इन दिनों दुनियाभर में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ाए जाने के साथ ही किसानों की आय को दोगुना किए जाने पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन यह तभी संभव है, जब किसान उत्पादन बढ़ाने वाले तरीकों को अजमाने के लिए खुद आगे आएं, क्योंकि सरकारों के भरोसे कभी भी किसानों का भला नहीं हो सकता है.
ऐसे दौर में किसानों को उत्पादन के साथ ही अपनी आय बढ़ाने के लिए उन्नत खाद, बीज और तकनीकी का सहारा लेनें की जरूरत है.

किसान जब तक किसानी के साथ ही एक बनिया के रूप में अपनी सोच नहीं विकसित कर लेगा, तब तक उसे खेती में घाटा उठाना ही पड़ेगा. इसलिए किसानों को चाहिए कि वह व्यावसायिक और नकदी फसलों पर ज्यादा जोर दें.

ऐसी ही एक नकदी फसल है पंखिया सेम, जो सेम की आम प्रजातियों से अलग हट कर है. इस में पाए जाने वाले पोषक तत्व सेहत के लिहाज से भी अच्छे माने जा रहे हैं. यह किसानों के लिए आय के एक नए विकल्प के रूप में उभर कर सामने आ सकती है.

वैसे, सेम को दलहनी फसल में शामिल किया गया है, लेकिन इस की फलियों को सब्जियों के रूप में ज्यादा प्रयोग किया जाता है. विषय वस्तु विशेषज्ञ राघवेंद्र विक्रम सिंह के अनुसार, अगर पंखिया सेम की बात की जाए, तो देश में पंखिया सेम की वैराइटी को ले कर अभी भी लगातार शोध चल रहे हैं. भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने इस की उन्नत प्रजाति को विकसित करने में सफलता पाई है.

पंखिया सेम दूसरी किस्मों से अलग हट कर है. सेम की फलियों की लंबाई 15 से 20 सैंटीमीटर तक की होती हैं और इस की फलियां किस्मों के आधार पर हरे, गुलाबी या बैगनी रंग की होती हैं.

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