Zero Tillage Farming : सामान्यतौर पर खेती करने के लिए हमें खेत तैयार करना पड़ता है, जिस में खेत तैयार करने के लिए खेत का पलेवा, जुताई जैसे काम करने होते हैं, जिस में पैसा और समय दोनों ही लगते हैं. अगर बिना खेत जोते ही बोआई हो जाए तो फिर समय और जुताई का खर्चा दोनों ही बच जाते हैं. लेकिन इस के लिए हमें खास तकनीक के अंतर्गत काम करना होगा.

इस तकनीक द्वारा खेतों की बिना जुताई किए एक जीरो टिल सीड ड्रिल द्वारा फसलों की बोआई की जाती है और जरूरी उर्वरकों की मात्रा बीज के साथ ही डाल दी जाती है. इस तरह की बोआई रबी फसलों जैसे गेहूं, चना, सरसों और अलसी में ज्यादा सफल हुई है. इस तकनीक से देरी से बोने पर भी इन फसलों की खेती समयानुसार की जा सकती है.

भा.कृ.अनु.संस्थान के अनुसंधान फार्म पर धानगेहूं, मक्कागेहूं, कपासगेहूं, अरहरगेहूं व सोयाबीनगेहूं फसलचक्रों में किए गए प्रयोगों में बिना जुताई से बोई गई फसलों की कम लागत में 5-10 फीसदी ज्यादा पैदावार पाई गई है. खेत तैयार करने के लिए होने वाली 3 से 4 बार का जुताई खर्चा भी बच जाता है. इस तकनीक से बोआई करने पर रबी फसलों की बोआई में 2500-3000 रुपए प्रति हैक्टेयर का खर्चा बचाया जा सकता है. धान की सीधी बोआई वाली फसल की कटाई के बाद गेहूं की बोआई शुन्य जुताई तकनीक द्वारा की जाती है तथा गेहूं की कटाई के तुरंत बाद गरमियों में मूंग की फसल ली जाती है तो सभी फसलों की पैदावार और शुद्ध लाभ परंपरागत विधि से धानगेहूं के फसलचक्र की अपेक्षा अधिक प्राप्त किया जा सकता है. इस के अलावा सीधी बोआई द्वारा धान उगाने से 30 से 40 फीसदी सिंचाई जल की बचत की जा सकती है.

खेत में बनी रहती है नमी :

उदाहरण के लिए कई बार धान फसल कटने के बाद गेहूं फसल बोने के लिए किसान के पास कम अवधि बचती है और परंपरागत तरीके से गेहूं बोआई करें तो खेत तैयार होने में समय लगेगा, कई जुताई करनी होंगी. इस के विपरीत धान कटने के बाद उसी खेत में बिना जोते सीधे जीरो टिल सीड ड्रिल से गेहूं बोआई कर सकते हैं. इस में यंत्र द्वारा सीधी गेहूं बोआई हो जाती है और पिछली धान फसल का कुछ अवशेष जो खेत में बचता है, वह खेत में नमी बनाए रखता है. बाद में वही अवशेष खेत में खाद का काम करता है, इसीलिए इस खास तकनीक को शून्य जुताई खेती तकनीक भी कहते हैं.

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