कम पानी में खेती, ड्रोन का उपयोग, स्मार्ट कृषि, AI, मशीन लर्निंग में छोटा और सीमांत किसान कैसे लाभ ले सकता है, इस पर सरकार और वैज्ञानिकों को साथ मिलकर काम करना है. ये कहना है केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का, अंतर्राष्ट्रीय शस्य विज्ञान कांग्रेस में किसानों के लिए क्या रहा ख़ास , जानने के लिए पढ़े यह लेख –

International Agronomy Conference

छठा अंतर्राष्ट्रीय शस्य विज्ञान कांग्रेस (IAC–2025) का कार्यक्रम नई दिल्ली के एनपीएल ऑडिटोरियम, पूसा परिसर में 24 – 26 नवंबर तक आयोजित हुआ , जिसमें 20 देशों के कृषि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. पहले दिन केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की भी मौजूदगी रही. यह कांग्रेस भारत को जलवायु–स्मार्ट तथा स्मार्ट कृषि–खाद्य प्रणालियों में वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित करेगी.

कृषि मंत्री को छोटे और सीमांत किसानों की चिंता

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि, वे ऐसा अनुसंधान करें, जिससे आम किसानों को उसका लाभ मिले. पोषणयुक्त खाद्यान्न की उपलब्धता के साथ किसानों की आजीविका सुरक्षित करने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि आज प्राकृतिक खेती को बढ़ाना आवश्यक है, हम सबको चिंता करना जरूरी है कि यह धरती कैसी सुरक्षित रहे. कृषि में विज्ञान के माध्यम से हमने खाद्यान्न उत्पादन में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं, परंतु छोटी जोत के किसानों की आजीविका सुनिश्चित करने हेतु चिंतन करने की आवश्यकता है.

कृषि वैज्ञानिक करें विचार

कृषि मंत्री ने कहा कि, खराब बीज व मिलावटी इनपुट किसानों को बहुत नुकसान करते हैं, साथ ही मौसम की मार से उत्पाद की गुणवत्ता खराब हो जाती है. बदलती जलवायु परिस्थितियों के अनुसार समाधान देने की आवश्यकता है. साथ ही, दलहन और तिलहन उत्पादक बढ़ाने का समाधान देने की आवश्यकता है. अनुसंधान को सदृढ़ करने पर विचार करने की आवश्यकता है. दलहनों में वायरस अटैक से नुकसान होता है, उस पर भी कृषि वैज्ञानिक विचार करें.

रिसर्च पेपर नहीं किसानों के लिए काम करना होगा

उन्होंने यह भी कहा कि, जैविक कार्बन, सूक्ष्म पोषक तत्व की मृदा में निरंतर कमी हो रही है. डायरेक्ट सीडेड राइस में समस्याएं आ रही हैं, उसमें मैकेनाइजेशन की आवश्यकता है. कार्बन क्रेडिट का लाभ किसानों को मिले, इसको कैसे सुनिश्चित करें, यह भी वैज्ञानिक देखें. कृषि वैज्ञानिक किसानों की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान निकालते हुए इंटीग्रेटेड फार्मिंग को प्रोत्साहन दें. छोटे और सीमांत किसानों को नई टेक्नोलॉजी का सही अर्थों में लाभ मिलना सुनिश्चित करना चाहिए. छठी सस्य विज्ञान कांग्रेस की जो भी रिकमेंडेशन आएगी, उनको देश के नीति निर्धारण में शामिल करने पर कार्य किया जाएगा. साथ ही  पेपर लिखने पर रिसर्च करने से आगे बढ़कर किसान के लिए भी काम करने और किसानों की समस्याओं का मिलकर समाधान ढूंढ़ने पर जोर दिया.

सम्मेलन में इन विषयों पर हुआ फोकस

सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में जलवायु–सहिष्णुता से लेकर डिजिटल कृषि तक व्यापक चर्चा हुई. जिसके खास बिंदु रहें –

  • जलवायु–सहिष्णु कृषि एवं कार्बन–न्यूट्रल फार्मिंग
    Climate-Resilient Agriculture and Carbon-Neutral Farming
  • प्रकृति–आधारित समाधान और वन–हेल्थ
    Nature-Based Solutions and One Health
  • सटीक इनपुट प्रबंधन और संसाधन दक्षता
    Precision Input Management and Resource Efficiency
  • आनुवंशिक क्षमता का दोहन
    Harnessing Genetic Potential
  • ऊर्जा-कुशल मशीनरी, डिजिटल समाधान और पोस्ट-हार्वेस्ट प्रबंधन
    Energy-Efficient Machinery, Digital Solutions, and Post-Harvest Management
  • पोषण-संवेदनशील कृषि और इको–न्यूट्रिशन
    Nutrition-Sensitive Agriculture and Eco-Nutrition
  • लैंगिक सशक्तिकरण और आजीविका विविधीकरण
    Gender Empowerment and Livelihood Diversification
  • कृषि 5.0, नेक्स्ट–जेन शिक्षा और विकसित भारत 2047
    Agriculture 5.0, Next-Generation Education, and Developed India 2047

युवा वैज्ञानिक एवं छात्र सम्मेलन के सत्र भी आयोजित किए गए.

ICAR के महानिदेशक ने किया संबोधित 

डॉ. एम.एल. जाट ने IAC–2025 को भारतीय शस्य विज्ञान का ‘Turning Point Congress’ बताते हुए कहा, “हमें भविष्य की खेती के लिए फ्यूचरिस्टिक शस्य विज्ञान, डेटा–आधारित निर्णय प्रणाली, AI–enabled advisories, सटीक प्रबंधन तकनीकें, और जलवायु–स्मार्ट कृषि मॉडल विकसित करने होंगे. इस कांग्रेस में प्रस्तुत सुझाव और नवाचार ICAR की दीर्घकालिक शोध दिशा—Vision 2050—और राष्ट्रीय नीति–निर्माण के लिए Guiding Path का कार्य करेंगे. कृषि–विज्ञान को आज के किसान, आज के बाजार और आज की जलवायु–वास्तविकताओं से जोड़ना समय की मांग है.” उन्होंने आश्वस्त किया कि, IAC–2025 की सिफारिशों को ICAR व्यापक शोध कार्यक्रमों में प्राथमिकता के साथ सम्मिलित करेगा.

इन्होंने कही अपनी बात

3 दिन तक चले इस समारोह में डॉ. संजय सिंह राठौर ने IAC–2025 से उभरी प्रमुख सिफारिशों एवं निष्कर्षों को प्रस्तुत किया. डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा, “भविष्य की चुनौतियां अलग–थलग प्रयासों से नहीं, बल्कि सिस्टम साइंस के दृष्टिकोण से हल होंगी. हमें अनुसंधान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में मौजूद अंतरालों (research & NRM gaps) की पहचान कर समग्र समाधान विकसित करने होंगे.” डॉ. पंजाब सिंह, पूर्व DG ICAR, और डॉ. अरविंद कुमार, पूर्व कुलपति, CAU झांसी ने भी संबोधित किया.

कौन रहें उपस्थित 

इस मौके पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय कृषि सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी, ICAR के महानिदेशक डॉ. मांगीलाल जाट, भारतीय शस्य विज्ञान सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. शांति कुमार शर्मा भी उपस्थित थे.भारतीय शस्य विज्ञान सोसाइटी (ISA) द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी (NAAS) एवं ट्रस्ट फॉर ऐड्वैन्समेंट ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज (TAAS) के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में विश्वभर से 1,000 से अधिक प्रतिभागियों ने की सहभागिता की है. इनमें वैज्ञानिक, नीति–निर्माता, कृषि के विद्यार्थी, विकास साझेदार तथा उद्योग विशेषज्ञ भी शामिल हैं.
फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO), अंतर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं विकास संस्थान (CIMMYT), अर्द्ध-शुष्क कटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT), अंतर्राष्ट्रीय धान अनुसंधान संस्थान (IRRI), अंतरराष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रों के लिए कृषि अनुसंधान केंद्र (ICARDA), अंतर्राष्ट्रीय उर्वरक विकास केंद्र (IFDC) सहित कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के वैज्ञानिक भी उपस्थित रहे.

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