बर्ड फ्लू यानी एवियन इनफ्लूएंजा पक्षियों में पाए जाने वाला एक बहुत ही घातक, संक्रामक, विषाणुजनित रोग है जो कि इनफ्लूएंजा टाइप ‘ए’ नामक विषाणु से होता है. यह मुरगी और बतख जैसे घरेलू पक्षियों को बीमार कर के उन की मौत कर सकता है.

जलीय पक्षी जैसे कि बतख, कलहंस और अन्य प्रवासी पक्षी जैसे कि गल्स, टर्नर, शोरबर्ड आदि इस विषाणु के धारक होते हैं, जिन में रोग उत्पन्न नहीं होता, लेकिन विषाणु पक्षियों के शरीर में जीवित रहता है और पक्षियों के एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन व प्रवास के कारण मुरगियों और अन्य पक्षियों में फैल जाता है. पक्षियों के अलावा यह विषाणु अन्य पशुओं जैसे कि सूअर, कुत्ते के साथसाथ मनुष्य को भी संक्रमित करता है.

पूरी दुनिया में बर्ड फ्लू बीते कुछ दशकों से मुरगियों में रोग उत्पन्न कर रहा है, जिस से पशुपक्षीपालकों को काफी माली नुकसान होता है.

बर्ड फ्लू का संक्रमण तेजी से बीमार पक्षियों से अन्य स्वस्थ पक्षियों में फैल जाता है, क्योंकि बर्ड फ्लू का विषाणु पक्षियों के उत्सर्न, लार व मल में होता है और विषाणु शीघ्रता से वातावरण में फैल कर अन्य पक्षियों में फैल कर संक्रमित करता है.

एचपीएआई प्रकार के एच5एन1 इनफ्लूएंजा विषाणु तीव्र रोग उत्पन्न करते हैं जिस से पक्षियों की मौत हो जाती है. संक्रमण की स्थिति में 90 से 100 फीसदी पक्षियों की 48 घंटे की भीतर मौत हो जाती है.

क्या मनुष्य में बर्ड फ्लू रोग होता है?

आमतौर पर विषाणु मनुष्य को संक्रमित नहीं करते हैं, परंतु यदि कोई व्यक्ति बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आता है और वह संक्रमित पक्षियों के मांस अथवा अंडों के संपर्क में आता है, तो वह व्यक्ति बर्ड फ्लू के विषाणु से संक्रमित हो सकता है.

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