गन्ना भारत की प्रमुख नकदी फसलों में से एक है और इसका उत्पादन लाखों किसानों की आजीविका का आधार है. यह फसल न केवल चीनी उद्योग के लिए खास है, बल्कि देश के ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी प्रदान करती है. गन्ने की खेती में पानी की अत्यधिक जरूरत होती है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, कम वर्षा, गन्ना किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है. ऐसे में गन्ने की खेती करना किसानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है.
लेकिन अब तरक्की के दौर में कम पानी में खेती करने की अनेक उन्नत तकनीकें कृषि क्षेत्र में आ गई हैं. जरूरत है इन्हें समझने और अपनाने की. हम बताने जा रहे हैं यहां एक ऐसी सिंचाई तकनीक के बारे में, जिसको अपनाने से कम पानी में भी मिलेगी गन्ने से भरपूर पैदावार.
बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति
गन्ने की खेती में जल प्रबंधन को बेहतर बनाने, उत्पादकता बढ़ाने और संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने में ड्रिप इरिगेशन एक आधुनिक सिंचाई तकनीक है. इस तकनीक में बंद-बूंद पानी का इस्तेमाल होता है. ऐसे में यह तकनीक किसी संजीवनी से कम नहीं है.
क्या है ड्रिप इरिगेशन तकनीक
ड्रिप इरिगेशन एक उन्नत सिंचाई तकनीक है, जिसमें पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक बूंद-बूंद करके पहुंचाया जाता है. यह प्रणाली विशेष रूप से उन फसलों के लिए उपयुक्त है जिनकी पानी की आवश्यकता नियंत्रित और सटीक रूप से पूरी की जा सकती है.
गन्ने जैसी फसलों में, जहां पानी की खपत अधिक होती है, ड्रिप इरिगेशन विधि से पानी का सही उपयोग किया जाता है और जल की बरबादी नहीं होती. इस प्रणाली में मुख्य रूप से पाइप, नलिकाएं और ड्रिपर का उपयोग होता है, जो खेत के प्रत्येक पौधे की जड़ों तक पानी पहुंचाते हैं. इस तकनीक में पानी को नियंत्रित कर सिंचाई की जाती है. इस में पानी की बरबादी बिलकुल नहीं होती.
गन्ने में ड्रिप इरिगेशन से क्या है फायदा
गन्ने की खेती में ड्रिप इरिगेशन के कई फायदे हैं, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से खास हैं, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत करते हैं. पानी की बूंद-बूंद का इस्तेमाल सिंचाई में होता हैऔर पानी की बरबादी नहीं होती.
पानी की हर बूंद का होता है इस्तेमाल
सामान्यतौर पर गन्ने की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, और पारंपरिक तरीके से सिंचाई करने पर पानी की बहुत बरबादी होती है, जबकि ड्रिप सिंचाई में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे पानी का व्यर्थ बहाव कम होता है और पानी की बचत होती है. इससे गन्ना किसानों को पानी की कमी से बचने में मदद मिलती है, विशेषकर ऐसे क्षेत्रों में जहां सिंचाई के लिए सीमित जल संसाधन हैं या कम पानी है.
मिलती है अधिक उपज
जब गन्ने को नियमित रूप से, लेकिन नियंत्रित तरीके से पानी मिलता है, तो इसकी जड़ें स्वस्थ रहती हैं और पौधों की बढ़वार में मदद मिलती है. इसके परिणामस्वरूप, उपज में बढ़त होती है और गन्ने की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
इस तकनीक में नहीं पनपते खरपतवार
ड्रिप इरिगेशन तकनीक से सिंचाई करने पर पानी केवल पौधों की जड़ों तक सीधा पहुंचता है, जिससे खेत के अन्य हिस्सों तक पानी नहीं फैलता और खरपतवारों को पनपने का मौका ही नहीं मिलता. अगर कहीं कुछ खरपतवार उगते भी हैं तो उनको बड़ी ही सरलता से नष्ट किया जा सकता है.
किसान की बचत ही बचत
पारंपरिक सिंचाई विधियों में समय और श्रम की अधिक आवश्यकता होती है, जबकि ड्रिप इरिगेशन में एक बार सिस्टम स्थापित हो जाने के बाद, सिंचाई प्रक्रिया स्वचालित और नियंत्रित होती है. इससे किसानों की मेहनत और समय की बचत होती है. पानी की भी बचत होती है.
मिट्टी में होता है सुधार
पारंपरिक सिंचाई में पानी की अधिकता से उपजाऊ मिट्टी की ऊपरी सतह बह सकती है, जबकि ड्रिप इरिगेशन से मिट्टी की संरचना बनी रहती है और जल प्रवाह संतुलित होता है. इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं होती और भूमि का स्वास्थ्य बेहतर रहता है.
कैसे करें तैयारी :
सबसे पहले, खेत की समतलता का ध्यान रखा जाता है. यदि खेती की जमीन में कोई असमानताएं हैं, जमीन समतल नहीं है तो उसे ठीक किया जाता है, ताकि पानी का बहाव एकसमान हो. खेत में नालियां भी बनाई जाती हैं, ताकि पानी का बहाव सही दिशा में हो सके.
पाइपलाइन और ड्रिपलाइन को बिछाना
ड्रिप इरिगेशन में पाइपलाइन और ड्रिपलाइन की सही स्थापना खास होती है. इन पाइपलाइनों में पानी का प्रवाह नियंत्रित किया जाता है. ड्रिपलाइन को खेत में हर पौधे के पास रखा जाता है, ताकि पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंच सके.
फिल्टर और पंप सिस्टम हो उत्तम
पानी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए फिल्टर का उपयोग किया जाता है, जिससे पौधों तक पानी पहुंचने में कोई अवरोध न हो. पंप सिस्टम का चयन भी खास है, क्योंकि यह पानी की आपूर्ति की गति और दबाव को नियंत्रित करता है.

नियंत्रण और मॉनिटरिंग जरूरी
ड्रिप इरिगेशन सिस्टम को खेत में लगाने के बाद इसकी नियमित रूप से परीक्षण और मॉनिटरिंग करना आवश्यक होता है. किसानों को यह सुनिश्चित करना होता है कि सिस्टम में कोई गड़बड़ी न हो और पानी का प्रवाह सही ढंग से हो रहा हो.
ड्रिप इरिगेशन प्रणाली में सब्सिडी का उठाएं लाभ
ड्रिप इरिगेशन प्रणाली की स्थापना की शुरुआत में कुछ निवेश की आवश्यकता होती है, जैसे पाइपलाइनों, पंप और फिल्टर की लागत आदि, जो आपको कुछ महंगा लग सकता है, लेकिन यह सिस्टम एक बार लगाने के बाद लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाता है और सरकार द्वारा इसे लगाने पर सब्सिडी का लाभ भी दिया जाता है, इसलिए यह घाटे का सौदा नहीं होता. दीर्घकालिक लाभ इस निवेश को उचित ठहराते हैं. इस प्रणाली से जल, उर्वरक, ऊर्जा और श्रम की बचत होती है, जिससे कुल उत्पादन लागत में कमी आती है और किसानों की आय में वृद्धि होती है.
भारत सरकार और राज्य सरकारें भी ड्रिप इरिगेशन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की सब्सिडी और वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जिससे किसानों को इस प्रणाली को अपनाने में सहायता मिलती है.
गन्ने की खेती में ड्रिप इरिगेशन एक प्रभावी और लंबे समय तक साथ देने वाली तकनीक है. यह न केवल जल की बचत करती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और उपज में भी बढ़ोतरी होती है. इस प्रणाली को अपनाकर किसान अपनी फसल की उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं.
हालांकि, इसको लगाने में शुरुआती खर्च अधिक हो सकता है, लेकिन इसके दीर्घकालिक लाभ किसान की आय में इजाफा और उत्पादन में सुधार लाते हैं. यदि इस सिस्टम को सही तरीके से स्थापित और संचालित किया जाए, तो ड्रिप इरिगेशन गन्ने की खेती को एक नई दिशा दे सकता है, जिससे कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव संभव है.





