Award : नई दिल्ली में चल रहे द्वितीय टिकाऊ कृषि सम्मेलन एवं अवार्ड कार्यक्रम में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर को 04 वर्गों में पुरस्कार प्राप्त हुआ है. यह कार्यक्रम एग्रीकल्चर पोस्ट डौट कौम एवं इंडी एग्री संस्था की ओर से नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सैंटर  में आयोजित हुआ. इस अवार्ड कार्यक्रम में रामदास अठावले, मंत्री  सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पुरस्कार प्रदान किया गया.

पहले वर्ग में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालय द्वारा किए गए उत्कृष्ठ कार्यों पर पुनर्योजी कृषि पुरस्कार अवार्ड प्रदान किया गया. बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने 2019 में जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरूआत की गई, जिस से न्यूनतम जुताई, जैविक इनपुट और जल संरक्षण जैसी पुनर्योजी प्रथाओं को बढ़ावा दे कर 18 जिलों के 45,000 किसानों को लाभ हुआ.

इस कार्यक्रम ने मिट्टी के स्वास्थ्य, ऊर्जा दक्षता और किसान अनुकूलनशीलता में सुधार करते हुए कार्बन फुटप्रिंट और इनपुट लागत को काफी कम कर दिया, जिस से राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों के साथ एक स्केलेबल मौडल की पेशकश की गई.

दूसरे वर्ग में विश्वविद्यालय को जल प्रबंधन में उत्कृष्टता के लिए अवार्ड प्राप्त हुआ है. जल प्रबंधन में उत्कृष्टता पुरस्कार बीएयू, सबौर को बिहार के वर्षा आधारित और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सतत जल प्रबंधन में सुधार के लिए कई नवीन, प्रौद्योगिकी संचालित परियोजनाओं के लिए दिया गया है, जिन में गांव के तालाबों का जीर्णोद्धार, रिमोट सैंसिंग का उपयोग कर के पौधों के रोपण समय का अनुकूलन और नाइट्रेट संदूषण का मानचित्रण शामिल है. ये पहल भूजल पुनर्भरण को बढ़ा कर, फसल योजना में सुधार कर के और जल गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान कर के छोटे और सीमांत किसानों को महत्त्वपूर्ण रूप से लाभान्वित कर सकती है.

तीसरे वर्ग में विश्वविद्यालय को जैविक खेती में उत्कृष्ठता के लिए अवार्ड प्राप्त हुआ है. विश्वविद्यालय द्वारा कृषि में मूल्य संवर्द्धित वर्मी कंपोस्ट एवं एजोला का प्रयोग जैविक खेती हेतु करने से किसानों के लागत में कमी आई है और वर्तमान में 5,000 से अधिक किसान इन के मूल्य संवर्द्धित वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग से लाभान्वित हुए हैं.

चौथे वर्ग में विश्वविद्यालय को अवशिष्ट प्रबंधन नवाचार पुरस्कार अवार्ड प्राप्त हुआ है. जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के तहत साल 2020 में धान के पुआल को स्ट्रौबेल बना कर काम्फेड की मदद से पशुपालकों को पशु चारा के रूप में उपलब्ध कराया गया, जिस से खेतों में फसल अवशेष को जलाने की समस्या में कमी आई और किसानों की आय का अतिरिक्त जरीया बना.

विश्वविद्यालय की ओर से डा. शोभा रानी, वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र, भोजपुर एवं रविंद्र कुमार जलज, वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र, रोहतास ने चारों पुरस्कार प्राप्त किए. पिछले साल भी विश्वविद्यालय को प्रशिक्षण में उत्कृष्ठता और हरियाली उत्पादन नवाचारी पुरस्कार प्राप्त हुए थे.

इस अवसर पर डा. डीआर सिंह, कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य में कृषि और किसानों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है. साथ ही, टिकाऊ खेती और जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को बढ़ाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है. विश्वविद्यालय के इन प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जाना खुशी का विषय है.

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