Guava : अमरूद कभी इतना सस्ता बिकता था कि इसे लोग गरीबों का सेब कहते थे. लेकिन अब जैसेजैसे अमरूद (Guava) की अहमियत लोगों को पता चलने लगी है, तो यह किसी भी दूसरे फल से पीछे नहीं रहा.

अमरूद (Guava) को आमतौर पर किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. फिर भी अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी ज्यादा ठीक है. कभीकभी क्षारीय मिट्टी में उकटा रोग हो सकता है.

पौध लगाने का समय : अमरूद की पौध जुलाईअगस्त में लगाई जाती है, लेकिन जहां सिंचाई के सही साधन हैं वहां फरवरीमार्च के महीने में भी पौधे रोपे जा सकते हैं.

पौध रोपने से पहले जमीन को अच्छी तरह से जोत कर एकसार कर लें और 6 मीटर की दूरी पर गड्ढे खोद लें. गोबर की खाद व आर्गेनिक खाद को उन गड्ढों की मिट्टी में अच्छी तरह से मिला दें. इस मिट्टी को वापस उन गड्ढों में भर दें. इस के बाद गड्ढों की सिंचाई कर दें. ऐसा करने से मिट्टी गड्ढे में बैठ जाएगी. इस के बाद पौधों को उन गड्ढों के बीच में लगा दें व फिर से हलकी सिंचाई कर दें.

अगर हम सिंचाई से पहले ही पौधे गड्ढे में लगा देंगे, तो गड्ढे में सिंचाई करने पर पौधे इधरउधर हो जाएंगे यानी ठीक से नहीं लग पाएंगे.

पौधों की सिंचाई सर्दी के मौसम में 10-15 दिनों में करनी चाहिए, जबकि गरमी के दिनों में 1 हफ्ते में पौधों को पानी देना चाहिए.

खरपतवार व कीट रोकथाम: पौधे लगाने के 15-20 दिनों बाद  निराईगुड़ाई कर के तमाम खरपतवार निकाल दें. गड्ढों को ठीक कर के उन्हें खूबसूरत थालों का रूप भी दे दें, जिस से ज्यादा पानी बरबाद न हो व बाग की सुंरदता भी बनी रहे.

पौधों व फलों में बरसात के दिनों में कीटों का प्रकोप ज्यादा रहता है, जिस से पौधों व फलों की बढ़वार पर असर तो पड़ता ही है फलों की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है, जिस से बाजार भाव भी कम मिलता है.

अमरूद (Guava) के पेड़ों पर छाल खाने वाले कीट, फलछेदक कीट, फल में अंडा देने वाली मक्खी व शाखाबेधक कीट लगते हैं. इन के प्रकोप से बचने के लिए नीम की पत्तियों को पानी में अच्छी तरह उबाल लें फिर उस को ठंडा कर के उस से पेड़ों पर छिड़काव करें.

Guava

कीटों के अलावा अमरूद (Guava) में दूसरी बीमारियां भी होती हैं, जिन में उकटा रोग व तना कैंसर प्रमुख हैं. इस प्रकार के रोगों से बचाव के लिए रोगी पौधे को निकाल कर नष्ट कर दें या रोग से पीडि़त डाली को काट कर हटा दें और उसे जला कर खत्म कर दें. जहां से डाली काटी है, वहां कटे हिस्से पर ग्रीस लगा दें. पेड़ के रोग पीडि़त भाग को खेत में यों ही न फेकें, वरना उस से दूसरे स्वस्थ पेड़ों में भी रोग लगने का खतरा रहता है.

उपज : पेड़ों पर फूल आने के 3 महीने बाद से फल पकने लगते हैं. जब फलों का रंग हलका पीलापन लेने लगे, तब उन को तोड़ लें. उन्हें साथसाथ मंडी में भेजते रहें, क्योंकि अमरूदों का ज्यादा समय तक भंडारण नहीं कर सकते. ज्यादा समय तक रखने से अमरूदों (Guava) का ताजापन खत्म होने लगता है. आमतौर पर एक ठीकठाक अमरूद के पेड़ से तकरीबन 500 अमरूद मिल जाते हैं.

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