खेती में प्रयोग में लाए जाने वाले कृषि निवेशों में से सब से मंहगी सामग्री रासायनिक उर्वरक है. उर्वरकों के शीर्ष उपयोग की अवधि हेतु खरीफ एवं रबी के पूर्व उर्वरक विनिर्माता फैक्टरियों और विक्रेताओं द्वारा नकली एवं मिलावटी उर्वरक बनाने एवं बाजार में उतारने की कोशिश होती है. इस का सीधा असर किसानों पर पड़ता है.

नकली एवं मिलावटी उर्वरकों की समस्या से निबटने के लिए समयसमय पर विभागीय अभियान चला कर जांचपड़ताल की जाती है, फिर भी यह आवश्यक है कि खरीदारी करते समय किसान उर्वरकों की शुद्धता मोटेतौर पर उसी तरह से परख लें, जैसे बीजों की शुद्धता, बीज को दांतों से दबाने पर कट और किच्च की आवाज से, कपड़े की गुणवत्ता उसे छू कर या मसल कर और दूध की शुद्धता की जांच उसे उंगली से टपका कर लेते हैं.

किसानों के बीच प्रचलित उर्वरकों में से प्रायः डीएपी, जिंक सल्फेट, यूरिया और एमओपी नकली व मिलावटी रूप में बाजार में उतारे जाते हैं. खरीदारी करते समय किसान इस की प्रथमदृष्टया परख सरल विधि से कर सकते हैं और अगर उर्वरक नकली पाया जाए, तो इस की पुष्टि किसान सेवा केंद्रों पर उपलब्ध टेस्टिंग किट से की जा सकती है.

टेस्टिंग किट किसान सेवा केंद्रों पर उपलब्ध होती हैं. ऐसी स्थिति में कानूनी कार्यवाही किए जाने के लिए इस की सूचना जिले के उप कृषि निदेशक (प्रसार) या जिला कृषि अधिकारी एवं कृषि निदेशक, उत्तर प्रदेश को दी जा सकती है.

यूरिया पहचान विधि

यूरिया के असली होने की पहचान की उस के दाने सफेद चमकदार, लगभग समान आकार के होते हैं. इस के दाने पानी में डालने पर पूरी तरह घुल जाते हैं और घोल छूने पर ठंडी अनुभूति. जब यूरिया के दाने को गरम तवे पर रखा जाता है, तो यह पिघल जाता है.

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