गरमी के मौसम में वैसे भी चिलचिलाती धूप होती है. इस के बावजूद भी किसान अपने काम में जुटे रहते हैं. इन दिनों किसानों को मानसून के आने का बेसब्री से इंतजार रहता है.
यह मौसम धान के लिहाज से खास होता है. देश के एक बड़े हिस्से में धान की खेती की जाती है, इसलिए इस महीने के दूसरे हफ्ते तक धान की नर्सरी डालने का काम निबटाएं.
* धान की नर्सरी डालने के लिए उम्दा किस्म का चयन करें. किस्म का चुनाव अपने क्षेत्र के हिसाब से करें. अच्छे बीज की जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र की मदद ले सकते हैं.
अगर धान की नर्सरी पिछले महीने ही डाल चुके हों, तो उस के पौधे रोपाई लायक होने पर रोपाई का काम खत्म करें. रोपाई 15-20 सैंटीमीटर के फासले पर सीधी लाइन में करें.
धान की रोपाई के लिए पैडी प्लांटर जैसे यंत्र का भी उपयोग कर सकते हैं. यह धान रोपाई का यंत्र लाइन में धान पौध की रोपाई करता है.
इस के अलावा आजकल धान के बीजों को सीधे ही बोया जाता है. इस के लिए ड्रम सीडर यंत्र का इस्तेमाल करना होता है, जिस की अधिकतम कीमत भी नहीं होती. ड्रम सीडर यंत्र से धान बोने से पहले उस को थोड़ा अंकुरित करना होता है, वरना जो कम जोत वाले किसान हैं, वे मजदूरों से रोपाई करा सकते हैं.
मध्यम व देर से पकने वाली धान की किस्में हैं, स्वर्णा, पंत-10, सरजू-52, नरेंद्र- 359, जबकि टा.-3, पूसा बासमती-1, हरियाणा बासमती सुगंधित और पंत संकर धान-1 व नरेंद्र संकर धान-2 प्रमुख संकर किस्में हैं. इस के अलावा अपने क्षेत्र के हिसाब से बीजों का चयन करें.
* समयसमय पर अपने गन्ने के खेतों का मुआयना करें. तीखी धूप से अकसर खेतों का पानी भाप बन कर उड़ जाता है. खेत जरा भी सूखे नजर आएं, तो उन की बाकायदा सिंचाई करें.
गन्ने के खेतों में खरपतवार नजर आएं, तो निराईगुड़ाई कर के उन्हें निकालें, क्योंकि खरपतवारों की वजह से गन्ना ठीक से पनप नहीं पाता.
गन्ने की फसल में किसी रोग या कीड़ों का हमला नजर आए, तो कृषि वैज्ञानिकों को दिखा कर उस की रोकथाम करें.
* मक्का की बोआई भी इस महीने निबटा लें. अगर सिंचाई की सुविधा हो, तो बोआई 15 जून तक कर लेनी चाहिए. संकर मक्का की शक्तिमान-1, एचक्यूपीएम-1, संकुल मक्का की तरुण, नवीन, कंचन, श्वेता और जौनपुरी सफेद व मेरठ पीली देशी प्रजातियां हैं.
* सब्जी की खेती करने वाले किसानों के लिए भिंडी की फसल की बोआई के लिए यह उपयुक्त समय है. परभनी क्रांति, आजाद भिंडी, अर्का अनामिका, वर्षा, उपहार, वीआरओ- 5, वीआरओ-6 और आईआईवीआर-10 भिंडी की अच्छी किस्में हैं. इस के अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरई, आरा तोरई, करेला व टिंडा की बोआई के लिए यह उपयुक्त समय है.
* अरहर की भी बोआई इसी महीने में की जाती है. बोआई से पहले बीजों को कार्बंडाजिम से उपचारित करना न भूलें. उपचारित करने से बीज महफूज रहते हैं और उन का अंकुरण भी ढंग से होता है.
जिस खेत में अरहर बोई गई है, उस में पानी निकास की व्यवस्था हो, वरना खेत में पानी ठहरने पर उस के पौधे खराब हो सकते हैं.
अरहर बोने के लिए 15 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बोआई में 50 सैंटीमीटर का फासला रखें और सीधी रेखा में बोआई करें.
* बाजरे की बोआई का इरादा हो और आप के इलाके में बाजरे की खेती होती हो, तो मानसून की पहली बरसात होने के बाद बाजरे की बोआई करें.
बाजरे की बोआई के लिए 5 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें. बाजरे की बोआई सीधी लाइन में 50 सैंटीमीटर का फासला रखते हुए करें.
* अगर ज्वार बोने का मन हो, तो जून के आखिरी हफ्ते में यह काम करें. बोआई के लिए 15 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें.
* मूंगफली की बोआई भी जून में निबटा लेना ठीक है. मूंगफली की बोआई के लिए 60-70 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगेंगे.
मूंगफली के बीजों को कार्बंडाजिम से उपचारित कर के बोना चाहिए. बोआई सीधी रेखा में 50 सैंटीमीटर के फासले पर करें.
* जायद में बोई गई उड़द, मूंग की फसल पक चुकी हो, तो उस की कटाई का काम निबटाएं. फसल की कटाई में देरी करना मुनासिब नहीं रहता.
* आजकल सोयाबीन की भी काफी मांग है, इसलिए अगर आप के इलाके में सोयाबीन की खेती अच्छी होती हो, तो सोयाबीन की बोआई करें. अपने क्षेत्र के अनुसार कृषि वैज्ञानिक से सोयाबीन की उम्दा किस्मों की जानकारी मिल जाएगी.
सोयाबीन की बोआई के लिए 80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगेंगे. बोआई सीधी लाइन में 50 सैंटीमीटर के फासले पर करें.
* 15 जून के बाद सूरजमुखी की बोआई की जा सकती है. यह फसल भी काफी फायदे की होती है. लिहाजा, इस की बोआई करने में हर्ज नहीं है. वैसे भी तिलहनी फसलें मुनाफे का सौदा होती हैं.
* जिन किसानों ने कपास लगाई है, वे भी कपास के खेतों का मुआयना करें. अगर खेत सूखे लगें, तो सिंचाई कर दें. अगर पौधों में कीट या रोगों के लक्षण नजर आएं, तो माहिरों से पूछ कर दवा का इस्तेमाल करें.
* इस महीने शरदकालीन बैगन की नर्सरी डालें. बोआई के लिए अच्छी किस्म के बीजों का चुनाव करें.
* अपने लहसुन के खेतों का मुआयना करें. अगर फसल तैयार हो गई हो, तो खुदाई का काम खत्म करें. खुदाई के बाद फसल को 2-3 दिनों तक खेत में ही सूखने दें. चौथे दिन लहसुन की गड्डियां बना कर उन्हें हवादार जगह पर रखें.
* मिर्च के खेतों में भी जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. पकी मिर्चें तोड़ कर मार्केट में भेजें.
अगली फसल के लिए मिर्च की नर्सरी डालनी है, तो यह काम भी निबटा सकते हैं.
* अदरक व हलदी के खेत सूखे लगें, तो उन की सिंचाई करें. अदरक के खेतों में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें. इस से फसल बेहतर होगी.
* मोटा अनाज रामदाना की बोआई करनी हो, तो जून के पहले पखवारे तक यह काम जरूर कर लें. इस की बोआई के लिए डेढ़ किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर के हिसाब से लगेंगे.
* पशुओं के चारे के लिहाज से अन्य फसलों की बोआई भी जून महीने में कर देनी चाहिए.
* अपने पशुओं की सेहत का ध्यान रखें. जून की गरमी और लू से अपने पशुओं को बचाने का पूरा बंदोबस्त करें. गरमियों में हरे चारे की भी कमी हो जाती है. दुधारू पशुओं का दूध भी कम हो जाता है, इसलिए उन के खानपान का भी खास खयाल रखें.
* गायभैंसों को दिन में धूप से बचाएं, पर रात के समय उन्हें बाहर बांध सकते हैं. पशुओं को पानी की कमी न होने दें. साथ ही, इन के नहाने का भी खयाल रखें.
* अपने मुरगेमुरगियों को भी लू व गरमी से बचाने का इंतजाम करें. उन के लिए भी पंखे व कूलर लगाएं.