अगर सरसों की फसल में माहू कीट का प्रकोप हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में सरसों के उत्पादन में तकरीबन 25 से 30 फीसदी तक की कमी हो सकती है.
जानिए, माहू कीट क्या है, यह कीट किस तरह से फसल को नुकसान पहुंचाता है और इस कीट का रासायनिक और जैविक विधि से नियंत्रण कैसे करें.
माहू कीट की पहचान : यह कीट छोटे आकार के सलेटी या जैतूनी हरे रंग के होते हैं. इस की लंबाई 1.5-2 मिलीमीटर तक होती है. इस कीट को एफिड, मोयला, चैंपा, रसचूसक कीट आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है.
माहू कीट के प्रकोप की संभावना : इस कीट का प्रकोप देरी से बोई गई सरसों में ज्यादा होता है. आमतौर पर जब मौसम बदलने लगता है या सर्दी कम होने लगती है, उस समय फरवरीमार्च महीने में माहू कीट का प्रकोप तेजी से होने लगता है.
माहू कीट द्वारा सरसों में नुकसान : यह कीट कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूस लेते हैं. जो फली बन रही होती है, उन का भी रस चूस लेते हैं, जिस से फलियां गूदेदार नहीं हो पाती हैं. इस में फलियों में जो दाने बनने चाहिए, वे नहीं बन पाते हैं.
माहू कीट पौधों पर लिसलिसा या चिपचिपा पदार्थ भी छोड़ते हैं. इस वजह से प्रभावित जगह पर काले रंग की फफूंदी आ जाती है, जिस से फूलों की वृद्धि रुक जाती है और फलियों का विकास नहीं हो पाता है. इस के चलते उत्पादन में काफी कमी आ जाती है.
माहू कीट को ऐसे करें काबू : इस कीट के नियंत्रण के लिए मैलाथियान 50 ईसी या डाईमिथोएट 30 ईसी एक लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में मिला कर छिड़काव करें. साथ में स्टीकर भी मिला लें, जिस से दवा पौधों पर चिपक सके.