आज के दौर में लोगों के रहनसहन और खानपान की आदतों में न केवल बदलाव आया है, बल्कि लोग खुद की सेहत को ले कर बेहद सजग रहने लगे हैं. ऐसे में लोगों का खाने में पोषक तत्वों की प्रचुरता वाली सागसब्जियों की तरफ ज्यादा झुकाव देखने को मिल रहा है.

पोषक तत्वों की प्रचुरता के नजरिए से भिंडी एक ऐसी सब्जी है, जिसे आम से खास लोग अपने खानें में पसंद करते हैं. भिंडी में सेहत को फायदा पहुंचाने वाली प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस के अतिरिक्त विटामिन ए, बी, सी, थाईमीन एवं रिबोफ्लेविन भी पाया जाता है. इसलिए इस के खाने में उपयोग के चलते शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता में इजाफा होता है.

अगर देश में भिंडी को खेती के नजरिए से देखा जाए, तो अभी तक देश के अधिकांश भूभाग पर भिंडी के हरे किस्म की खेती की जाती रही है. लेकिन वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने भिंडी की ऐसी किस्म ईजाद की है, जिस का रंग भिंडी की दूसरी किस्मों से हट कर बैगनी और लाल रंग की होती है. इसे ईजाद करने वाले वैज्ञानिकों में डा. बिजेंद्र, डा. एसके सानवाल और डा. जीपी मिश्रा के साथसाथ तकनीकी सहायक सुभाष चंद्र का नाम शामिल है. इसे ईजाद करने वाले संस्थान ने इस किस्म का नाम “काशी लालिमा” रखा है. इस को विकसित करने के लिए भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा 1995-96 से लगातार शोध किया जा रहा था, जिस में 23 वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद कृषि वैज्ञानिकों ने सफलता पाई.

इस किस्म को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों के अनुसार, भिंडी की इस किस्म के बैगनीलाल होने के चलते इस में पाया जाने वाला एंथोसायनीन तत्व की उपलब्धता है, जिस के चलते इस किस्म का रंग लाल होता है.

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