्त सचिव (पीपी) आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय पादप संरक्षण सम्मेलन (आईपीपीसी), एपीपीपीसी और जिंसों के सुरक्षित ट्रांसबाउंड्री मूवमेंट के लिए फाइटोसैनेटरी मिटिगेशन में उन की भूमिका के बारे में जानकारी दी है.

इतना ही नहीं, उन्होंने भारत में आम के लिए सिस्टम के कार्यान्वयन पर अपने अनुभव साझा किए. इस सिलसिले में उन्होंने कृषि पंजीकरण/राज्य कृषि विभाग के साथ बाग पंजीकरण, किसान स्तर पर एकीकृत कीट प्रबंधन के आवेदन, कीट की नियमित निगरानी और कीट के समय पर प्रबंधन द्वारा सभी महत्वपूर्ण कृषि वस्तुओं के लिए सिस्टम दृष्टिकोण के विकास पर जोर दिया, जिस से सभी किसान यहां तक कि छोटे और सीमांत किसान भी निर्यात गुणवत्ता वाली उपज का उत्पादन कर सकें और कड़े उपचार से बचा जा सके.

आईसीएआर-एनबीएआईआर के निदेशक डा. एसएन सुशील ने पादप स्वच्छता उपायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक के अनुरूप भारत में सिस्टम दृष्टिकोण के सफल कार्यान्वयन की जानकारी दी और विशेष रूप से ग्रेपनेट के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त सिस्टम दृष्टिकोण को याद किया.

डीपीपीक्यू एंड एस के पौध संरक्षण सलाहकार और एपीपीपीसी-आईपीएम की स्थायी समिति के अध्यक्ष डा. जेपी सिंह ने अपने स्वागत भाषण में किसानों के पंजीकरण, किसानों द्वारा अच्छी कृषि पद्धतियों को अपनाने, कीट निगरानी और फाइटोसैनेटरी के माध्यम से भारत में सिस्टम और कीटनाशकमुक्त वैश्विक व्यापार के लिए उपचार के कार्यान्वयन की यात्रा साझा की.

एपीपीपीसी सचिवालय के कार्यकारी सचिव डा. युबकधोज ने कहा कि यह क्षमता विकास कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उत्पाद के सीमापारीय आवागमन के दौरान फ्रूटफ्लाई के प्रबंधन के लिए व्यावहारिक उपाय प्रदान करेगा.

एपीडा के निदेशक तरुण बजाज, कृषि के निर्यात में एपीडा (एपीईडीए) की भूमिका और भारत द्वारा लगभग 60 मिलियन डालर के ताजा आम का निर्यात करने की व्याख्या की.

बंगलादेश, इंडोनेशिया, लाओ, मलेशिया, नेपाल, फिलीपींस, समोआ, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम, भूटान के प्रतिभागियों ने कार्यशाला में प्रत्यक्ष रूप से और शेष देशों ने वर्चुअल रूप से भाग लिया. इस के अलावा, डीपीपीक्यूएस, फरीदाबाद, एपीईडीए, एमएसएएमबी के अधिकारियों और गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश के राज्य के बागबानी विभाग के अधिकारियों ने कार्यशाला में हिस्सा लिया.

5 दिनों की कार्यशाला के दौरान आम के फलों पर कीट नियंत्रण उपायों के लिए सिस्टम के दृष्टिकोण पर विचारविमर्श, सभी प्रासंगिक आईएसपीएम की समीक्षा, आम कीट के लिए प्रीहार्वेस्ट इंटीग्रेटेड प्लांट हेल्थ मैनेजमेंट और एनपीपीओ केस स्टडी पर चर्चा की जाएगी और उक्त कार्यशाला में उपचार सुविधा और आम के बगीचे का दौरा भी किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग में कस्टम हायरिंग सेंटर

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले कुछ साल में देश की तसवीर बदलने और देश के हर नागरिक के मन में एक नया विश्वास पैदा करने का काम हुआ है. यह हमारे लिए गौरव की बात है. वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है. भारत की भीतरी व बाहरी सुरक्षा मजबूत हुई है. देश में हाईवे, रेलवे, एयरपोर्ट और वाटरवे के बनने से इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमैंट की नई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का काम हुआ है. हर गरीब के जीवन में बदलाव के लिए बिना भेदभाव के ईमानदारी के साथ उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिया गया है.

योगी आदित्यनाथ ने कृषि विभाग के अंतर्गत कस्टम हायरिंग सैंटर की स्थापना हेतु ट्रैक्टर व कृषि यंत्र को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया और कार्यक्रम स्थल पर विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टौलों को भी देखा.

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज जिन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है, इन में सड़क, पंचायती राज से जुड़े हुए ग्राम सचिवालय के निर्माण, हर घर नल आदि से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री के हाथों से यहां के किसानों को ट्रैक्टर भी उपलब्ध कराए गए हैं. हर घर नल की योजना के माध्यम से शुद्ध पेयजल का लाभ नागरिकों को प्रदान किया जा रहा है. अगले एक साल में जनपद अंबेडकरनगर में भी हर घर नल की योजना हकीकत बन जाएगी. हर घर तक शुद्ध आरओ का पानी पहुंचाया जाएगा. अंबेडकरनगर में भी उद्योग लग रहे हैं.

इस कार्यक्रम को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी संबोधित किया.

इस अवसर पर खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरीश चंद्र यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा शासनप्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

श्रीअन्न को देशदुनिया में बढ़ावा देने का नेतृत्व कर रहा है भारत – नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री

हैदराबाद/नई दिल्ली : 15 जून, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की हैदराबाद में जी-20 की मीटिंग के दौरान वियतनाम, ओमान व कनाडा के मंत्रियों और खाद्य व कृषि संगठन यानी एफएओ एवं इंटरनेशनल फंड फार एग्रीकल्चर डेवलपमेंट यानी आईएफएडी से द्विपक्षीय बैठकें हुईं.

इस दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि जी-20 की अध्यक्षता के साथ भारत अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 के हिस्से के रूप में देशदुनिया में श्रीअन्न को बढ़ावा देने का नेतृत्व भी कर रहा है.

उन्होंने जी-20 की अध्यक्षता के तहत “अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स व अन्य प्राचीन अनाज अनुसंधान पहल (महर्षि)” का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि यह पहल अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के तहत किए संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों की गति तेज करेगी. महर्षि, श्रीअन्न व जलवायु-सह्य एवं पौष्टिक अनाज पर अनुसंधान में सहयोग प्रदान करेगा.

वियतनाम के कृषि मंत्री ले मिन्ह होन के साथ बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत के पास कृषि पर संयुक्त कार्य समूह के रूप में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग के लिए सुस्थापित संस्थागत व्यवस्था है. दोनों देशों के बीच सुचारु संबंध चले आ रहे हैं और वर्ष 2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को ‘व्यापक कार्यनीतिक साझेदारी’ के रूप में आगे बढ़ाया गया था.

उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश राजनयिक संबंधों की स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ “आजादी का अमृत महोत्सव” के साथ मेल खाता है.

ओमान के कृषि मंत्री डा. सऊद हामूद अल-हब्सी के साथ बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत व ओमान के बीच काफी पुराने व ऐतिहासिक संबंध हैं, जो समय के साथ सुदृढ़ हुए हैं. भारत सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जहां हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं. दोनों देशों में कृषि उत्पादकता व स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त पहल, अनुसंधान परियोजनाओं, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के अवसरों का पता लगाना चाहिए और उन्नत सिंचाई तकनीकों, जल संरक्षण विधियों और नवीन तकनीकों सहित सटीक जल उपयोग के लिए सफल रणनीति तैयार करने में सहयोग करना चाहिए. ओमान व भारत दोनों को लाभान्वित करते हुए पशुधन, फलसब्जियों, प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों जैसी कृषि वस्तुओं के लिए बाजार पहुंच बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने सहित कृषि अवसंरचना में निवेश के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करने की बात भी उन्होंने कही.

कनाडा की मंत्री मैरी क्लाउड बिब्यू के साथ बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दीर्घकालिक व मैत्रीपूर्ण संबंधों को हम महत्व देते हैं, जो लोकतंत्र, विस्तारित आर्थिक जुड़ाव, नियमित उच्चस्तरीय चर्चा व लोगों के बीच दीर्घकालिक संबंधों के साझा मूल्यों द्वारा चिन्हित हैं. आर्थिक संबंध भी लगातार बढ़ रहे हैं. कनाडा में विशाल कृषि उत्पादन व कृषि प्रौद्योगिकी उन्नति है, जो भारत के साथ सहयोग की संभावना प्रदान करते हैं. दोनों पक्ष समयसमय पर कृषि व कृषि-प्रौद्योगिकी साझेदारी पर और तकनीकी बैठकों के माध्यम से बाजार पहुंच के मुद्दों को हल करने के लिए विचारविमर्श कर रहे हैं.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भारत से बेबीकौर्न, मक्का व केले के लिए बाजार पहुंच प्रदान करने के लिए कनाडा को धन्यवाद दिया, साथ ही कहा कि भारत घरेलू के साथ ही वैश्विक स्तर पर भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.

खाद्य व कृषि संगठन यानी एफएओ के महानिदेशक क्यू डोंग्यू के साथ बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में वर्ष 1948 में अपना काम शुरू करने के बाद से भारत की एफएओ के साथ लंबी व मूल्यवान साझेदारी रही है. जलवायु परिवर्तन के उभरते प्रभाव व कीटों के नए प्रकारों के प्रकोप के साथ एफएओ का काम और भी जटिल हो गया है, जिस से यह पूर्व सूचित निर्णय लेने में देश की सहायता करने वाला एक महत्वपूर्ण ज्ञान भागीदार बन गया है. भारत एफएओ के काम को और अधिक मूल्‍यवान बनाता है, अन्य देशों को तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करता है, साथ ही विकास अनुभवों के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में भी काम करता है. भारत अभीष्‍ट परिणाम प्राप्त करने के लिए एफएओ के साथ मिल कर काम करना जारी रखेगा और खाद्य सुरक्षा व सतत कृषि को प्राप्त करने के साझा लक्ष्य की दिशा में काम करेगा.
इंटरनेशनल फंड फार एग्रीकल्चर डेवलपमेंट यानी आईएफएडी के अध्यक्ष अल्वारो लारियो के साथ चर्चा में नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत, आईएफएडी के साथ सहयोग करने के लिए अपने केंद्रित कार्यनीतिक उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है, जो सुनिश्चित करता है कि छोटे किसानों की उपज, कृषि उत्पादन प्रणालियां लाभकारी, सतत व अनुकूल हों.

बायर कारगिल की साझेदारी : छोटे किसानों को फायदा

नई दिल्ली : 12 जून, 2023. देश के कम जोत वाले किसानों के लिए यह काम की खबर है. भारतीय कंपनी बायर ने हाल ही में घोषणा की है कि छोटे किसानों को शक्तिशाली बनाने के लिए उस ने अमेरिकी फूड कंपनी कारगिल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इस समझौते के तहत बड़े पैमाने पर छोटे किसानों को बाजार की मौजूदा कीमतों, मौसम के पूर्वानुमान और फसल कटाई से पहले की स्थितियों के बारे में सहायता प्रदान की जाएगी. ये सभी काम डिजिटली के जरीए किया जाएगा.

कंपनी ने कहा, ‘‘बायर और कारगिल के बीच यह साझेदारी अगले 5 साल के भीतर पूरे भारत में 30 लाख किसानों से जुड़ने का प्रयास करेगी. शुरुआत में यह साझेदारी कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लागू की जाएगी और बाद में अन्य क्षेत्रों में इस का विस्तार किया जाएगा.

मिलेंगे फायदे : बायर के ‘डिजिटल साथी’ एप के माध्यम से उन किसानों की समस्या का समाधान होगा, जो कर्नाटक में मकई की खेती करते हैं. बाद में अन्य फसलों और क्षेत्रों में विस्तारित होगा. इस के अतिरिक्त कारगिल का ‘डिजिटल साथी’ प्लेटफार्म सुनिश्चित करता है कि किसानों की उच्च गुणवत्ता वाली फसल आदानों तक पहुंच में सुधार हो और डिजिटल रूप से सक्षम बाजार के माध्यम से किसानों और एग्रीगेटर्स के बीच बाजार संपर्क की सुविधा हो.

बायर ने अपने बयान में कहा कि कारगिल के ‘डिजिटल साथी’ एप स्थानीय जरूरतों के अनुसार तैयार किए गए हैं. (एआई)-संचालित सेवा मंच और बायर के बेहतर जीवन कृषि केंद्र, जो 5,00,000 से अधिक छोटे किसानों का समर्थन करते हैं.

मछुआरों का उत्थान, उन का आर्थिक और सामाजिक विकास यात्रा का प्रमुख मिशन: परशोत्तम रूपाला

भारत के दक्षिणी तटीय राज्य केरल में 590 किलोमीटर की विस्तृत तटरेखा है. देश में मछली उत्पादन में केरल का अहम योगदान है. केरल, समुद्री मत्स्यपालन के अतिरिक्त, अंतर्देशीय मछली पकड़ने की गतिविधियों के लिए भी लोकप्रिय है. सागर परिक्रमा यात्रा सातवां चरण, जो 8 जून 2023 से मडक्करा, केरल से शुरू हुआ और पल्लीकारा, बेकल, कन्हांगडु, कासरगोड जैसे स्थानों से हो कर गुजरा, 9, जून, 2023 को माहे (पुड्डुचेरी), कोझिकोड जिले से होता हुआ 10 जून को केरल के त्रिशूर जिले में पहुंचा और कोचीन और त्रिवेंद्रम होते हुए केरल के पूरे तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ेगा.

केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री पुरुशोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री, डा. एल. मुरुगन, मत्स्यपालन मंत्री केरल सरकार, साजी चेरियान की उपस्थिति में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, अभिलक्ष लिखी, ओएसडी (मत्स्य), भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केएस श्रीनिवास, प्रमुख सचिव (मत्स्य), केरल सरकार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड डा. सुवर्ण चंद्रपरागरी और अन्य सरकारी अधिकारी त्रिशूर के नत्तिका में एसएन सभागार आए और इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई.

सागर परिक्रमा के तीसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत त्रिशूर के नत्तिका में परशोत्तम रूपाला और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के गर्मजोशी से स्वागत के साथ हुई.

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. सुवर्णा चंद्रपरागरी ने सभी मेहमानों का परिचय दिया. उन्होंने केरल में सागर परिक्रमा के सातवें चरण की यात्रा पर प्रकाश डाला.

इस कार्यक्रम में उपस्थित मछुआरे इस दौरान काफी खुश नजर आए. वे यात्रा के प्रभाव और महत्व से परिचित हुए जो उन के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगा.

इस दौरान विभिन्न योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) आदि के संबंध में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई.

मंत्री पुरुशोत्तम रूपाला ने अपने संबोधन में कहा कि मछुआरों का उत्थान, उन की आवश्यकताओं को समझ कर उन का आर्थिक और सामाजिक विकास इस यात्रा का प्रमुख मिशन है.

इस दौरान यह भी बताया गया कि तटीय राज्यों के दौरे का उद्देश्य मत्स्यपालन क्षेत्र में काम कर रहे अन्य हितधारकों के मुद्दे को समझना भी है.

इस के अलावा उन्होंने मछुआरों, महिला मछुआरों, मछली किसानों और तटीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों जैसे लाभार्थियों के साथ बातचीत की. मछुआरों ने भी अपने मुद्दों को उजागर करने में गहरी दिलचस्पी दिखाई और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), एफआईडीएफ और किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) आदि जैसी योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए गणमान्य व्यक्तियों को धन्यवाद दिया.

मंत्री पुरुशोत्तम रूपाला, डा. एल. मुरुगन, साजी चेरियान, केरल के विधायक सीसी मुकुंदन, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अभिलक्ष लिखी, ओएसडी (मत्स्य), भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी केएस श्रीनिवास, प्रधान सचिव (मत्स्य), केरल सरकार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड डा. सुवर्ण चंद्रपरागरी और अन्य सरकारी अधिकारियों ने थिप्परयार के टीएसजीए इंडोर स्टेडियम का दौरा किया. उन्होंने सागर परिक्रमा लाभार्थी के लिए केरल सरकार के एक कार्यक्रम ‘थीरा सदासु’ पहल की सराहना की.

कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य कार्यकारी, राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, भारत सरकार डा. सुवर्णा चंद्रपरागरी ने एक स्वागत भाषण दिया. उन्होंने यह बताया कि ‘एक्वा किसान’ आगे आए हैं और तटीय समुदाय की स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं.

भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अभिलक्ष लिखी, ओएसडी (मत्स्य), ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मत्स्य क्षेत्र को दिए गए महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि मत्स्य क्षेत्र के लिए विशेष धनराशि आवंटित की गई है.

उन्होंने यह भी बताया कि केसीसी शिविर शुरू करने, शिकायत निवारण के लिए टीम गठित करने, विभिन्न बुनियादी सुविधाओं के निरीक्षण के लिए तकनीकी अधिकारियों की टीम गठित करने जैसी प्रमुख पहल की गई हैं, साथ ही, 62 केसीसी शिविर आयोजित किए गए, जिन में से 744 केसीसी कार्ड जारी किए गए हैं और 178 पोस्ट हार्वेस्टिंग सुविधाएं स्वीकृत की गई हैं.

साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि मछली पकड़ने के बंदरगाह के विस्तार, बायोफ्लाक इकाई के उन्नयन, सजावटी मछली पकड़ने, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के जहाज, केज वाटर कल्चर जैसी कई परियोजनाओं के साथसाथ आजीविका में सुधार और मत्स्य इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए अर्थुल मछली पकड़ने के बंदरगाह का शुभारंभ किया गया है.

उन्होंने सागर परिक्रमा कार्यक्रम यात्रा, सातवें चरण में समर्थन के लिए तट रक्षकों और केरल सरकार को धन्यवाद दिया.

डा. एल. मुरुगन ने बढ़ती मांग को पूरा करने में मछली किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया और उन्होंने मछुआरों और मछली किसानों के अमूल्य योगदान को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि मछुआरे भोजन और जीविका प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करते हैं. दीर्घकालिक मछली पकड़ने का तरीका न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि पर्यावरणीय प्रभावों को भी कम करता है.

केरल के मत्स्यपालन मंत्री साजी चेरियान ने राज्य की मात्स्यिकी के बारे में प्रकाश डाला, जो देश में समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्यपालन दोनों के लिए अच्छी क्षमता रखता है.

उन्होंने मत्स्यपालन क्षेत्र के विकास को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव साझा करने के लिए मछुआरों, मछली किसानों, लाभार्थियों, तट रक्षक अधिकारियों को धन्यवाद दिया.

परशोत्तम रूपाला ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ मुद्दों और इस के विकास के अवसरों की चर्चा की.

उन्होंने कहा कि मत्स्य इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए लाभार्थियों से विभिन्न आवेदन प्राप्त हुए हैं. उन्होंने अपनी राय भी साझा की है कि पीएमएमएसवाई योजना की गतिविधियों को संचालित करने से भारत में मत्स्यपालन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा. इस का उद्देश्य मछली पकड़ने और जलीय कृषि की आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों को अपना कर मछली के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है. इस पहल से न केवल मछुआरों और मछली किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि बाजार में मछली की उपलब्धता भी बढ़ेगी, जिस का खाद्य सुरक्षा और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि सागर परिक्रमा यात्रा तटीय समुदायों और मछुआरों को सरकार द्वारा क्रियान्वित मत्स्य संबंधी योजनाओं/कार्यक्रमों के बारे में जानकारी का प्रसार कर के, सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रदर्शन, मत्स्यपालन को बढ़ावा देने और सभी मछुआरों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित कर के सशक्त बनाएगी.

मंत्री परशोत्तम रूपाला ने भास्करीयम कन्वेंशन सेंटर, एलमक्करा, एर्नाकुलम में एफपीओ की बिजनैस मीट -2023 का उद्घाटन किया और वहां उपस्थित लोगों को संबोधित किया. उन्होंने सूचित किया कि देशभर के मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए उन की सहायता करने की उच्च मांग के कारण, प्रधानमंत्री ने मत्स्यपालन के लिए अलग विभाग की स्थापना की.

उन्होंने यह भी कहा कि स्वतंत्रता के बाद से वर्ष 2014 तक, मत्स्य क्षेत्र में निवेश लगभग 3,681 करोड़ रुपए था. वर्ष 2014 से केंद्र सरकार ने मत्स्यपालन क्षेत्र में जमीनी हकीकत को समझ कर पीएमएमएसवाई, एफआईडीएफ और अन्य योजनाओं की शुरुआत की है और लगभग 32,000 करोड़ रुपए की योजनाएं बनाई गई हैं.

सागर परिक्रमा सातवें चरण में विभिन्न स्थानों से लगभग 4,000 मछुआरे, विभिन्न मत्स्य हितधारकों ने भाग लिया, जिन में से लगभग 1300 महिला मछुआरों ने भाग लिया. कार्यक्रमों को यूट्यूब, ट्विटर और फेसबुक जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लाइव स्ट्रीम किया गया.

सागर परिक्रमा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक भलाई में सुधार लाने में प्रभाव डालेगी और आजीविका के अधिक अवसर पैदा करेगी. सागर परिक्रमा मछुआरों, अन्य हितधारकों के मुद्दों को हल करने में सहायता करेगी और विभिन्न मत्स्य योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित कार्यक्रम के माध्यम से उन के आर्थिक उत्थान की सुविधा प्रदान करेगी. सागर परिक्रमा का सातवां चरण अगले 2 दिनों तक केरल के पूरे तटीय क्षेत्र को कवर करता रहेगा.

आधुनिक बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास के लिए 7,500 करोड़ रुपए स्‍वीकृत

कोच्चि : केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परशोत्तम रूपाला एवं पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पिछले दिनों केरल के कोचिन पोर्ट अथा एमरिटी विलिंगडन द्वीप थोप्पुमपडी के समुद्रिका हाल में कोचिन फिशिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्नयन की परियोजना की आधारशिला रखी.

इस कार्यक्रम में एर्नाकुलम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के सांसद हिबी ईडन, कोच्चि निर्वाचन क्षेत्र के विधानसभा सदस्य केजे मक्सी, एर्नाकुलम निर्वाचन क्षेत्र के विधानसभा सदस्य टीजे विनोद, कोच्चि नगरनिगम के महापौर, एडवोकेट अनिल कुमार, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के विशेष कार्य अधिकारी डा. अभिलक्ष लि‍खी, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. सुवर्णा चंद्रपरागरी, केरल सरकार के मत्स्यपालन विभाग के प्रमुख सचिव केएस श्रीनिवास और कोचिन बंदरगाह प्राधिकरण की अध्‍यक्ष डा. एम. बीना उपस्थित रहे.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्रालय के मत्स्यपालन विभाग ने मार्च, 2022 में सागरमाला योजना के अंतर्गत बंदरगाह नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के साथ कन्वर्जन्स में प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत थोप्पुमपडी में कोचिन फि‍शिंग हार्बर के आधुनिकीकरण और उन्‍नयन के लिए कोचिन पोर्ट ट्रस्‍ट के प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति दी थी. उन्होंने कुल 169.17 करोड़ रुपए की परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपए की केंद्रीय सहायता प्रदान की थी.

700 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के नाविकों को मिलेगा सीधा लाभ

इस परियोजना का लाभ कोचिन मछली पकड़ने के बंदरगाह पर 700 मछली पकड़ने वाली नौकाओं के नाविकों को होगा. इन नौकाओं से लगभग 10,000 मछुआरों को प्रत्यक्ष आजीविका मिलेगी और लगभग 30,000 मछुआरों को अप्रत्यक्ष रूप से आजीविका अर्जित करने में सहायता मिलेगी. आधुनिकीकरण परियोजना से इस क्षेत्र में स्वच्छता की स्थितियों में पर्याप्त सुधार होगा और मछली और मत्‍स्‍य उत्पादों के निर्यात से आय में वृद्धि में होगी.

आधुनिकीकरण पर होगा जोर

आधुनिकीकरण के अंतर्गत शुरू की गई मुख्य गतिविधियों में वातानुकूलित नीलामी हाल, मछली ड्रेसिंग इकाई, पैकेजिंग इकाई, आंतरिक सड़कें, लोडिंग और अनलोडिंग प्लेटफार्म, कार्यालय, डारमेट्री और फूड कोर्ट की स्थापना शामिल है.

इस परियोजना में सार्वज‍निक निजी भागीदारी के तहत 55.85 करोड़ रुपए के कोल्ड स्टोरेज, स्लरी और ट्यूब आइस प्लांट, मल्टीलेवल कार पार्किंग सुविधा, रिवर्स औस्मोसिस प्लांट, फूड कोर्ट, खुदरा बाजार आदि की स्थापना की जाएगी.

मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी मंत्री परशोत्तम रूपाला ने कहा कि सरकार ने मस्‍त्‍यपालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), सागरमाला योजना और प्रधानमंत्री मत्‍स्‍य संपदा योजना के तहत मछली पकड़ने के आधुनिक बंदरगाहों और मछली लैंडिंग केंद्रों के विकास के लिए सरकार ने 7,500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं की स्‍वीकृति दी है.

‘मछुआरों की आजीविका’ विषय पर राष्ट्रीय वैबिनार का आयोजन

नई दिल्ली : भारत सरकार के मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य विभाग ने आजादी का अमृत महोत्‍सव के तहत ‘सस्‍टेनेबिलिटी औफ फिश मील इंडस्‍ट्री एंड द लाइवलीहुड्स औफ फिशरमैन’ यानी ‘फिश मील उद्योग की निरंतरता एवं मछुआरों की आजीविका’ विषय पर एक राष्ट्रीय वैबिनार का आयोजन किया. इस कार्यक्रम की सहअध्यक्षता मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्त सचिव (आईएफ) सागर मेहरा और भारत सरकार के मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने की.

कार्यक्रम में मछुआरा समुदाय के प्रतिनिधियों, निर्यातकों, उद्यमियों, मत्स्य संघों, मत्स्य विभाग के अधिकारियों, भारत सरकार के अधिकारियों और विभिन्न राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के मत्स्य विभाग के अधिकारियों, राज्य कृषि, पशु चिकित्सा एवं मत्स्यपालन विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, मत्स्य अनुसंधान संस्थानों के संकायों, मत्स्य सहकारी समितियों के अधिकारियों, वैज्ञानिकों, छात्रों और मत्स्‍यपालन से जुड़े देशभर के हितधारकों ने भाग लिया.

वैबिनार की शुरुआत भारत सरकार के मत्‍स्‍यपालन विभाग में संयुक्‍त सचिव सागर मेहरा के स्वागत भाषण से हुई. उन्होंने बताया कि एक्वाकल्चर के जरीए पैदा होन वाली तकरीबन 70 फीसदी मछलियों और क्रस्टेशियन को प्रोटीनयुक्त भोजन खिलाया जाता है, जिस में फिश मील प्रमुख रूप से शामिल होता है. फिश मील उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन, आवश्यक एमीनो एसिड, विटामिन, आवश्यक खनिज (जैसे फास्फोरस, कैल्शियम एवं आयरन) और मछलियों के विकास के लिए आवश्‍यक अन्य तत्‍वों से भरपूर एक पूरक पौष्टिक आहार है. बेहतरीन पोषण मूल्य के कारण इसे पालतू पशुओं के आहार के लिए पूरक प्रोटीन के तौर पर पसंद किया जाता है.

आमतौर पर यह मछली और झींगा के आहार में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत होता है. हर साल लगभग 2 करोड़ टन कच्चे माल के उपयोग से फिश मील एवं फिश औयल का उत्पादन किया जा रहा है. उन्‍होंने तकनीकी चर्चा शुरू करने के लिए सभी पैनलिस्टों का स्वागत किया.

उच्च गुणवत्ता वाले फिश मील के उत्पादन पर जोर

तकनीकी सत्र की शुरुआत सीएलएफएमए के प्रबंध समिति के सदस्‍य निसार एफ. मोहम्मद द्वारा ‘ओवरव्‍यू औफ फिश मील इंडस्‍ट्री’ यानी ‘फिश मील उद्योग का संक्षिप्‍त परिचय’ विषय पर परिचर्चा के साथ हुई. उन्होंने फिश मील के महत्व को उजागर किया और बताया कि उच्च गुणवत्ता वाले फिश मील का उत्पादन कैसे किया जा सकता है.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि फिश मील में मछली के कचरे का उपयोग किए जाने से जल प्रदूषण कम होता है. यह पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और मेमनों, सूअरों आदि में मृत्यु दर को कम करता है.

दूसरे वक्ता बेंगलुरु के इंडियन मैरीन इनग्रेडिएंट्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष मोहम्मद दाऊद सैत ने फिश मील उद्योग की समस्‍याओं एवं चुनौतियों के बारे में बात की.

उन्होंने मत्स्यपालन उद्योग की उन्नति एवं कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्‍य से भारत के फिश मील एवं फिश औयल उत्पादकों को साथ लाने के लिए निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया.

फिश मील-फीड उद्योग पर हुई चर्चा

अवंति फीड प्रा. लिमिटेड के अध्‍यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ए. इंद्र कुमार ने फिश मील और श्रिंप फीड उद्योग के बारे में बात की, जो साल दर साल लगातार बढ़ रहा है. एक्‍वाकल्‍चर के जरीए उत्‍पादन तकरीबन 95 फीसदी झींगा का निर्यात किया जाता है. इसलिए सभी आयातकों की मांग टिकाऊ एक्‍वाकल्‍चर एवं मैरीटाइम ट्रस्ट से उत्‍पादित मछलियों के लिए होती है.

वरिष्‍ठ वैज्ञानिक एवं वेरावल-आईसीएआर सैंट्रल इंस्टीट्यूट औफ फिशरीज टैक्नोलौजी के प्रभावी वैज्ञानिक डा. आशीष कुमार झा ने ‘फिश मील एंड इट्स अल्‍टरनेटिव टु एक्वा फीड इडस्‍ट्री’ यानी ‘एक्‍वा फीड उद्योग में फिश मील एवं उस का विकल्प’ विषय पर चर्चा की.

उन्‍होंने ओवरफिशिंग, बायकैच और प्रदूषण के 3 मुद्दों के बारे में जानकारी दी. साथ ही, उन्होंने यह भी बताया कि कीट, पत्ते, फल, बीज आदि को फिश मील के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

आईसीएआर- सीएमएफआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डा. एपी दिनेश बाबू ने भारतीय समुद्री मत्‍स्‍य उद्योग में किशोर मछलियों को न पकड़ने के बारे में बात की. उन्‍होंने मेश साइज रेग्यूलेशन, जुवेनाइल बाइकैच रिडक्शन डिवाइस (जेबीआरडी) और न्यूनतम कानूनी दायरे (एमएलएस) को लागू करने का सुझाव दिया.

मछलियों की बरबादी को रोकने पर दिया जोर

कर्नाटक सरकार के मत्‍स्‍य निदेशक रामाचार्य ने आग्रह किया कि तरीबन 12 से 18 फीसदी मछलियां बरबाद हो रही हैं, इसलिए उद्योग को मदद दी जानी चाहिए.

उन्होंने माना कि सही नीतिगत उपायों और विनियमन जैसे विभिन्‍न मुद्दों के बारे में तमाम प्‍ लेटफार्म के जरीए जागरूकता पैदा की जा रही है. कर्नाटक सरकार ने बिना नियमन के मछली पकड़ने पर लगाम लगाने के लिए नियम बनाए हैं.

संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने जागरूकता पैदा करने और किशोर मछलियों को पकड़े जाने के कारणों पर ध्यान दिए जाने के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि मछलियों की दोबारा आूपर्ति में कृत्रिम रीफ स्‍थापित करना काफी महत्‍वपूर्ण होगा. इस से किशोर मछलियों के पकड़े जाने पर भी लगाम लगेगी.

उस के बाद मंच परिचर्चा के लिए खुला और उस का नेतृत्व संयुक्त सचिव (एमएफ) डा. जे. बालाजी ने किया. मत्‍स्‍य किसानों और उद्योग के प्रतिनिधियों द्वारा उठाए गए सवालों एवं शंकाओं पर चर्चा की गई और उन्हें आश्‍वस्‍त किया गया.

उपरोक्‍त व्यावहारिक चर्चाओं के साथसाथ क्षेत्रीय रणनीति एवं कार्ययोजना तैयार करने के उद्देश्‍य से बाद की कार्यवाही के लिए कई बिंदु तैयार किए गए.

वैबिनार का समापन मत्‍स्‍यपालन विभाग में सहायक आयुक्‍त (एफवाई) डा. एसके द्विवेदी द्वारा अध्यक्ष, प्रतिनिधियों, अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद प्रस्ताव के किया गया.