Viksit Krishi Sankalp Abhiyan: 12 जून, 2025 को कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली एवं कृषि इकाई, विकास विभाग, दिल्ली सरकार के द्वारा विकसित कृषि संकल्प अभियान का 15 वें दिन का कारवां दिल्ली देहात के नांगल ठकरान एवं बाजितपुर गांव (अलीपुर ब्लौक, दिल्ली) में पहुंचा.

इस कार्यक्रम के शुरुआत में डा. डीके राणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने सभी वैज्ञानिकों एवं किसानों का स्वागत करते हुए बताया कि तकनीकों एवं अनुसंधान को किसानों के खेतों पर पहुंचाने में कृषि विज्ञान केंद्रो का महत्वपूर्ण योगदान है. खेती व किसानों को समृद्ध करने के लिए “लैब टू लैंड” विजन के साथ ज्ञान की किरण आज खेतों तक पहुंच रही है और अनुसंधान पर वैज्ञानिक किसानों के साथ सीधा संवाद कर के समस्या आधारित किसानों को जानकारी दे रहे हैं.

इसी क्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डा. राम स्वरूप बाना ने जल संरक्षण की तकनीकियों पर विशेष ध्यान देते हुए विस्तृत जानकारी साझा की. साथ ही, उन्होंने बताया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है उन क्षेत्र में किसान संरक्षित तकनीक अपना कर अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि यदि युवाओं को खेती की तरफ आना है तो हमें पारंपरिक तकनीकी को छोड़ कर आधुनिक खेती को अपनाना होगा. इसी क्रम उन्होंने बाजरा की वैज्ञानिक खेती की विस्तृत जानकारी किसानों के साथ साझा की.

डा. श्रवण कुमार सिंह ने दिल्ली के आसपास क्षेत्र के लिए सब्जियों की विभिन्न प्रजातियां, जो दिल्ली क्षेत्र में अच्छा उत्पादन दे सकें के साथसाथ पोषण से संबंधित जितनी भी तकनीकियां हैं, जैसे किचन गार्डन की स्थापना करना और उस में लगने वाले मौसम के अनुसार सब्जियां और मानव पोषण के लिए संतुलित आहार आदि के साथ संरक्षित खेती की सारी जानकारी किसानों के साथ साझा की. डा. श्रवण कुमार सिंह ने संरक्षित खेती पर विशेष जोर दिया और उन्होंने बताया कि छोटे से छोटे जगह में भी आप हाईटैक नर्सरी बना कर अच्छा उत्पादन कर युवा किसान इस में अच्छी आय प्राप्त सकते हैं.

डा. श्रवण हलधर, प्रधान वैज्ञानिक (किट विज्ञान) ने किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन अपनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि किसानों को एकीकृत कीट प्रबंधन की विभिन्न प्रथाएं जैसे कीटों की निगरानी, लाभदायक एवं हानिकारक कीटो की पहचान, प्रभावी विधियों का चयन, जैविक नियंत्रण को अपनाना,  यांत्रिक उपकरणों का उपयोग सहित रासायनिक नियंत्रण के साथ वैज्ञानिक की सलाह से कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए.

इसी क्रम में डा. समर पाल सिंह ने खारे पानी और लवणीय मिट्टी का किस तरह से सुधार किया जा सकता है एवं खारे पानी में होने वाली फसलें जैसे पालक, जौ, सरसों आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए उन की प्रजातियों के बारे में जानकारी दी. इसी के साथ उन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए किसानों से आग्रह किया.

डा. नीरज ने धान की सीधी बोआई, खरपतवार प्रबंधन, पोषक तत्वों के प्रबंधन आदि की जानकारी देते हुए पूसा संस्थान विभिन्न प्रजातियों के बारे में भी बताया. डा. ऋतु जैन प्रधान वैज्ञानिक (फूल विज्ञान) ने ड्रेन एवं स्वेज के पानी से फूलों की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

डा. राकेश कुमार विज्ञानी (बागबानी) ने बागबानी की जानकारी देते हुए नए बाग की स्थापना के साथसाथ विभिन्न तकनीकियों जैसे मल्चिंग, ड्रिप सिंचाई पद्धति, कम समय में अधिक आय के साथसाथ विदेशी सब्जियों खेती की जानकारी दी.

कैलाश, कृषि प्रसार विशेषज्ञ ने कृषि में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) व डिजिटल कृषि के प्रभावी उपयोग पर विचार साझा किए, जिस से किसानों को वैज्ञानिक जानकारी समय पर मिल सके.

इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली के वैज्ञानिकों ने आगामी खरीफ फसलों से संबंधित आधुनिक तकनीकों की जानकारी के साथ मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार संतुलित खादों के प्रयोग, प्राकृतिक खेती, प्राकृतिक खेती के घटक, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की सारी जानकारी किसानों के साथ साझा की. इस कार्यक्रम के अंत में बृजेश कुमार, मृदा विशेषज्ञ ने किसानों को मिट्टी पानी जांच की जानकारी देते हुए किसानों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया व उन से आग्रह किया कि ये संदेश अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाए.
इस कार्यक्रम के दौरान, किसानों के प्रश्नों एवं समस्याओं के लिए विशेष सत्र का आयोजन कर के संतुष्ट जवाब एवं अमूल्य सुझाव दिए गए.

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