देशभर में हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाता है और यह तारीख भारत में पशुपालन के लिए इतिहास से जुड़ी एक खास तारीख याद कराती है. यह दिन दूग्ध दिवस डा. वर्गीस कुरियन की याद दिलाता है. डा. कुरियन का जन्म 26 नवंबर, 1921 को हुआ था. उन्होंने 1965 में गुजरात के आनंद से शुरू की गई ‘सफेद क्रांति’ के जरीए भारत को दुनिया का सब से बड़ा दूध उत्पादक देश बनाया.
क्या है राष्ट्रीय दुग्ध दिवस का इतिहास
1950 के दशक में भारत में दूध का उत्पादन बहुत कम था. जब डा. वर्गीस कुरियन ने ‘आपरेशन फ्लड’ के नाम से दुनिया का सब से बड़ा डेयरी विकास कार्यक्रम शुरू किया, इस का सीधा फायदा पशुपालकों को मिला. उन्हें सीधे दूध बेचने और उचित कीमत पाने की सुविधा भी मिली. दूध के बड़े ब्रांड्स की नींव में भी उन का बड़ा योगदान रहा और साल 2014 में पहली बार भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया गया.
क्यों मनाते हैं राष्ट्रीय दुग्ध दिवस
डा. वर्गीस कुरियन को देश में श्वेत क्रांति का जनक माना जाता है, इसीलिए उन के सम्मान में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (National Milk Day 2025) की शुरुआत की गई. अमेरिका से लौटने के बाद उन्होंने डेयरी क्षेत्र में काम करना शुरू किया और किसानों पशुपालकों के भले के लिए एक लाभकारी योजनाएं बनाईं.
बदल दी तस्वीर
डा. वर्गीस कुरियन की पहल पर कायरा डिस्ट्रिक्ट कोऔपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड की स्थापना हुई, जिसे आज पूरा देश अमूल ब्रांड के रूप जानता है. उन के नेतृत्व में औपरेशन फ्लड शुरू किया गया, जिस ने भारत में दूध उत्पादन की तसवीर बदल कर रख दी.
दूध उत्पादन में भारत बना आत्मनिर्भर
इस अभियान के 3 चरणों में देशभर में दूध का एक मजबूत ग्रिड तैयार किया गया, जिस से लाखों किसान पशुपालकों को दूध का बेहतर दाम मिलने लगा और देश दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया. इस के बाद साल 2014 में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, भारतीय डेयरी संघ और देश के 22 राज्य स्तरीय दुग्ध संघों ने मिल कर फैसला लिया कि डा. कुरियन के योगदान को याद रखने के लिए हर साल 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाया जाए. तभी से डा. वर्गीस कुरियन के सम्मान में यह खास दिन मनाया जाता है.
भारत दूध उत्पादन में बना नंबर वन
भारत दुनिया के सब से बड़े दूध उत्पादक देशों में शामिल है और करोड़ों परिवार अपनी आय के लिए डेयरी पर निर्भर हैं. लिहाजा, आज भारत दुनियाभर में सब से अधिक दूध उत्पादन करने वाला देश बन गया है, जिस में उत्तर प्रदेश देश में सब से ज्यादा दूध उत्पादन करता है. आज अनेक युवा डेयरी फार्मिंग कर के अधिक आय अर्जित कर रहे हैं और अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं.
कैसे बनाएं डेयरी फार्मिंग को रोजगार
जो लोग खेतीकिसानी से जुड़े हैं और डेयरी फार्मिंग करना चाहते हैं तो उन के लिए यह सब से बेहतर और लाभदायक रोजगार साबित हो सकता है. सरकार भी डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं चला रही है.
डेयरी फार्म के लिए मिलता है लोन
यह योजना उन लोगों के लिए शुरू की गई है जो डेयरी फार्म खोलना चाहते हैं. सरकार की पहल पर बैंक पात्र लोगों को उन के प्रोजैक्ट और लागत के आधार पर आसान शर्तों पर लोन उपलब्ध कराते हैं ताकि वे अपना डेयरी व्यवसाय शुरू कर सकें. इस योजना में 50,000 रुपए से ले कर अधिकतम 10 लाख रुपए तक का लोन दिया मिल सकता है.
कैसे मिलेगा डेयरी फार्म लोन
इसके लिए भारत का कोई भी नागरिक आवेदन कर सकता है, बशर्ते उस की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो. अगर लोन लेने के वाला कृषि क्षेत्र से जुड़ा है, तो उस को डेयरी लोन मिलने की संभावना और बढ़ जाती है.
लोन लेने के लिए जरूरी दस्तावेज
डेयरी फार्मिंग का काम शुरू करने के लिए आधारकार्ड, बैंक पासबुक, प्रोजैक्ट रिपोर्ट, आय प्रमाणपत्र, निवास प्रमाणपत्र, फोटो आदि की जरूरत होती है.
सालों पहले जिस दुग्ध क्रांति का आगाज डा. वर्गीस कुरियन ने किया था, उसको आगे बढ़ाने में भारत के पशुपालकों ने अनेक नए मुकाम बनाए हैं और आज अनेक लोग डेयरी फार्मिंग कर के नाम के साथ अच्छा पैसा भी कमा रहे हैं. तभी तो आज हमारा देश दूध उत्पादन में नंबर एक पर है.





