यह एक बहुवर्षीय मांसल पौधा होता है, जो पूरे देश में पाया जाता है. इस के पत्ते मांसल व कांटेदार होते हैं, जिन से लिसलिसा पदार्थ निकलता है. इस की पत्तियों की लंबाई 1-2 फुट तक होती है. अलगअलग इलाकों में इसे अलगअलग नामों से जाना जाता है, जैसे घृतकुमारी, ग्वारपाठा, गृहकन्या, घीकुंवार, एलोवेरा, दरख्ते तीव्र, सब्बारत वगैरह.
अपने औषधीय गुण के कारण एलोवेरा काफी मशहूर है. बेहद गुणकारी होने की वजह से हर उम्र के लोगों को इस के इस्तेमाल की नसीहत दी जाती है. वर्तमान में तमाम सौंदर्य प्रसाधन कंपनियां इस का इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन की चीजें बनाने में कर रही हैं.
एलोवेरा में तमाम तरह के विटामिन पाए जाते हैं, जिन में विटामिन ए, सी, ई, फोलिक एसिड, विटामिन बी 1, बी 2, बी 3, बी 6 वगैरह खास हैं.
इस के अलावा एलोवेरा में कई तरह के खनिज लवण भी पाए जाते हैं, जिन में कैल्शियम, मैगनीशियम, जिंक, क्रोमियम, सैलोनियम, सोडियम, आयरन, पोटैशियम व कौपर खास हैं.
एलोवेरा में काफी मात्रा में अमीनो एसिड व फैटी एसिड भी पाए जाते हैं, जो इनसान के शरीर के लिए जरूरी हैं.
यह मौसम के बदलाव से होने वाली कमियां दूर करने के अलावा प्रतिरोधक कूवत बढ़ाता है.
प्रमुख प्रजातियां
एलोवेरा भारत में पाए जाने के साथसाथ अफ्रीका व अरब देशों में भी पाया जाता है. इस की खास प्रजातियां इस तरह हैं:
एलोवेरा : यह सामान्य प्रजाति है व पूरे देश में पाई जाती है.
एलोइंडिका : यह छोटी प्रजाति है, जो दक्षिण भारत में चेन्नई में खासतौर से पाई जाती है.
एलो रूपेसेंस : यह प्रजाति बंगाल के आसपास पाई जाती है. इस पर नारंगी व लाल रंग के फूल आते हैं. यह प्रजाति पाचन तंत्र को ठीक रखने में खास भूमिका निभाती है.