एक ताजा सर्वे में नई दिल्ली को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा लगातार विश्व स्तर पर सब से प्रदूषित शहरों में शुमार किया गया है. भारतीय वन सर्वे की नई रिपोर्ट से पता चलता है कि दिल्ली का कुल हरित क्षेत्र केवल 23.06 फीसदी है, जो कि साल 1988 की राष्ट्रीय वन नीति के तहत एकतिहाई क्षेत्र की सिफारिश से काफी कम है.

रूफटौप बागबानी पौधों की खेती के लिए खाली छत का उपयोग कर के शहरी पर्यावरण को सुधारने का एक अनूठा अवसर है, जिस से जैव विविधता में वृद्धि, शहरी गरमी का प्रभाव को कम करना, हवा की क्वालिटी में सुधार और साथ ही साथ सतत शहरी जीवन को प्रोत्साहित किया जा सकता है.

कोरोना महामारी के बाद लोगों में सेहत और पर्यावरण को ले कर जागरूकता बढ़ी है. लोग भोजन में बिना कैमिकल, बिना कीटनाशक का प्रयोग किए फलसब्जियों का इस्तेमाल करना चाहते हैं.

छत पर बागबानी के लिए न बहुत ज्यादा मिट्टी और न ही बहुत ज्यादा पानी की जरूरत होती है. छत पर बागबानी में धनिया, पालक, मेथी के साथ टमाटर, लौकी या कोई बेल वाली सब्जी या फिर कोई फल उगाया जा सकता है. सुंदरता बढ़ाने के लिए और परागण के लिए फूलों के पौधे लगाना भी लाभकारी होता है.

मानूसन से प्रभावित और आर्द्र उपोष्ण कटिबंधीय और अर्धशुष्क है, जो विभिन्न प्रकार के पौधों एवं वनस्पतियों के लिए उपयुक्त है.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर, 2016 के अध्ययन से पता चला है कि दिल्ली क्षेत्र में छतों का उपयोग बागबानी के लिए उपयुक्त है, जो हरित शहरीकरण की दिशा में एक बेहतरीन कदम हो सकता है. दिल्ली के विकास को नई दिशा देने के लिए मास्टर प्लान 2041 में रूफटौप बागबानी को बढ़ावा देने के लिए नागरिकों को बढ़ावा देते हुए सलाह देने का प्रावधान भी शामिल हैं.

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