मुर्गीपालन का रोजगार जरूरी नहीं है कि बड़े स्तर पर पोल्ट्री फार्म खोलकर ही किया जाए, बल्कि गरीब आदिवासी किसान भी खेती के साथ-साथ मुर्गीपालन कर सकते हैं. मुर्गीपालन व्यवसाय के साथ मशरूम की खेती करने से अधिक मुनाफा मिलता है खासकर आदिवासी किसान तो सरकार की योजना का अधिक लाभ भी उठा सकते हैं. जानिए कैसे?

मुर्गीपालन के साथ मशरूम की खेती 

किसान मुर्गीपालन व्यवसाय के साथ मशरूम की खेती करके अपनी आय बढ़ा सकते हैं. मशरूम की खेती कम लागत में की जा सकती है और यह अतिरिक्त आय का अच्छा जरीया है. इससे किसानों की माली हालत भी सुधरेगी.

कैसे मिलेगा अधिक मुनाफा

मुर्गीपालन के साथ मशरूम की खेती अगर आप प्रशिक्षण ले कर करेंगे तो आप को मिलेगा अधिक मुनाफा. इसके लिए समय-समय पर ट्रेनिंग प्रोग्राम होते हैं जहां से किसान बहुत कम दिन का प्रशिक्षण ले सकते हैं. अभी हाल ही में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर में अनुसूचित जनजाति उपयोजना के अंतर्गत गांव गड़ावन, तहसील ऋषभदेव, जिला उदयपुर में एक दिवसीय मुर्गीपालन विषय पर प्रशिक्षण हुआ, जिसमें 50 प्रशिक्षणार्थियों को 20 प्रताप धन मुरगी नस्ल के चूजे भी मुफ्त में दिए गए.

इस प्रशिक्षण में डा. नारायणलाल मीणा ने किसानों को मुर्गीपालन के साथ-साथ मशरूम की खेती करने पर जोर दिया और कहा कि, प्रशिक्षण करके आप अधिक आय अर्जित कर सकते हैं.

90 तक फीसदी तक सब्सिडी का उठाएं लाभ 

डा. नारायणलाल मीणा के अनुसार, सरकार भी मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और प्रशिक्षण प्रदान कर रही है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके. मशरूम की खेती के अनेक फायदे हैं, जैसे कम जगह में अधिक उत्पादन और 40 से 90 फीसदी तक सरकारी सहायता.  ग्रामीण आदिवासी किसानों के लिए राजस्थान सरकार 90 फीसदी तक सब्सिडी दे रही है.

ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए खास अवसर

खेती के साथ अतिरिक्त कमाई करने के लिए ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के लिए इस तरह के सुनहरे अवसर होते हैं, इसलिए इनका लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि मुर्गीपालन और मशरूम की खेती सालों – साल चलने वाला काम है.

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