किसान कम समय में उगाई जाने वाली नकदी फसलों की अगर खेती करें, तो वह पारंपरिक फसलों की अपेक्षा अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. अगर यह नकदी फसल कम लागत और कम जोखिम वाली हो, तो मुनाफा कई गुना अधिक बढ़ जाता है. ऐसी ही नकदी फसल है अरबी या घुईया, जो न केवल कम समय वाली फसल है, बल्कि इस में लागत और मेहनत भी कम लगती है.

अरबी में प्रचुर मात्रा में खनिज पदार्थ, प्रोटीन, आयरन, वसा, रेशा, पोटैशियम, थियामिन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, कैल्शियम, सोडियम जैसे पोषक तत्त्व पाए जाते हैं.

अरबी के कंदों से सब्जी के साथ ही कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. इस के डंठल और पत्तों की सब्जी भी बनाया जाता है. अरबी की पत्तियों से बनाई जाने वाली सोहिना एक प्रकार की अत्यंत ही स्वादिष्ठ पकौड़ी होती है. अरबी को उबाल कर, भाप में पका कर, भून कर या तल कर खाया जा सकता है.

अरबी के पत्तों से बने पकौड़े, जिन्हें विशेष विधि से भाप में पका कर बनाया जाता है, बहुत ही लोकप्रिय है. अरबी का बाजार रेट भी दूसरी सब्जियों के मुकाबले ज्यादा मिलता है.

बोआई का उचित समय

अरबी की खेती के लिए सब से मुफीद समय फरवरी के आखिरी हफ्ते से अप्रैल के आखिरी हफ्ते का होता है. इस के अलावा इसे जून के पहले हफ्ते से जुलाई के आखिरी हफ्ते में में भी बोया जा सकता है.

उन्नत किस्में : अरबी यानी घुईया की कई उन्नतशील किस्में हैं, जिस की बोआई कर किसान कम लागत और कम जोखिम में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.

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