हिसार : देश गांवों में बसता है और इस समाज का एक बड़ा हिस्सा कृषि व संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर है. किसानों की स्थिति में सुधार के लिए उन की आजीविका में सुधार, गरीबी कम करना, पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है.
ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्विद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने व्यक्त किए. वे विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के समाज शास्त्र विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी)-आईडीपी प्रोजैक्ट के तहत कृषक समाज के सतत विकास एवं सामाजिकआर्थिक उत्थान विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे.
इस दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में एनएएचईपी-आईडीपी प्रोजैक्ट के राष्ट्रीय समन्वयक डा. नवीन कुमार जैन और उत्तरपश्चिमी भारतीय समाजशास्त्रीय संघ (एनडब्लयूआईएसए) के अध्यक्ष डा. सुखदेव सिंह मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित रहे.
मुख्य अतिथि प्रो. बीआर कंबोज ने अपने संबोधन में कहा कि जलवायु परिवर्तन अब ग्लोबल वार्मिंग तक सीमित नहीं रहा, इस के मौसम में आने वाले अप्रत्याशित बदलाव जैसे आंधीतूफान, सूखा, बाढ़ इत्यादि शामिल हैं. असमय तापमान का बढ़ना कृषि उत्पादन पर प्रभाव डालता है, इसलिए जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निबटने के लिए अनुकूल रणनीतियों जैसे कि बढ़ते तापमान व सूखे के अनुकूल फसल की किस्में, मिट्टी की नमी का संरक्षण, पानी की उपलब्धता, रोगरहित फसल को किस्में, फसल विविधीकरण, मौसम का पूर्वानुमान, टिकाऊ फसल उत्पादन प्रबंधन को अपनाने की आवश्यकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि हम एक ऐसा भविष्य बनाएं, जहां हम प्रकृति के साथ सहअस्तित्व रखें, जहां कोई भी पीछे न छूटे और जहां समृद्धि की कोई सीमा न हो. हमें अपने पर्यावरण के प्रति चेतना और करुणा पैदा करनी चाहिए. लोगों को प्रेरित करना चाहिए और स्थायी विकास के लिए नवाचारों का निर्माण करना चाहिए.