भारत जैसे देश में खेतीकिसानी के साथ अनेक काम ऐसे हैं, जिन्हें खेती के साथ ही गिना जाता है. इस तरह के कामों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार समयसमय पर कई योजनाएं चलाती है, ताकि किसानों को फायदा मिल सके. मछलीपालन भी एक ऐसा ही कारोबार है, जिस में सरकारी मदद भी मिलती है.

ऐसे में यदि किसान के पास अपने खेत के तराई वाले हिस्से में मछलीपालन करने की संभावना है, तो वह केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ ले सकता है.

इस योजना के तहत किसानों और मछुआरों को 60 फीसदी तक सब्सिडी या 2 लाख रुपए तक की छूट दी जा रही है. साथ ही, किसानों व मछुआरों के लिए लोन लेने की भी सुविधा दी गई है.

इस योजना के तहत सवा एकड़ यानी 0.5 हेक्टेयर में मछलीपालन का तालाब बनाने के लिए 3.5 लाख रुपए की लागत प्रावधानित है, जिस में सामान्य किसानों को लागत का 40 फीसदी अर्थात 1.40 लाख रुपए एवं महिला और एससी/एसटी किसानों को लागत का 60 फीसदी अर्थात 2.10 लाख रुपए का अनुदान है.

क्या है मत्स्य संपदा योजना

यह मछलीपालन का रोजगार है. इस काम को शुरू करने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड और नाबार्ड की मदद से किसानों को बैंक ऋण, मछलीपालन के लिए ट्रेनिंग और सब्सिडी दी जाती है. केसीसी कार्ड रखने वाले किसानों को बिना गारंटी के 2 लाख रुपए तक का कर्ज लेने की सुविधा दी जाती है, जिस पर सिर्फ 7 फीसदी की दर से ब्याज देना होगा.

इस के अलावा बैंक ऋण को यदि समय से पहले भुगतान कर दिया जाता है, तो ब्याज पर 3 फीसदी की अतिरिक्त छूट भी मिल जाती है.

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