अमरूद अब गरीबों का फल नहीं रह गया है और इसकी कीमत भी अन्य फलों के समान ही बाजार में अच्छी मिलती है, इसलिए जरूरी है कि समय- समय पर बाग का प्रबंधन भी करें, जिससे उम्दा पैदावार मिले. अमरूद के पेड़ पुराने होने पर ज्यादातर पत्तियां पीली होने लगती हैं और सूखने लगती हैं, इसलिए इन पेड़ों से फल उत्पादन अच्छा मिल सके, इसलिए इनका जीर्णोद्धार करना जरूरी हो जाता है. जानिएं कैसे पुराने अमरूद बागों से लें सकते हैं अच्छा उत्पादन-

कब करें जीर्णोद्धार की प्रक्रिया

दिसंबर से फरवरी के बीच जीर्णोद्धार करने के बाद सही मात्रा में नए कल्ले बनते हैं और उन कल्लों का मई-जून में प्रबंधन किया जाता है, जिससे जाड़े में अच्छी फसल होती है. इसी प्रकार मई में जीर्णोद्धार किए पौधे से निकलने वाले कल्लों का प्रबंधन अक्तूबर में किया जाता है, जिससे बरसात में फसल आती है.

सही प्रबंधन, अच्छी फलत, उचित दाम

प्रबंधन में कल्लों की लंबाई के आधे भाग को काटा जाता है. कटे हुए भाग से दोबारा ज्यादा संख्या में नए कल्ले निकलते हैं, जिन पर फूल और फल आते हैं. पुराने घने व आर्थिक लिहाज से बेकार पेड़ों को जमीन से 1.0 से 1.5 मीटर की ऊंचाई पर कटा जाता है. इसके बाद हर साल मई में पेड़ों की कांट – छांट करते हैं, जिससे जाड़े में अधिक फल मिल जाते हैं और साथ ही पौधों के फैलाव और आकार पर भी नियंत्रण बना रहता है. फलों को उगाकर और अधिक उत्पादन लेकर ही बागबानी का काम खत्म नहीं हो जाता. फलों की समय से तोड़ाई कर उन्हें बाजार भेजा जाता है.

फलों की तुड़ाई में सावधानी जरूरी

फलों को तोड़ते समय ध्यान रखें कि, फल को किसी प्रकार की चोट या खरोंच न लगे. फलों पर खरोंच लगने पर उसकी गुणवत्ता पर फर्क पड़ता है और बाजार भाव अच्छा नहीं मिलता. पेड़ की डालियों को जोर से हिलाकर भी फलों को नीचे नहीं गिराना चाहिए. हमेशा फलों की तोड़ाई के लिए ऊंचे स्टूलों व हलकी सीढ़ियों का इस्तेमाल करना चाहिए. सभी फलों को थोड़े डंठल सहित कैंची से काटना चाहिए. स्थानीय बाजार के लिए अगर डंठल में कुछ हरी पत्तियां लगी हों, तो ज्यादा सुंदर लगता है. यदि फलों को शीतगृहों में रखना हो, तो उन को पत्तियों सहित नहीं तोड़ना चाहिए.

फलों की तोड़ाई के बाद क्या करें

अमरूद एक नाजुक फल है, जो तोड़ाई के बाद जल्दी खराब हो जाता है, लिहाजा ऐसे फलों को साधारण तापमान पर 2-4 दिनों तक ही अच्छी अवस्था में भंडारित किया जा सकता है. फलों को ज्यादा समय तक स्वस्थ अवस्था में भंडारित करने और सही मूल्य हासिल करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों का सहारा लिया जाता है. फलों व सब्जियों को तोड़ाई के बाद जूट से बने थैलों, अरहर की टोकरी, क्रेट या गत्ते वगैरह में भरकर किसी छायादार जगह में पॉलीथिन सीट या जूट के बोरे के ऊपर फैलाकर रखना चाहिए. खुरदरी सतह वाली टोकरियों से भी फलों पर खरोंच व घाव आ जाते हैं, लिहाजा चिकनी सतह वाली टोकरी का इस्तेमाल करना चाहिए.

कैसे मिलेगा अच्छा बाजार भाव

अमरूद के उत्पादन का सही मूल्य तभी मिल सकता है, जब अमरूद के फल रंग – रूप और आकार में समान, आकर्षक व स्वाद से भरपूर हों. अच्छी फसल हासिल करने के लिए पौध तैयार करने से लेकर फलों की बढ़ोतरी तक कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे स्थानीय व निर्यात संबंधी प्रजातियों का चयन व प्रसंस्करण के लिहाज से मुनासिब प्रजाति का चयन.
अमरूदों की तोड़ाई से पहले 2 फीसदी कैल्शियम क्लोराइड घोल का 10 दिनों के अंतराल पर 3 बार छिड़काव करने व फलों की थैलाबंदी करने से फलों की गुणवत्ता व भंडारण कूवत में इजाफा होता है.

फलों का रखरखाव कैसे करें

फलों की थैलाबंदी की तकनीक उन के आकार व गुणवत्ता में इजाफा करने व खासतौर से सर्दी के मौसम में उनको जल्दी पकाने में फायदेमंद होती है. इस सरल तकनीक से कच्चे फलों को तोड़ने से 1 महीने पहले पुराने अखबार के थैलों में बंद कर देते हैं. ऐसे फलों का तापमान, आकार व वजन बिना थैलाबंदी वाले फलों के मुकाबले बढ़ जाता है व फल जल्दी पकते हैं. फलों पर आकर्षक पीला रंग उभरकर आता है और फल धब्बे रहित, चमकदार, स्वादिष्ठ व पौष्टिकता से भरपूर होते हैं. इसके अलावा थैलाबंदी से फलों को चिड़िया, गिलहरी, तोता, फलमक्खी व फफूंद से बचाया जा सकता है.

यदि फल के साथ एकाध पत्तियां लगी हों, तो फल ज्यादा समय तक ताजे व आकर्षक बने रहते हैं और उनकी भंडारण कूवत में भी इजाफा होता है. तोड़ने के बाद फलों को अखबार लगी हुई टोकरियों में ठंडी व छायादार जगह पर रखना चाहिए.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...