Nematodes : खेती में निमेटोड एक तरह के बहुत सूक्षम धागा नुमा कीट होता है, जो कि जमीन के अंदर पाया जाता है और पौधे की जड़ों में लगता है, जो फसल उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित करते हैं. निमिटोड कई तरह के होते हैं और हर किस्म के निमेटोड नामक ये कीड़े फसलों को बरबाद करने के लिए कुख्यात हैं. ये सालों तक मिट्टी के नीचे दबे रह सकते हैं और पौधों को नुकसान पहुचाते हैं.  यह पौधों की जड़ों का रस चूसते हैं, जिस के कारण पौधे को भूमि से खाद पानी या पोषक तत्व पूरी मात्रा में नही मिल पाते और पौधे की बढ़वार रुक जाती है. निमेटोड लगने से जड़ों में गांठ बन जाती है जिस से पौधे का विकास रुक जाता है जिस से पौधा मर भी सकता है. देश की हर फसल पर इन का प्रकोप होता है, जिसे जड़ गांठ रोग, पुट्टी रोग, नीबू का सूखा रोग, जड़ गलन रोग, जड़ फफोला रोग आदि के नाम से भी जाना जाता है.

श्रीराम एग्रो प्रोडक्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर अभिषेक गर्ग ने विस्तार से इस विषय पर बताया कि निमेटोड के प्रकोप से ग्रस्त होने वाली खास फसलें गेंहू, टमाटर, मिर्च, बैगन, भिंडी, परमल, धान इत्यादि हैं और फलों में अमरूद, सीताफल, अनार, नीबू, किन्नू, अंगूर जैसी अनेक फसलें हैं.

कैसे करें पहचान ?

अभिषेक गर्ग का कहना है कि यदि आप के पौधे बढ़ न पा रहे हों, पौधे सुखकर मुरझा जाते हैं और उन की जड़ों में गांठे बन गई हो और उन में लगने वाले फल और फूल की संख्या बहुत कम हो गई हो, तो हो सकता है कि यह निमेटोड का प्रकोप हो. इस के लिए जैविक समाधान से पौध संरक्षण कर सकते हैं.

मिट्टी में रसायन छिड़क कर निमेटोड की समस्या से छुटकारा पाने का प्रयास महंगा ही नहीं, बल्कि निष्प्रभावी भी होता है. निमेटोड और दीमक आदि कीड़ो को प्रभावी रूप से समाप्त करने के लिए नीमखाद पाउडर का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद है, इस के लिए नीम खली का तेल युक्त होना आवश्यक है.

नीम खाद नीम खली के इस्तेमाल से निमेटोड बनना रूक जाते हैं. नीमखाद के इस्तेमाल से उपज में अच्छी वृद्धि भी होती है और फूलों का ज्यादा बनना और फलों की संख्या भी बढती है और फलों को ज्यादा चमकदार और स्वादिष्ठ और उन का बड़ा आकार करने में भी मदद करता है.

नीम खली केवल कीटनाशक ही नहीं है, अपितु यह खाद भी है. इस में सभी प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व पौधे के लिए मौजूद होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाते हैं और मित्र कीटों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इस के अलावा, नीम खली के उपयोग से दीमक, सफेद गिडार, फंगस और गलन आदि सभी बीमारियों की रोकथाम भी होती है.

कैसे करें उपचार

फसलों के लिए गरमियों के मौसम में मिट्टी की गहरी जुताई करें और 1 हफ्ते के लिए खुला छोड़ दें, बोआई से पहले नीम खली 2 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से डाल कर फिर से जुताई करें. इस के बाद ही बोआई करें.

बागबानी में कैसे करें इस्तेमाल

अनार, नीबू, किन्नू, अंगूर और समस्त प्रकार के फलों व अन्य पौधों के रोपण के समय एक मीटर गहरा गड्ढा खोदकर नीम खली और सड़े गोबर की खाद/बकरी की मिंगन आदि मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर पौध रोपण करें. अगर पौधे पहले से ही लगा रखे हैं, तो भी पौधों की उम्र के हिसाब से नीमखाद की मात्रा संतुलित करें.  1 से 2 साल तक के पौधे में 1 किलोग्राम और 3 से 5 साल तक के पौधे में 2 से 3 किलोग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डाल कर पौधे की जड़ों के पास थाला बना कर मिट्टी में अच्छी तरह मिला कर पानी दें. साथ ही, घुलनशील नीम तेल भी ड्रिप के साथ इस्तेमाल करें.

किसान नीम खाद/नीम खली और घुलनशील नीम तेल की खरीद हेतु या अधिक जानकारी के लिए अभिषेक गर्ग से इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं :

9993441010, 9826721248 या उन की वैबसाइट भी देख सकते हैं.

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