बरबटी को लोबिया नाम से भी जाना जाता है. यह प्रोटीन का बहुत सस्ता और अच्छा जरीया है. इस को खाने से कब्ज नहीं होता और शरीर मजबूत बनता है. लोबिया की हरी नरम फलियों को सब्जी के तौर पर और दानों को दाल या चाट बना कर इस्तेमाल में लाया जाता है.

बरबटी की जड़ों में पाए जाने वाले राइजोबियम सिंबीआसिस क्रिया के चलते यह डेढ़ सौ किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नाइट्रोजन को स्टोर करता है. इस को मिट्टी कटाव रोकने के लिए भी उगाते हैं. यह कुछ हद तक सूखे के प्रति प्रतिरोधी है और कम उपजाऊ खेतों में भी अच्छी पैदावार होने के चलते लोबिया को सभी तरह की आबोहवा में उगाया जा सकता है.

आबोहवा : यह गरम मौसम की फसल है. ठंडा मौसम इस की खेती के लिए अच्छा नहीं होता. ज्यादा बारिश व पानी का भराव इस के लिए नुकसानदायक होता है.

लोबिया की अलगअलग किस्मों को अलग तरह के तापमान की जरूरत पड़ने के चलते जायद व खरीफ दोनों सीजन में उगाने के लिए अलगअलग किस्में होती हैं.

लोबिया की खेती सभी तरह की मिट्टी में कर सकते हैं. मिट्टी का पीएच मान साढ़े 5 से साढ़े 6 के बीच होना चाहिए. खेत से फालतू पानी को निकालने का इंतजाम होना चाहिए. कारोबारी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है. खेत की पहली जुताई कल्टीवेटर से व दूसरी जुताई हैरो से करनी चाहिए. हर जुताई के बाद पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा व समतल बना लेते हैं.

किस्में

अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे,  झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विंटल तक पैदावार मिल जाती है.

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