विकसित भारत (Developed India) बनाते युवा

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में “द रोल औफ यूथ इन द विजन एंड मिशन औफ विकसित भारत 2047” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में  मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि भारत को 2047 तक विकसित बनाने के संकल्प को साकार करने में देश के युवाओं की विशेष भूमिका रहेगी. इस के लिए उन्हें विचार करना होगा कि मैं कैसे देश को विकसित बनाने में अपनी भूमिका अदा कर सकता हूं, इसी सकारात्मक सोच व सही दिशा के साथ युवाओं को सोचने व काम करने की जरूरत है. साथ ही, उसे शैक्षणिक विकास के साथ मानसिक व अध्यात्मिक रूप से भी मजबूत बनना होगा.

उन्होंने कहा कि युवाओं को आत्म अवलोकन करने की आवश्यकता है, ताकि वह देश को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकें. उन्होंने युवाओं से कहा कि वे स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों के प्रेरक प्रसंगों से सीख लेते हुए अध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ कर बदलते परिपेक्ष्य में अपनी जिम्मेदारियों का निष्पक्ष रूप से निर्वहन करें. मुख्यातिथि ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रहे विद्यार्थियों को सम्मानित कर प्रमाणपत्र दिए व उन का हौसला बढ़ाया.

शोषणमुक्त क्षमतायुक्त हो भारतसुरेश जैन, मुख्य वक्ता

मुख्य वक्ता, भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय आयोजन सचिव सुरेश जैन ने बताया कि विकसित भारत बनाने का मकसद केवल उद्योगों, नवाचारों व प्रौद्योगिकियों का विस्तार करना नहीं है, अपितु समाज के प्रति संवेदनाएं व ममत्व जैसे गुणों को अपनाना भी है. यदि युवाओं व नागरिकों में देश के प्रति ममत्व व संवेदनाएं नहीं होंगी, तब तक वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को शोषणमुक्त व क्षमतायुक्त बनाना होगा. मुख्य वक्ता सुरेश जैन ने भारत को विकसित बनाने में महिलाओं की भागीदारी को भी अहम बताया. उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल शैक्षणिक जानकारी  ही नहीं, बल्कि उन में संस्कारों का होना भी जरूरी है.

उन्होंने आगे कहा कि हर नागरिक इस भाव से काम करे कि जो भी कर रहा हूं देश के लिए कर रहा हूं. सभी को न्याय मिले और वो भी सही समय पर मिले. समाज में सभी के लिए समान अवसर हो, शोषण व अत्याचार न हो, परस्पर अविश्वास खत्म हो, तभी विकसित भारत की कल्पना की जा सकती है.

मुख्य वक्ता सुरेश जैन ने कहा कि युवाओं को आपसी मतभेद भुला कर राष्ट्र के उत्थान में बढ़चढ़ भाग लेना चाहिए. उन्होंने देश के पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइलमैन डा. एपीजे अब्दुल कलाम का प्रेरक प्रसंग बताते हुए कहा कि उन्हें नासा में काम करने का न्योता मिला, लेकिन उन्होंने देशरूपी मां को गरीबी से मुक्त करने का हवाला दे कर इस सुनहरे अवसर को ठुकरा दिया था.

ये रहे विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणाम

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर राजकीय पीजी कालेज, हिसार के छात्र पंकज व रेनुका भारद्वाज, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस माइक्रोबायोलौजी के छात्र ए. प्रेमा शिवा नागा तेजा व रक्षा जैन और तीसरे स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार के छात्र पायल व पुनिता रहे.

भाषण प्रतियोगिता में पहले स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार की छात्रा अन्नू रही, जबकि दूसरे स्थान पर कालेज औफ एग्रीकल्चर, हिसार के छात्र प्रिंस व तनिषा और केएम कालेज, नरवाना की छात्रा ख्वाइश तीसरे स्थान पर रही.

आन द स्पौट प्रतियोगिता में पहले स्थान पर कालेज औफ एग्रीकल्चर, हिसार के छात्र प्रिंस रहे, जबकि दूसरे स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार की छात्रा अन्नू व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस, हिसार की छात्रा अंशिका रही.

निबंध प्रतियोगिता में पहले स्थान पर डीएन कालेज, हिसार के छात्र रजत सोनी रहे, जबकि दूसरे स्थान पर राजकीय महाविद्यालय, जींद के छात्र सचिन व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा नेहा व कालेज औफ एग्रीकल्चर के छात्र जौंस टायडल रहे.

इसी प्रकार स्कूली स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में पहले स्थान पर जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीपांशु रहे, जबकि दूसरे स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल, गोरखपुर की छात्रा भव्या व तीसरे स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल, गोरखपुर की छात्रा उर्मिला रही.

वेस्ट टू वेल्थ मौडल कंपीटीशन में पहले स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्राएं निकिता, नेहा यादव व वर्तिका रही. दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस एलएचसी की छात्रा नेहा व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस समाजशास्त्र की छात्रा ज्योतिका रही.

विज्ञान प्रदर्शनी में ओडीएम, हिसार की छात्राएं संजू, ज्योति, शीतल व शविना रही, जबकि दूसरे स्थान पर डीपीएस, हिसार के छात्र शिवम व अभय रहे. तीसरे स्थान पर कालेज औफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलौजी, एचएयू के छात्र दर्शन सिंह व अतिश रहे.

पेंटिग एंड ड्राइंग कंपीटीशन में स्कूली स्तर पर प्रथम स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल की छात्रा रितू, दूसरे स्थान पर ठाकुरदास भार्गव स्कूल की छात्रा दीक्षा व तीसरे स्थान पर गुरु जम्भेश्वर स्कूल के छात्र दीक्षित कुमार रहे.

इसी प्रकार विश्वविद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर राजकीय पीजी कालेज, हिसार के छात्र योगेश, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा फातिमा व तीसरे स्थान पर एचएयू की छात्रा प्रतिभा रही.

रंगोली प्रतियोगिता में स्कूली स्तर पर प्रथम स्थान जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीक्षित व मुस्कान रहे, जबकि दूसरे स्थान पर जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीपांशु व चाहत और तीसरे स्थान पर पूजा व दिशा रही. महाविद्यालय स्तर पर डीएन कालेज, हिसार के विद्यार्थी रजत सोनी व नेहा पहले स्थान पर रहे, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा नीलकमल व प्रियंका और तीसरे स्थान पर एफसी कालेज की छात्रा अंशिका व निहारिका रही, जबकि सांत्वना पुरस्कार राजकीय महाविद्यालय, जींद की छात्राएं मोनिका व दिव्या मोर रही.

स्लोग्न राइटिंग प्रतियोगिता में स्कूली स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में गुरु जम्भेश्वर स्कूल, हिसार की छात्राएं काव्या, डौली व पूजा क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया.

महाविद्यालय स्तर पर प्रथम स्थान पर डीएन कालेज, हिसार के छात्र रजत सोनी, दूसरे स्थान पर कालेज औफ कम्युनिटी साइंस की छात्रा गरिमा व तीसरे स्थान पर राजकीय महिला, जींद के छात्र अमन व कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा राजबाला रही.

विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में प्रथम व दूसरे स्थान पर माइक्रोबायोलौजी के छात्र नीलकमल व निकिता रही, जबकि तीसरे स्थान पर ज्यूलौजी के छात्र रिशु रहे.

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में ज्यूलौजी की छात्रा प्रियंका पहले स्थान पर रही, जबकि दूसरे स्थान पर माइक्रोबायोलौजी की छात्रा प्रियंका व तीसरे स्थान पर पर्यावरण विभाग की छात्रा फातिमा व अंजू रहे.

मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. नीरज कुमार ने सभी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया, जबकि द एचएयू साइंस फार्म के सचिव डा. बलजीत सिंह सहारण ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. मंच संचालन छात्रा सुनैना ने किया.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के तमाम अधिकारियों सहित इस से जुड़े समस्त महाविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, शोधार्थी सहित शहर के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कालेजों व स्कूलों के छात्र व छात्राएं मौजूद रहे.

लुवास में वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन (Scientific Pig Farming) पर ट्रेनिंग

हिसार: लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुधन फार्म परिसर विभाग में चल रहे “वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन” के विषय में तीनदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

प्रशिक्षण कार्यक्रम कुलपति डा. विनोद कुमार वर्मा के दिशानिर्देशन में आयोजित किया गया. इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया ने अपने संबोधन में कहा कि वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन आज के समय की जरूरत है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके.

उन्होंने प्रतिभागियों को सिखाई गई तकनीकों व विधियों का इस्तेमाल अपने कार्यक्षेत्र में करने के लिए प्रेरित किया. डा. एसपी दहिया ने इस अवसर पर बताया कि सूअर की ज्यादा बच्चे देने की क्षमता और उच्च चारा रूपांतरण अनुपात सूअरपालन को प्रभावी बनाते हैं.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए. उन्होंने पशुधन फार्म परिसर विभाग के प्रशिक्षकों एवं कर्मचारियों को कार्यशाला के सफलतापूर्वक समापन पर बधाई दी. इस अवसर पर विभागाध्यक्ष, सूअरपालन इकाई प्रमुख और विभाग के संकाय सदस्य मौजूद थे.

प्रशिक्षण के बारे में बात करते हुए पशुधन फार्म परिसर विभाग के विभागाध्यक्ष और इस प्रशिक्षण कार्यशाला के निदेशक डा. वीएस पंवार ने बताया कि इस तीनदिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. इस दौरान उन्हें वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन प्रशिक्षण के अलावा प्रतिदिन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी गई.

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत किसान जागरूकता कार्यक्रम

बांसवाड़ाः 27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया, जिस में झेर्पारा गांव के लगभग 75 किसानों ने हिस्सा लिया.

इस अवसर पर केंद्र के संभागीय निदेशक अनुसंधान डा. हरगिलास ने फसलों पर मौसम के प्रभाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह केंद्र सप्ताह में 2 दिन मंगलवार व शुक्रवार को मौसम पूर्वानुमान की विज्ञप्ति जारी करता है, जिस में मौसम के घटक, वर्षा, तापमान, बादल, आर्द्रता, धूप, हवा की गति एवं दिशा के पूर्वानुमान के साथ फसल एवं फलवृक्षों से संबंधित बोआई, कटाई, अंतराशस्य क्रिया, कीट एवं रोग व व्याधि की रोकथाम व उपचार की जानकारी दी जाती है.

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि अपने मोबाइल नंबर रिकौर्ड करवा कर कृषि मौसम से संबंधित सुचना ले सकते हैं. मुकेश जोशी, कृषि वैधशाला प्रेक्षक ने किसानों को बताया कि फसल पर आधारित रोग व कीट सभी मौसम से प्रभावित होते हैं, इसलिए मौसम के अनुकूल फसलों का चुनाव कर के बोआई करें.

इस अवसर पर डा. पीयूष चौधरी, रिसर्च एसोसिएट ने मौसम संबंधित जानकारी, किसानों में उस की उपयोगिता एवं महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही, मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर खेती की जानकारी के बारे में विस्तृत चर्चा की. केंद्र के अशोक मावी ने मंच का संचालन एवं आभार व्यक्त किया.

‘’प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” लागू

भोपाल : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘’मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना” को विस्तारित कर “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” नाम से लागू करने की स्वीकृति दी गई. “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजना में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

किसान/किसानों के समूहों को सोलर कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने के लिए वर्तमान में प्रचलित “मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना” के अंतर्गत सोलर कृषि पंप कनेक्शन भी दिया जा रहा है.

केनबेतवा लिंक परियोजना के लिए 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने केनबेतवा लिंक परियोजना के पहले और दूसरे चरण में कराए जाने वाले कामों के लिए लागत राशि 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी है. परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह, सागर, दतिया एवं बेतवा बेसिन के विदिशा, शिवपुरी, रायसेन जिले के सूखा प्रभावित 6,57,364 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई एवं लगभग 44 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण स्थापना की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने चित्रकूट नगर के समग्र विकास के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा विद्यमान चित्रकूट विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को विघटित कर चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना की स्वीकृति दी है.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना से प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सकेगा. साथ ही, संचालनालय नगर और ग्राम निवेश द्वारा प्रभावशील विकास योजना के प्रस्तावों का क्रियान्वयन भी मुमकिन हो सकेगा.

मंत्रिपरिषद ने प्राधिकरण के लिए 20 करोड़ रुपए की सहायता अनुदान राशि की स्वीकृति दी. कलक्टर को अन्य आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अधिकृत किया गया है.

रोपवे परियोजनाओं का अनुमोदन
मंत्रिपरिषद ने लोक निर्माण विभाग एवं नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHM) के मध्य रोपवे के विकास, कार्यान्वयन, निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का अनुमोदन किया.

“प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजनांतर्गत जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

मध्य प्रदेश में प्रस्तावित समस्त रोपवे परियोजना के लिए मध्य प्रदेश शासन की ओर से परियोजना के एकरेखण के अनुमोदन के लिए प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश सडक विकास निगम को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया. समस्त रोपवे परियोजना एकरेखण के भू निर्देशांक को राज्य सरकार के राजपत्र में अधिसूचित करने, भूअर्जन से संबंधित समस्त कार्यवाही का अनुमोदन करने, निश्चित समझौता को हस्ताक्षरित करने एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड को प्रवर्तक यानी प्रमोटर नियुक्त करने के लिए प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन, लोक निर्माण विभाग को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया.

पीएम जनमन में नरसिंहपुर में मार्ग निर्माण की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद द्वारा पीएम जनमन में नरसिंहपुर का एक मार्ग एल 063 मोहपानी से बड़ागांव (तलैया) लंबाई 29.10 किलोमीटर की लागत 40 करोड़, 75 लाख रुपए मय संधारण (1.40 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर) है, जो कि निर्धारित सीमा लागत रुपए एक करोड़ प्रति किलोमीटर से अधिक है, में अतिरिक्त राशि 11 करोड़, 65 लाख रुपए का भार राज्य शासन द्वारा वहन किए जाने की स्वीकृति की गई. भविष्य में पीएम जनमन योजनांतर्गत एक करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से अधिक राशि के प्रस्ताव निर्मित होने पर ऐसे प्रस्ताव में लगने वाली अतिरिक्त राशि की स्वीकृति प्राधिकरण के अंतर्गत गठित साधिकार समिति द्वारा दी जा सकेगी. इस अतिरिक्त राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा.

कपास (Cotton) में गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि देश के उत्तरी क्षेत्र में लगातार गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है. इस के समाधान के लिए हमें सामूहिक रूप से एकजुट हो कर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि किसान को माली नुकसान से बचाया जा सके. वे विश्वविद्यालय में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, अधिकारी व निजी बीज कंपनी के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित एकदिवसीय सेमिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. इस सेमिनार में कपास उगाने वाले 10 जिलों के किसान प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा रहा था, जिस के नियंत्रण के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, जो चिंता का विषय है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एवं अन्य कीट प्रबंधन के उपायों को खोजना होगा और हितधारकों के साथ मिल कर सामूहिक प्रयास करने होंगे. तभी किसान को बचाया जा सकता है. किसान नरमा की बन्छटियों को खेत में न रखें. अगर रखी हुई है तो बिजाई से पहले इन्हें अच्छे ढंग से झाड़ कर उसे दूसरे स्थान पर रख दें और इन के अधखिले टिंडों एवं सूखे कचरे को नष्ट कर दें, ताकि इन बन्छटियों से निकलने वाली गुलाबी सुंडियों को रोका जा सकें.

इस के अलावा नरमा की बिजाई विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित बीटी संकर किस्मों की 15 मई तक पूरी करें एवं कीटनाशकों व फफूंदीनाशकों को मिला कर छिडक़ाव न करें. किसान नरमे की बिजाई के उपरांत अपने खेत की फेरोमोन ट्रेप से निरंतर निगरानी रखें और गुलाबी सुंडी का प्रकोप नजर आने पर निकटतम कृषि विशेषज्ञ से बताए मुताबिक नियंत्रण के उपाय करें.

गुलाबी सुंडी के नियंत्रण प्रबंधन के लिए दिए महत्वपूर्ण सुझाव
बैठक में विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए किए गए कामों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की.

कपास अनुभाग के प्रभारी डा. करमल सिंह ने वर्ष 2023 में हरियाणा प्रांत में नरमा फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सतनाम सिंह एवं राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. प्रदीप कुमार ने अपनेअपने प्रांत में कपास की स्थिति एवं गुलाबी सुंडी के प्रकोप की जानकारी दी. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के संयुक्त निदेशक (कपास) आरपी सिहाग ने विभाग द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.

भारत सरकार के क्षेत्रीय कपास अनुसंधान केंद्र, सिरसा के निदेशक डा. ऋषि कुमार ने उत्तर भारत में कपास की समस्याओं व उन के प्रबंधन को ले कर चर्चा की. इसी दौरान निजी बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी गुलाबी सुंडी के नियंत्रण और प्रबंधन को ले कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए.

3 सालों में फसलों की 44 उन्नत किस्में विकसित

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि महाविद्यालय में दोदिवसीय कृषि अधिकारी कार्यशाला (खरीफ) 2024 का आयोजन हुआ. इस मौके पर मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित की गई फसलों की सिफारिश के अलावा प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में फसल उत्पादन में अलगअलग तरह से काश्तकारी की जा रही है, जिस के कारण अनुमोदित सिफारिश की पैदावार के मुकाबले किसानों की पैदावार में अंतर आ जाता है.

उन्होंने कृषि अधिकारियों से आह्वान किया कि फसल उत्पादन की समग्र सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करवा कर पैदावार के इस अंतर को कम कर के, कम लागत पर अधिक से अधिक लाभ किसानों को पहुंचाएं.

उन्होंने आगे बताया कि इस कार्यशाला से विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई नवीनतम किस्मों व कृषि पद्धतियों को जल्दी से जल्दी किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिस से कि फसलों की पैदावार बढ़ेगी.

मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों जैसे भूजल के स्तर का गिरना, भूमि की उर्वराशक्ति में कमी आना, भूमि की लवणता, क्षारीयता व जल भराव की स्थिति, जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण और फसल उत्पादन में कीटनाशक एवं रसायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग शामिल है.

उन्होंने जमीनी स्तर पर किसानों के संपर्क में काम कर रहे कृषि अधिकारियों के फीडबैक से विश्वविद्यालय में चल रहे शोध कार्य को और अधिक तीव्रता से व केंद्रित कर के इन समस्याओं का उचित समाधान जल्दी मिल सकेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने किसान समुदाय के उत्थान के लिए हर गांव से 30 किसानों का डाटा एकत्रित कर उसे सीएससी सेंटर से जोड़ा है, ताकि कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा कृषि क्षेत्र से जुड़ी दुरुस्त जानकारियां, नवाचारों, प्रौद्योगिकियों व नई तकनीकों को आसानी से किसानों तक पहुंचाया जा सके.

मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि किसानों तक पहुंचने वाली जानकारियां एकसमान होनी चाहिए. इस के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों को एक मंच पर आ कर एकजुट हो कर मंथन करने की आवश्यकता है.

फसलों की उन्नत किस्में

किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय कर रहा निजी कंपनियों से समझौते
मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि किसानों के उत्थान के लिए विश्वविद्यालय ने बीते 3 सालों में विभिन्न फसलों की 44 किस्में विकसित की हैं, लेकिन इन किस्मों को किसानों तक पहुंचाना अहम चुनौती है. इस के लिए विश्वविद्यालय ने कई निजी कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, ताकि किसानों तक विश्वविद्यालय द्वारा ईजाद की गई फसलों की उन्नत किस्मों को जल्दी से जल्दी पहुंचाया जा सके.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने उपस्थित वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे फील्ड में जा कर किसानों से फीडबैक जरूर लें. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने ओपन डाटा कन्टेंट एप्लीकेशन भी बनाई है, जिस में 300 किसान परिवारों का डाटा जोड़ा है, ताकि हमें पता लग सके कि किसानों की जरूरतें, आवश्यकताएं, मांग, सुविधाएं क्याक्या हैं. साथ ही, हमें जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती और साइलेज मेकिंग की दिशा में आगे बढऩे की आवश्यकता है.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के अतिरिक्त कृषि निदेशक (सांख्यिकी) डा. आरएस सोलंकी ने कृषि विभाग की ओर से खरीफ फसलों के लिए तैयार की गई विस्तृत रणनीति की जानकारी दी.

विश्वविद्यालय के विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने सभी का स्वागत कर कार्यशाला की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने निदेशालय द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न विस्तार गतिविधियों के बारे में अवगत कराया. साथ ही, उन्होंने विभिन्न फसलों की नई किस्मों की जानकारी देते हुए मौजूदा समय में चल रहे अनुसंधान कार्यों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया.

किसानों के खेतों के अनुसार तकनीक (Technology) जरूरी

मेरठ: सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में ‘खाद्य सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए सतत कृषि पद्धतियों’ विषय पर आयोजित 2 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का कार्यक्रम हुआ.

मुख्य अतिथि शाकुंभरी विश्वविद्यालय, सहारनपुर के कुलपति प्रो. एचएस सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सभी लोगों का प्रयास होना चाहिए कि हम जल, जंगल और जमीन का संरक्षण करें.

उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि कि पहले हम लैंड टू लैब रिसर्च को प्राथमिकता देते थे, लेकिन अब समय की मांग है कि हम को किसानों के खेतों पर जाना होगा और उन की आवश्यकता के अनुसार अपनी लैब में शोध करना होगा. उस के बाद किसानों को तकनीकी देनी होगी.

उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत से ही आज हम खाद्यान्न संकट से उबर पाए हैं, लेकिन बढ़ती हुई आबादी एक चुनौती है. वैज्ञानिकों का प्रयास होना चाहिए कि वह अब खाद्यान्न सुरक्षा के साथसाथ पोषण सुरक्षा पर भी ध्यान दें, जिस से लोगों को हाईजीनिक अनाज मिल सके और लोगों की सेहत ठीक रहे.

कुलपति प्रो. एचएस सिंह ने कहा कि यदि हमें साल 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है, तो हम सभी लोगों को आगे आना होगा और मिल कर नए विकसित भारत का निर्माण करना होगा.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केके सिंह ने कहा कि अब सुरक्षित पौष्टिक व किफायती उत्पादन और खाद्यान्न उपलब्ध कराने के साथ खेती को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से लाभदायक बनाने के लिए टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना होगा. इस के लिए डिजिटल कृषि की बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए इस का समावेश करना होगा.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि डिजिटल खेती एक क्रांति है, जिस में मशीन जीपीएस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों की मदद से भविष्य में खेती को बढ़ावा मिल सकेगा.

आलू अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके सिंह ने विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि आज उत्पादन बढ़ाने के अलावा मृदा के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना होगा.

उन्होंने कहा कि हमारी प्राचीन कृषि टिकाऊ कृषि प्रणाली थी, जिसमें हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते थे. हमें इस पर भी ध्यान देना होगा और खाद्यान्न सुरक्षा के साथसाथ पोषण पर भी ध्यान देना होगा.

तकनीक (Technology)

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एडीजी इंजीनियरिंग डा. केपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि भारत में जल का 700 क्यूबिक फ्रेश वाटर प्रयोग किया जाता है, जबकि अन्य देशों में इस की मात्रा बहुत कम है. भारत में वाटर की रीसाइकलिंग नहीं हो पा रही है. आज जरूरत इस बात की है कि हम वाटर की रीसाइकलिंग करें. अपनी खेती में कम से कम रासायनिक का प्रयोग करें. ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसी तकनीक का इस्तेमाल खेती में आने वाले दिनों में किया जाने लगेगा. भारत द्वारा रोबोट विकसित किए जा रहे हैं, जिस से आसानी से पेड़ों से फलों की तुड़ाई और खेत में निराईगुड़ाई की जा सके.

नाबार्ड, डीडीएम देवेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि नाबार्ड द्वारा स्मार्ट फार्मिंग, डिजिटल फार्मिंग और विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और कृषि में किसानों की आय कैसे बढ़ सके, इस के लिए सहयोग किया जा रहा है. गांव में खेती के विकास और किसान की खुशहाली के लिए नाबार्ड सरकार की योजनाओं को पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.

समापन समारोह में छात्रछात्राओं को उन के लोक और पोस्टर प्रेजेंटेशन के लिए सम्मानित किया गया. इस दौरान प्रो. अवनी सिंह, प्रो. आरएस सेंगर, प्रो. एचएल सिंह, प्रो. गजे सिंह, प्रो. कमल खिलाड़ी, प्रो. डीके सिंह, प्रो. एलबी सिंह, प्रो. विनीता, डा. देश दीपक, डा. शैलजा कटोच, डा. आभा द्विवेदी, डा. उमेश सिंह, प्रो. बृजेश सिंह, प्रो. विजेंद सिंह, प्रो. बीआर सिंह, प्रो. सुनील मलिक, प्रो. दान सिंह, आकांक्षा, रजनी आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

प्रो. डीबी सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम में 370 से अधिक शिक्षकों, वैज्ञानिकों और छात्रछात्राओं ने हिस्सा किया और उन के द्वारा किए गए शोध कार्यों को प्रस्तुत किया.

“मिशन पाम औयल” के तहत खाद्य तेल (Edible Oil) में आत्मनिर्भर होगा भारत

नई दिल्ली: भारत वर्तमान में खाद्य तेल का शुद्ध आयातक है. कुल खाद्य तेल का 57 फीसदी विदेशों से आयात किया जाता है. खाद्य तेल की अपर्याप्तता हमारे विदेशी मुद्रा भंडार पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है और 20.56 बिलियन अमरीकी डालर इस के आयात पर खर्च होता है.

देश के लिए तिलहन और पाम तेल को बढ़ावा देने के माध्यम से खाद्य तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.
अरुणाचल प्रदेश की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खाद्य तेल उत्पादन में देश की आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया. उन्होंने पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित करते हुए केंद्र सरकार द्वारा चलाए गए एक विशेष अभियान मिशन पाम औयल पर बात की और इस मिशन के तहत पहली तेल मिल का उद्घाटन किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाम की खेती करने के लिए किसानों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “मिशन पाम औयल खाद्य तेल क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा और किसानों की आय को बढ़ावा देगा.”

भारत सरकार ने अगस्त, 2021 में खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) लौंच किया. यह मिशन औयल पाम की खेती को बढ़ाने और वर्ष 2025-26 तक कच्चे पाम तेल के उत्पादन को 11.20 लाख टन तक बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है.

यह योजना वर्तमान में देशभर के 15 राज्यों में जारी है, जो 21.75 लाख हेक्टेयर के संभावित क्षेत्र को कवर करती है. अब तक मिशन के तहत क्षेत्र विस्तार के लिए 1 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाली 111 नर्सरी स्थापित की गई हैं और 1.2 करोड़ रोपण सामग्री की क्षमता वाले 12 बीज उद्यान भी स्थापित किए गए हैं.

औयल पाम मिशन को नए भौगोलिक क्षेत्रों में पाम तेल को बढ़ावा देने, रोपण सामग्री में सहायता के लिए किसानों को अंत तक सहायता प्रदान करने और निजी उद्यमियों से खरीद सुनिश्चित की गई है.

तेल में वैश्विक मूल्य अस्थिरता को देखते हुए किसानों की मदद के लिए व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) प्रदान किया गया है. सरकार ने समय पर पाम तेल की व्यवहार्यता कीमत को संशोधित किया है और अक्तूबर, 2022 में 10,516 रुपए थी, जिसे नवंबर, 2023 में बढ़ा कर 13,652 रुपए कर दिया गया.

व्यवहार्यता अंतर भुगतान (वीजीपी) लाभ के अलावा सरकार ने राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) के अंतर्गत रोपण सामग्री और प्रबंधन के लिए किसानों को 70,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की विशेष सहायता उपलब्ध कराई है.

पाम तेल की खेती के लिए किसानों को कटाई उपकरणों की खरीद के लिए 2,90,000 रुपए की सहायता दे रहा है. इस के अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सैंटर (सीएचसी) की स्थापना के लिए 25 लाख रुपए की सहायता दी गई है.
मिशन के तहत प्रसंस्करण कंपनियां पाम तेल किसानों के लिए वन-स्टाप सैंटर भी स्थापित कर रही हैं, जहां वे इनपुट, कस्टम हायरिंग सैंटर, अच्छी कृषि प्रथाओं की कृषि सलाह और किसानों की उपज का संग्रह की सुविधा दे रहे हैं.

यह दूरदर्शी पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, किसानों को सशक्त बनाने और भारत में खाद्य तेल उत्पादन के लिए एक स्थायी और आत्मनिर्भर पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. राष्ट्रीय मिशन – औयल पाम (एनएमईओ-ओपी) खाद्य तेलों के महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए भारत के समर्पण का एक प्रमाण है.

अब पशुचारा (Animal Feed) जिले के बाहर नहीं बिकेगा

गुना: कलक्‍टर अमनबीर सिंह बैंस द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए पशुओं के आहार के रूप में उपयोग में लाने वाले समस्त प्रकार के चारे/घास, भूसा एवं पशुओं के द्वारा खाए जाने वाले अन्य किस्म के चारे पर जिले की राजस्व सीमा के बाहर निर्यात प्रतिबंधित करने के आदेश जारी किए गए हैं.

उपसंचालक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा अपने प्रतिवेदन के माध्‍यम से अवगत कराया गया है कि जिले में वर्तमान में रबी की फसल की कटाई का काम प्रारंभ हो चुका है, जिस के उपरांत चारे/भूसे की उपलब्धता पशुधन के लिए बनाए रखना आवश्यक है.

मध्य प्रदेश राज्य के जिलों को छोड़ कर अन्य राज्यों के जिलों में भूसे के परिवहन और ईंटभट्टों के ईंधन के रूप में चारे/भूसे का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित किए जाने का अनुरोध किया गया है. जारी आदेश अनुसार, कोई भी किसान, व्यापारी, व्यक्ति, निर्यातक किसी भी प्रकार के पशुचारे का किसी भी वाहन, मोटर, रेल, यान अथवा पैदल जिले के बाहर कलक्‍टर एवं जिला दंडाधिकारी की अनुज्ञापत्र के निर्यात नहीं करेगा. शासकीय उपयोग के लिए भूसा एवं पशुचारे का परिवहन संबंधित अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) की अनुमति से किया जाएगा.

उक्त आदेश का उल्लंघन करने पर संबंधित के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अंतर्गत वैधानिक दांडिक कार्यवाही की जाएगी. जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू करते हुए आगामी आदेश तक प्रभावशील रहेगा.

प्रशिक्षण आयोजन में कीट व रोग प्रबंधन (Pest and Disease Management) पर फोकस

अशेाक नगर : भारत सरकार के अधीन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, मुरैना द्वारा अशोक नगर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में आईपीएम ओरियंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं राष्ट्रीय कीट निगरानी प्रणाली पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

सुनीत के. कटियार, प्रभारी अधिकारी, केंएनाप्रकें, मुरैना ने इस प्रयास की सफल शुरुआत के लिए कार्यालय के योगदान पर प्रकाश डाला.

उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों, दृष्टिकोण और सिद्धांतों के बारे में एक संक्षिप्त परिचय भी दिया और अनुरोध किया कि बेहतर परिणाम के लिए सभी को अधिक भागीदारी और उत्साह के साथ सभी सत्रों में भाग ले कर अपने बहुमूल्य समय का उपयोग करना चाहिए.

इस दौरान अशोक नगर जिले के उपसंचालक कृषि केएस केन द्वारा अशोक नगर जिले के कीट व्याधि के बारे में जानकारी दी गई. कृषि विज्ञान केंद्र, अशोक नगर के प्रधान वैज्ञानिक डा. बीएस गुप्ता ने स्थायी कृषि में आईपीएम की भूमिका के बारे में प्रशिक्षुओं से बातचीत की.

डा. एचके त्रिवेदी, वैज्ञानिक (पादप संरक्षण) ने जिले में उगाई जाने वाली फसलों में कीट एवं बीमारियों के बारे में और उन के प्रबंधन के बारे में बताया. डा. वीके जैन ने आईपीएम में कीटनाशक का प्रयोग अंतिम सत्र के रूप में करने की बात कही.

डा. केके यादव, वैज्ञानिक (उद्यान) ने सतत्पोषणीय कृषि के बारे में किसानों से चर्चा की. कार्यक्रम में प्रभारी अधिकारी सुनीत कुमार कटियार द्वारा आईपीएम के महत्व, आईपीएम के सिद्धांत एवं उस के विभिन्न आयामों सस्य, यांत्रिक, जैसे येलो स्टिकी, ब्लू स्टीकी, फेरोमोन ट्रैप, फलमक्खी जाल, विशिष्ट ट्रैप, ट्राईकोडर्मा से बीज उपचार के उपयोग के बारे में और जैविक विधि, नीम आधारित एवं अन्य वानस्पतिक कीटनाशक और रासायनिक आयामों के इस्तेमाल के विषय में विस्तार से बताया गया.

प्रवीण कुमार यदहल्ली, वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा जिले की प्रमुख फसलों के रोग और प्रबंधन, चूहे का प्रकोप एवं नियंत्रण और फौल आर्मी वर्म के प्रबंधन, मित्र एवं शत्रु कीटों की पहचान के बारे में बताया गया.

अभिषेक सिंह बादल, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी द्वारा मनुष्य पर होने वाले कीटनाशकों का दुष्प्रभाव और कीटनाशकों का सुरक्षित और विवेकपूर्ण उपयोग, साथ ही साथ केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति द्वारा  अनुमोदित रसायन का कीटनाशकों के लेवल एवं कलर कोड पर आधारित उचित मात्रा में ही प्रयोग करने का सुझाव दिया. साथ ही, भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा विकसित किए गए केएनपीएसएसएस एप के उपयोग एवं महत्व की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के दौरान केंद्र के अधिकारियों द्वारा आईपीएम प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिस में आईपीएम के विभिन्न आयामों का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के दूसरे दिन किसानों को खेत भ्रमण करा कर कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विश्लेषण के बारे में बताया गया.

कार्यक्रम में अशोक नगर एवं गुना जिले के 70 से अधिक प्रगतिशील किसानों, कीटनाशक विक्रेता और राज्य कृषि कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया.