दुनिया के 90 खास धान उत्पादक देशों की आधी आबादी भोजन में चावल का इस्तेमाल करती है. वहीं अपने देश की भी तकरीबन 70 फीसदी आबादी 43 फीसदी जैविक ऊर्जा की खपत भी चावल से ही होती है तभी तो देशभर में हर साल तकरीबन 44.6 मिलियन हेक्टेयर के एक बड़े रकबे में इस की खेती होती है और इस से तकरीबन 90 मिलियन टन का उत्पादन होता है.

साल 2004-05 में 82.10 मिलियन टन, साल 2005-06 में 91.8 मिलियन टन और साल 2006-07 में 91.1 मिलियन टन उत्पादन के मुताबिक साल 2007-08 के अनुमानित 94.6 मिलियन टन उत्पादन व 2014-15 के 104.80 मिलियन टन का इजाफा बढि़या उत्पादन ही कहा जाएगा.

उत्तर प्रदेश में तकरीबन 5.9 मिलियन हेक्टेयर में धान की खेती होती है. तमाम हालात में सिंचित, असिंचित, जल प्लावित, ऊसर जमीन और बाढ़ से जूझ रहे रकबों में इस की खेती होती है. इस फसल की नर्सरी मई में लगाई जाती है और जुलाई में खेत में रोपाई की जाती है.

उन्नतशील प्रजातियों के प्रमाणित बीजों से इन की खेती करने के कई फायदों के साथ ही कुछ ऐसे तरीकों का खुलासा किया गया है, जिस से पैदावार में इजाफा किया जा सके.

खेत की तैयारी : 2-3 जुताई कर के खेत की तैयारी करनी चाहिए. खेत में धान से पहले हरी खाद के लिए मूंग, ढैंचा या सनई की फसल लेनी चाहिए. रोपाई से 4 दिन पहले हरी खाद को खेत में पलट कर बढि़या तरह मिला देना चाहिए. साथ ही, खेत में पानी भर कर 2-3 बार पडलिंग कर के पाटा लगा कर खेत को समतल बना लेना चाहिए.

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