Kisan clubs: भारत में छोटी जोत व बटाई पर खेती का काम करने वाले किसानों की संख्या ज्यादा है. इन में से तमाम ऐसे किसान हैं, जिन के पास जमीन नहीं है, लेकिन किसी न किसी तरीके से किराए पर जमीन ले कर वे खेती का काम करते हैं. इन किसानों को खेती में काम आने वाले जरूरी सामान इसलिए आसानी से मुहैया नहीं हो पाते, क्योंकि कम खेती की वजह से महंगी मशीनें व उपकरण खरीदना उन के बस की बात नहीं होती है. ऐसे में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड ने बटाई पर काम करने वाले किसानों के लिए छोटेछोटे समूहों में किसान क्लब बना कर उन की खेती को आसान किया है. इन क्लबों में 5 से ले कर 15 किसान होते हैं, जो आपस में अपने तजरबों का इस्तेमाल कर के अपनी खेती को लाभदाई बनाते हैं.
किसान क्लबों का इस्तेमाल न केवल तकनीकी ज्ञान बांटने के लिए होता है, बल्कि एक समूह में बैंक से कर्ज ले कर किसान यंत्र, खाद बीज वगैरह की खरीदारी भी करते हैं, जिस से आपस में इन कृषि में काम आने वाले सामानों का इस्तेमाल हो पाता है. नाबार्ड द्वारा कृषि विज्ञान केंद्रों, एनजीओ व ग्रामीण बैंकों द्वारा ये किसान क्लब बनाए जाते हैं, जिन के जरीए छोटे किसान अपनी माली हालत सुधार सकते हैं.
कुछ इसी तरह की खेती की सफलता की मिसाल सरदार भगत सिंह कृषि क्लब है, जो बस्ती जिले के विकास खंड बहादुरपुर के गांव शेखपुरा के छोटे जोत वाले 12 किसानों का एक समूह है. इस से जुड़े किसान पहले आर्थिक रूप से बहुत ही कमजोर थे. अकसर जानकारी न होने की वजह से इन किसानों को खेती में नुकसान हो जाता था. एक दिन इस गांव के किसान रामबक्स चौधरी को नाबार्ड द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग में शामिल होने का मौका मिला, जहां उन्हें पता चला कि नाबर्ड स्वैच्छिक संस्थाओं के जरीए छोटे किसानों का समूह बना कर उन्हें खेती में मदद करने का काम कर रहा है.
रामबक्स चौधरी ने वहां शक्ति उद्योग एवं प्रशिक्षण संस्थान से जुड़े निरंकार लाल श्रीवास्तव से अपने गांव में किसान क्लब की स्थापना की बात रखी. निरंकार लाल श्रीवास्तव ने रामबक्स को कृषक क्लब गठन की जरूरी जानकारी दी और एक दिन उन्होंने शेखपुरा गांव में 12 किसानों के एक समूह का गठन करा दिया.
उन्नत कृषि तकनीकी से सुधरे किसानों के हालात : शेखपुरा गावं के किसानों ने कृषि क्लब गठन के बाद नाबार्ड व शक्ति उद्योग एवं प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से खेती की तकनीकी पर पहला प्रशिक्षण हासिल कर के अपने खेतों में उन्नतशील बीज, खाद व खेती यंत्रों का इस्तेमाल कर के फसल लेनी शुरू कर दी, जिस का नतीजा रहा कि किसानों को उन की फसल से अच्छी उपज व आमदनी हासिल हुई. वर्तमान में किसान क्लब से जुड़े किसानों द्वारा अच्छे किस्म के बीजों का इस्तेमाल करते हुए चना, भिंडी, सरसों, गेहूं, मटर वगैरह की खेती की जा रही है.
कृषि विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है सलाह : सरदार भगत सिंह कृषक क्लब से जुड़े किसानों को नाबार्ड बैंक द्वारा नियुक्त संस्था की तरफ से कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े कृषि वैज्ञानिक समयसमय पर प्रशिक्षण देते हैं. जिस के द्वारा किसान अपनी फसलों में लगने वाले कीट, बीमारी, आदि की रोकथाम के साथ ही फसल के भंडारण व विपणन की सही प्रक्रिया को अपनाते हुए दोहरा लाभ ले रहे हैं.
आमदनी के खुले रास्ते : किसान क्लब से जुड़ने के बाद ये किसान अपने स्थानीय बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवा कर अपनी खेती की छोटीमोटी जरूरतों को बैंक से पैसा ले कर पूरी करते हैं. वहीं इन किसानों द्वारा संयुक्त रूप से धन की बचत की जाती है, जो उन के कठिन हालात में काम आती है.
किसान रामबक्स चौधरी का कहना है कि किसान क्लब के गठन के बाद उन लोगों की माली हालत में बहुत तेजी से सुधार आया है. इस का कारण किसान क्लब से खेती की बारीकियों पर समयसमय पर विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दिया जाना ही है.
किसान रामनिवास का कहना है कि पहले उन की चने की पूरी फसल को कीड़े बरबाद कर देते थे. लेकिन विशेषज्ञों की सलाह से उन्होंने अपने चने की फसल को कीड़ों से पूरी तरह सुरक्षित करना सीख लिया है. वहीं किसान रामनवल चौधरी ने भी अपनी चने की फसल में रायजोबियम क्लचर का इस्तेमाल करते हुए उकठा से नजात पाई.
किसान शत्रुघन ने किसान क्लब द्वारा की गई बचत के पैसे से सब्जी की खेती शुरू की. आज उन्हें हर महीने 10 से 15 हजार रुपए की आमदनी हो रही है. इसी तरह किसान रामप्रकाश चौधरी गेहूं, सरसों व मटर की फसल से दोगुना मुनाफा ले रहे हैं.
शक्ति उद्योग व प्रशिक्षण संस्थान के मुखिया निरंकार लाल श्रीवास्तव का कहना है कि कोई भी किसान अपने गांव में छोटेछोटे समूह में किसान क्लब का गठन कर सकता है. इस के लिए नाबार्ड बैंक द्वारा सहयोग किया जाता है. इन समूहों को खेती के अलावा आमदनी बढ़ाने वाली गतिविधियों से भी जोड़ा जाता है, जैसे बैंकों से कर्ज दिला कर गांव में सोलर चार्जिंग प्वाइंट की स्थापना कराना, खेती की मशीनों की खरीदारी कर के उन्हें किराए पर उपलब्ध करा कर उन्हें मदद देना.