भारत में केले की खेती अब किसानों के लिए बहुत ही फायदे की हो गई है. इसे अब नकदी फसल के रूप में जाना जाता है. केले की खेती में सब से बड़ी परेशानी केले के छोटे और बड़े साइज से होती है. इस परेशानी को दूर करने के लिए किसान केले की टिशू कल्चर खेती को अपना रहे हैं. इस से केले के पेड़ में एकसमान आकार के केले पैदा होते हैं.

टिशू कल्चर केले की खेती करने के लिए खेत का चुनाव बहुत ही सावधानी से करना चाहिए. खेत में जल निकासी का अच्छा इंतजाम होना चाहिए. खेत की मिट्टी चिकनी, दोमट और बलुई दोमट होनी चाहिए. केले की फसल तैयार करने के लिए खेत बनाने का काम जून महीने से करना चाहिए.

केले की फसल में सिंचाई का खयाल रखना चाहिए. खेत में नमी हमेशा बनी रहे. पानी ज्यादा न होने पाए और न ही खेती की नमी सूखने पाए. फूल निकलने के 50 दिन बाद केले के पेड़ को बांस के टुकड़ों का सहारा देते हैं, जिस से फल लगने पर पेड़ को कोई नुकसान न हो.

केले में फूल आने का समय खास होता है. बोने के 80-90 दिन बाद जब केले की फलियां गोल हो जाएं तो सावधानी से उस को काट लेना चाहिए. केले की फलियों को रखते समय यह याद रखें कि उन में चोट न लगे. चोट लगने से केले के सड़ने का खतरा ज्यादा रहता है. अगर पके केले का मंडी में भाव गिर रहा हो तो कच्चे केले से कुरकुरे चिप्स तैयार कर के भी बेचे जा सकते हैं.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...