परंपरागत खेती में रोज ही नएनए तरीके अपना कर किसान उन्नत खेती के साथ मुनाफा ले रहे हैं. ड्रिप और मल्चिंग पद्धति से खेती कर के फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इन के इस्तेमाल से न सिर्फ अच्छा उत्पादन मिलता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई जल की बचत भी की जा सकती है.

पिछले दिनों  मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गरहा गांव के प्रगतिशील किसान विजय शंकर शर्मा ने अपने खेत के 2 एकड़ रकबे में शिमला मिर्च की खेती की है. ड्रिप व मल्चिंग पद्धति से पूरे खेत में बिछी सिल्वर कलर की पौलीथिन और उस में से झांकते पौधे देखने के लिए राह चलते लोग भी रुक जाते हैं.

विजय शंकर शर्मा बताते हैं कि जब लौकडाउन में सबकुछ बंद था, लोग घरों में बैठे थे, उस दौरान उन्हें खाली समय का सही इस्तेमाल खेती में करने का विचार आया. इस तरीके से खेती करने की प्रेरणा उन्हें सिवनी जिले के लखनादौन के पास विजना गांव में मल्चिंग पद्धति से खेती करने वाले रिश्तेदार से मिली थी.

ड्रिप और मल्चिंग पद्धति की पूरी जानकारी ले कर उन्होंने 2 एकड़ में शिमला मिर्च की खेती करने की योजना बनाई. इस के तहत पूरे खेत में ड्रिप इरिगेशन के लिए पाइपलाइन बिछाई गई. मल्चिंग के लिए मिट्टी ऊंची कर के पूरे खेत को पौलीथिन से ढक दिया. 2 एकड़ खेत में बीज समेत सभी खर्च मिला कर तकरीबन 2 लाख रुपए की लागत आई.

किसान विजय शंकर शर्मा ने बताया कि इस काम को करते वक्त शुरू में उन का लोगों ने काफी मजाक उड़ाया. वहीं उन के छोटे भाई शिक्षक सतीश शर्मा व शिवम शर्मा ने पूरा सहयोग दे कर उन्हें खेती करने के लिए पे्ररित किया. बस फिर क्या था, अच्छी देखरेख के चलते तकरीबन 3-4 महीने में पौधे फल देने लगे.

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