Bee Museum : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय का मधुमक्खीपालन संग्रहालय (Bee Museum) शोधार्थियों और किसानों को मधुमक्खीपालन से संबंधित नवीनतम तकनीकों, उपकरणों और वैज्ञानिक जानकारी देने में सहायक सिद्ध होगा. यह विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कीट विज्ञान अनुसंधान फार्म में नवनिर्मित मधुमक्खीपालन संग्रहालय (Bee Museum) का उद्घाटन करने के बाद शोधार्थियों और वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए दिया.
उन्होंने आगे बताया कि मधुमक्खीपालन न केवल कृषि की उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है, बल्कि किसानों की आय दोगुनी करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
उन्होंने कहा कि संग्रहालय से मधुमक्खीपालन के प्रशिक्षण और अनुसंधान कार्यों को गति देने में भी मदद मिलेगी. मधुमक्खियां जैव विविधता बनाए रखने और पर्यावरण संतुलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. उन्होंने कहा कि मधुमक्खी संग्रहालय (Bee Museum) ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार सृजन के क्षेत्र में भी मददगार साबित होगा.
कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने बताया कि संग्रहालय शोधकर्ताओं और किसानों के लिए मधुमक्खियां के जीवनचक्र, प्रजातियां और परगना प्रक्रिया को समझने का उत्कृष्ट माध्यम है. यहां पर आगंतुकों को मधुमक्खीपालन की तकनीक, उपकरण और आधुनिक तरीकों की जानकारी मिलेगी. उन्होंने बताया कि यहां पर शोधार्थी और वैज्ञानिक मधुमक्खियां के व्यवहार, रोग, उत्पादन और पर्यावरणीय प्रभाव पर गहराई से अध्ययन कर सकेंगे. संग्रहालय मधुमक्खीपालन के महत्त्व और इस के बहुआयामी लाभों को सामने लाने के साथसाथ कृषि शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में सहायक सिद्ध होगा.
उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों और किसानों के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. संग्रहालय से विद्यार्थियों और किसानों को सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त होगी और इस क्षेत्र में नवाचार और उद्यमिता के अवसरों के लिए उन्हें प्रेरित भी किया जा सकेगा.
कीट विज्ञान की विभागाध्यक्ष डा. सुनीता यादव ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत करते हुए बताया कि किसानों के लिए कृषि कार्य के साथसाथ मधुमक्खीपालन अतिरिक्त आय का साधन है. मधुमक्खीपालन से किसान शहद, मोम, रौयल जैली और परागण का व्यवसाय कर के अपनी आमदनी में बढ़ोतरी कर सकते हैं.
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, अधिकारी, कर्मचारी आदि उपस्थित रहे.





