आज देश की आबादी दिनोंदिन बढ़ रही है, जिस से दूध की मांग बढ़ना लाजिमी है. हालांकि दूध उत्पादन के मामले में हम दुनियाभर में पहले नंबर पर हैं और सब से ज्यादा गौवंश भी हमारे देश में है. इस के बावजूद हमें दूध उत्पादन बढ़ाना होगा. हमें दुधारू पशुओं से दूध लेने के लिए पारंपरिक तरीकों से हट कर आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा, जिस में दूध का और ज्यादा उत्पादन मिल सके. इस देश में पशुपालकों के लिए अनेक सरकारी योजनाएं चल रही है, अनेक निजी कंपनियां भी काम कर रही हैं.

‘ट्रौपिकल एनिमल जैनेटिक्स’ (टीएजी) प्रा.लि. ने भी पहल की है. अपने जैव प्रौद्योगिकी नवाचारों के जरीए डेरी उद्योग में बढ़ावा दिया है. पशु गर्भाधान में इस्तेमाल होने वाली आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एम्ब्रियो ट्रांसफर) तकनीक को अपनाने वाली यह पहली भारतीय कंपनी है. इस क्रम में नई बातें जानने के लिए ‘फार्म एन फूड’ ने डा. प्रवीण किनी से बातचीत की. उन्होंने कुछ ऐसी बातें साझा कीं, जो पशुपालकों के लिए लाभकारी साबित होंगी.

आज पशुपालन करना काफी खर्चीला हो गया है, खासकर शहरी इलाकों में. इस के लिए सरकार ने पशुपालकों के लिए अनेक योजनाएं भी बना रखी हैं. ऐसे में आप खुद को कहां खड़ा पाते हैं? पशुपालकों तक कैसे पहुंच पाते हैं? अपनी बात उन तक कैसे पहुंचाते हैं?

छोटे डेरी फार्म स्तर पर किसानों को सब्सिडी, पूंजी, भूमि और ब्याज के साथ समर्थन देने के लिए कई योजनाएं हैं. सरकार भारतीय कंपनियों के साथ काम कर रही है और उन्हें अनुदान प्रदान कर रही है. नई आरएंडडी सुविधाएं दे रही है. अभी भी बहुत काम करना बाकी है. हम सभी भारतीय किसानों के लिए सस्ती तकनीक लाने के लिए सरकार के साथ काम कर रहे हैं.

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