सलाद एक मुख्य विदेशी फसल है. दूसरी सब्जियों की तरह यह भी पूरे भारत में पैदा की जाती है. इस की कच्ची पत्तियों को गाजर, मूली, चुकंदर व प्याज की तरह सलाद और सब्जी के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है.

यह फसल मुख्य रूप से जाड़ों में उगाई जाती है. अधिक ठंड में बहुत अच्छी बढ़वार होती है और तेजी से बढ़ती है. इस फसल को ज्यादातर व्यावसायिक रूप से पैदा करते हैं और फसल की कच्ची व बड़ी पत्तियों को बड़ेबड़े होटलों और घरों में मुख्य सलाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं, इसलिए इस फसल की पत्तियां सलाद के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं.

इस विदेशी फसल को देश में भी उगाया जाता है. सलाद के सेवन से शरीर को अधिक मात्रा में खनिज पदार्थ और विटामिंस मिलते हैं. यह विटामिन ‘ए’ का मुख्य स्रोत है. इस के अलावा प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम और विटामिन ‘ए’ और ‘सी’ दोनों ही मिलते हैं.

Salad

जमीन और जलवायु

सलाद की फसल के लिए ठंडे मौसम की जलवायु सब से उत्तम होती है. ज्यादा तापमान होने पर बीज बनने लगता है और पत्तियों का स्वाद बदल जाता है, इसलिए इस का तापमान 12 डिगरी सैंटीग्रेड से 15 डिगरी सैंटीग्रेड सही होता है.

बीज अंकुरण के लिए भी तापमान

20-25 डिगरी सैंटीग्रेड सब से अच्छा होता है. 30 डिगरी सैंटीग्रेड से ज्यादा तापमान होने पर बीजों का अंकुरण सही नहीं हो पाता.

फसल के लिए उपजाऊ जमीन सब से अच्छी होती है. हलकी बलुई दोमट व मटियार दोमट मिट्टी सही होती है. जमीन में पानी रोकने की क्षमता होनी चाहिए, ताकि नमी लगातार बनी रहे. पीएच मान 5.8-6.5 के बीच की जमीन में अच्छा उत्पादन होता है.

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