गरमियों में विभिन्न दलहनी फसलों में उड़द की खेती का विशेष स्थान है. उड़द की खेती के फायदों को देखते हुए जहां पानी की व्यवस्था हो, वहां उड़द की खेती इस समय जायद में की जा सकती है. इस की खेती करने से अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में सदुपयोग, भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार, पानी का सदुपयोग आदि के कई फायदे बताए गए हैं और यह भी बताया कि रबी दलहनी फसलों में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई भी हो जाएगी.

जलवायु

उड़द में गरमी सहन करने की कूवत अधिक होती है. इस की वृद्धि के लिए 27-35 सैंटीग्रेट तक तापमान अच्छा रहता है.

मिट्टी एवं खेत की तैयारी

उपजाऊ एवं दोमट या बलुई दोमट मिट्टी, जिस का पीएच मान 6.3 से 7.3 तक हो और जल निकास की व्यवस्था हो तो अच्छी होती है.

बोआई का उचित समय

उड़द फसल की बोआई 15 फरवरी से 15 मार्च तक अवश्य कर दें. देर से बोआई करने से फूल एवं फलियां गरम हवा के कारण और वर्षा होने से क्षतिग्रस्त हो सकती है.

उन्नतशील किस्में

वल्लभ उड़द -1, प्रताप उड़द-1, पंत उड़द-10, आईपीयू-11-2, आईपीयू-13-1 है. यह किस्में सिंचित इलाकों में गरमियों के मौसम में उगाई जाती है, जो 75 से 80 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. इस की पैदावार प्रति एकड़ 4 से 5 क्विंटल है.

बीज की मात्रा, बीजोपचार एवं दूरी

गरमियों में उड़द का पौधा कम बढ़ता है. 10 -12 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ में डालना चाहिए. कूंड़ों में 4-5 सैंटीमीटर की गहराई पर पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25- 30 सैंटीमीटर और पौधों से पौधों की दूरी 10 सैंटीमीटर पर बोने से जमाव ठीक होता है.

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