Marigold Flowers  : चमकीले पीले और मैरून रंग के गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) की खेती से किसानों की जिंदगी में हरियाली आ सकती है. विवाह समेत कई उत्सवों और जलसों में सजावट के साथ ही कई तरह की दवाओं को बनाने में भी गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) का इस्तेमाल होता है. इस की सब से बड़ी खासीयत यह है कि पूरे साल इस की खेती की जा सकती है. इस की खेती किसानों को मालदार बनाती है.

कृषि वैज्ञानिक बृजेंद्र मणि बताते हैं कि गेंदे के फूल 2 किस्म के होते हैं. एक है अफ्रीकन किस्म और दूसरी है फ्रेंच किस्म. अफ्रीकन किस्म के गेंदे के फूल और पौधे दोनों का आकार बड़ा होता है. पूसा नारंगी, पूसा बसंती, अफ्रीकन एलो, जाइट डबल, जाइट औरेंज इस की खास किस्में हैं. फ्रेंच गेंदे के पौधे और फूल दोनों ही छोटे होते हैं. कपिड एलो, रस्ती एलो, रेड ब्रोकेड, बटर स्कौच, लोकल इस की मुख्य किस्में हैं.

गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) की खेती से किसानों को भरपूर कमाई होती है. बाजार में इन की मांग और खपत हमेशा बरकरार रहती है. 1 हेक्टेयर खेत में 10 से 15 लाख फूल पैदा किए जा सकते हैं. हर साल प्रति हेक्टेयर से 5 से 8 लाख रुपए तक की कमाई हो सकती है. थोक बाजार में गेंदे के फूल की बड़ी माला 8 रुपए में और छोटी माला 4 रुपए में मिलती है, जबकि खुदरा बाजार में बड़ी माला 15 से 20 रुपए और छोटी माला 8 से 12 रुपए में बिकती है.

गेंदे की खेती करने वाली पटना से सटे मसौढ़ी प्रखंड के कटका गांव की किसान रजिया सुल्ताना कहती हैं कि पूरे साल लगातार फूल लेने के लिए बीजों की नर्सरी 3 बार उगानी पड़ती है.

Marigold Flowers

पहली बार मईजून महीने में बीज को लगा कर जुलाई महीने में पौधों की रोपनी की जाती है. दूसरी बार बीजों को सितंबर के आखिरी महीने में और फिर पौधों को नवंबर के पहले हफ्ते में लगाया जाता है. तीसरी बार जनवरीफरवरी में बीज लगाए जाते हैं और उस से उगे पौधों को मार्च में लगा दिया जाता है.

गेंदे के पौधों को बीज और कटिंग दोनों ही तरीकों से तैयार किया जा सकता है. बीज से तैयार पौधे कटिंग के जरीए तैयार पौधों से ज्यादा मजबूत और उपजाऊ होते हैं. केवल फ्रेंच गेंदे और वर्ण संकर पौधों की कटिंग से बने पौधे बीज वाले पौधों से बेहतर होते हैं.

किसानों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब पौधे 4-5 पत्तियों वाले हो जाएं तो उन की रोपनी कर देनी चाहिए. बड़े पौधे वाली किस्मों को लाइन से लाइन 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे 35 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए. गरमी के मौसम में हफ्ते में 2 बार सिंचाई करनी चाहिए, जबकि बलुई मिट्टी में 2-3 दिनों के अंतराल पर पानी डालने की जरूरत होती है.

गेंदे की व्यावसायिक खेती के लिए मिट्टी की जुताई कर के उसे भुरभुरा बना लें. इस की खेती के लिए गहरी बलुई, दोमट और उवैर मिट्टी काफी मुफीद है. इस की खेती उसी जमीन पर करें, जहां से पानी की निकासी का अच्छा इंतजाम हो. खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना कर प्रति हेक्टेयर 350 किलोग्राम नाइट्रोजन व 200 किलोग्राम फास्फोरस डालनी चाहिए. 250 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर डालने से फूलों का उत्पादन काफी बढ़ जाता है.

अफ्रीकन गेंदे के अच्छे फूलों की पैदावार के लिए रोपनी के 30 से 40 दिनों के बाद जब पहली कली नजर आए, तो शाखाओं के अगले भाग को 2 से 3 सेंटीमीटर काट कर निकाल देने से शाखाओं की संख्या बढ़ जाती है. इस से पौधे ज्यादा घने और झाड़ीदार हो जाते हैं,जिस वजह से फूलों का आकार और संख्या दोनों बढ़ जाती है.

रोपे जाने के 60 से 70 दिनों के बाद पौधे फूल देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं. गेंदे के फूलों (Marigold Flowers) को सुबह या शाम के वक्त ही तोड़ना चाहिए. फूलों की तोड़ाई के समय अगर खेतों में नमी हो तो तोड़े गए फूल ज्यादा समय तक ताजा रहते हैं.

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