बकरियों की किस्मों में बरबरी बकरीपालन सब से ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि बकरियों के लजीज मांस की मांग दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है. बकरीपालन का व्यवसाय शुरू करने के लिए न तो अधिक संसाधन की आवश्यकता होती है और न ही अधिक जमीन की.

बरबरी बकरियां छोटी होती हैं, इसलिए अन्य पशुओं की अपेक्षा इन को कम चारे व जगह की आवश्यकता होती है. बकरी ज्यादातर घासफूस चर कर अपना भोजन प्राप्त करती है. इसलिए बकरीपालन का व्यवसाय व्यापारिक स्तर पर शुरू करने में भी कोई परेशानी नही होती है.

बकरी की बरबरी नस्ल का पालन भी अन्य प्रजातियों की अपेक्षा सरल है. इस मुद्दे पर बस्ती जिले में स्थित बंजरिया कृषि विज्ञान केंद्र के सीनियर वैज्ञानिक पशु विज्ञान डा. डीके श्रीवास्तव से बात हुई. प्रस्तुत है उस बातचीत के प्रमुख अंषः-

सवाल : बकरीपालन के लिए किसानों को प्रमुख रूप से नस्ल चयन के लिए किन चीजों का ध्यान देने की जरूरत होती है?

जवाब : जो भी किसान बकरीपालन का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें अपने क्षेत्र की जलवायु व बकरियों में होने वाली बीमारियों आदि का ध्यान रख कर चयन करना चाहिए. साथ ही, यह भी ध्यान दें कि कौन सी प्रजाति की बकरियों से बच्चे ज्यादा मिल रहे हैं और देखभाल की कम जरूरत है. साथ ही, प्रजनन क्षमता भी अच्छी होनी चाहिए.

सवाल : बकरियों की कौनकौन सी प्रजातियां पालने के लिए उपयुक्त पाई गई हैं?

जवाब : बकरियों की नस्लें, जो पालने में उपयुक्त पाई गई हैं, उस में बरबरी, जमुनापारी, वीटल, ब्लैक बंगाल व सिरोह हैं, क्योंकि इन नस्लों की प्रजनन क्षमता, नस्लों का संर्वधन, वृद्धि एवं व्यवसाय अन्य की अपेक्षा ज्यादा बेहतर है.

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