Hydroponics: कृषि-उद्यमिता को मजबूत करने के लिए कम लागत वाली हाइड्रोपोनिक्स (Hydroponics) इकाई और मशरूम स्पॉन बनेगा कमाई के एक ऐसा जरिया, जो देगा अच्छा मुनाफा वह भी बिना खेती की जमीन के. किसने की इसकी शुरुआत? कैसे मिलेगा इसका लाभ? जानने के लिए पढ़ें पूरी जानकारी.
कृषि विज्ञान केंद्र को जाता है श्रेय
खेती को आधुनिक बनाने और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए इस बड़े कदम की शुरुआत भाकृअनुप-अटारी, कोलकाता के तहत हावड़ा कृषि विज्ञान केंद्र ने की है. यह तकनीक के दौर में एक नई शुरुआत है. ग्रामीण लोगों के लिए यह एक नई पहल है जिसके तहत मशरूम स्पॉन उत्पादन के मशरूम की खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सकेगा और कम लागत वाली हाइड्रोपोनिक (Hydroponics) प्रणाली से अनेक उत्पादन लिए जा सकेंगे.
किन-किन सब्जियों को उगा सकेंगे इस तकनीक से
कम लागत वाली हाइड्रोपोनिक (Hydroponics) यूनिट से हरी पत्तेदार सब्जियां, ग्राफ्टेड बैगन, शिमला मिर्च तथा अन्य ज्यादा कीमत वाली फसलों की बिना मिट्टी के उगाया जा सकता है खासकर महिला किसानों के लिए मशरूम स्पॉन की शुरुआत का मकसद विविधीकरण को बढ़ावा देना और रोजगार को बढ़ावा देना है.
निदेशक अटारी जोन कोलकाता का क्या है कहना
डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कोलकाता ने कहा कि, यह दोनों पहल इस साल के विश्व मृदा दिवस की थीम के अनुरूप हैं और हावड़ा जैसे जिलों में शहरों के आसपास की खेती की नई जरूरतों को पूरा करती हैं. ये नवाचार पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हैं, साथ ही स्थायी, एकीकृत मॉडल के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने का काम करते हैं. इस तरह की नई शुरुआत से ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते बनते.
निदेशक, जूट विकास निदेशालय क्या कहते है
जिंटू दास, निदेशक, जूट विकास निदेशालय ने भी इन 2 नई पहलों की सराहना की और कहा कि, हावड़ा केवीके की यह उपलब्धि क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण साबित होगी.
हरे चारा भी उगेगा इस तकनीक से
कम लागत वाले इस हाइड्रोपोनिक (Hydroponics) इकाई से चारा उत्पादन मॉडल के प्रसार की योजना भी बनाई है, जिसे गांव के स्तर पर उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है. राज्य पशु संसाधन विकास विभाग ने भी हावड़ा जिले के बकरीपालकों के बीच इस मॉडल को बड़े पैमाने पर लागू करने का प्रस्ताव दिया है, जिससे साल-भर तक हरे चारे का उत्पादन कर सकते हैं, वह भी किफायती दामों पर.
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता की यह नई पहल, जिसे हावड़ा कृषि विज्ञान केंद्र ने असली जामा पहनाया है, निश्चित ही किसानों, बेरोजगारों, महिलाओं के लिए एक नई तकनीक की सार्थक पहल है, जो रोजगार के नए आयाम स्थापित करेगी.





