Nanotechnology : सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में जैव प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के कौंफ्रेंस हाल में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद ने मिल कर ‘नैनो कवकनाशीय एवं फसल सुरक्षा’ विषय पर एक दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
इस का उद्घाटन कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफैसर रामजी सिंह, निदेशक प्रसार डाक्टर पीके सिंह, निर्देशक शोध डाक्टर कमल खिलाड़ी, निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमैंट प्रोफैसर आरएस सेंगर व परियोजना के मुख्य अन्वेषक डा. नीलेश कपूर द्वारा किया गया.
निदेशक शोध डाक्टर कमल खिलाड़ी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में कई सालों से नैनो कवकनाशकों पर शोधकार्य हो रहे हैं और शुरुआती परिणाम बेहद उत्साहजनक हैं. उन्होंने बताया कि पारंपरिक कवकनाशकों की तुलना में नैनो रूपांतरित कवकनाशकों में रोग नियंत्रण की क्षमता कई गुना अधिक पाई गई है.
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि डाक्टर रामजी सिंह ने कहा कि नैनो कवाकनाशकों की सहायता से कीट रोग नियंत्रण अब पर्यावरणीय खतरे को बचाए रखते हुए भी संभव हो सकेगा. उन्होंने कृषि में हो रहे परिवर्तन और किसानों की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब किसान वैज्ञानिकों के साथ मिल कर समस्याओं का समाधान खोजें.
इस परियोजना के मुख्य अन्वेषक डा. नीलेश कपूर ने कहा की नैनो कवकनाशियों को बनाने के लिए अनुसंधान कार्य तेजी से किया जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के सहयोग से इस परियोजना में नैनो कवकनाशियों के विकास के लिए कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नैनो कवकनाशकों की विशेष सतही संरचना के कारण रोग नियंत्रण करने में बेहतर परिणाम मिलते हैं.
निदेशक प्रसार डा. पीके सिंह ने ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक जागरूकता की कमी को रेखांकित करते हुए कहा कि किसानों को मजबूत बनाने के लिए ऐसे प्रशिक्षण बहुत जरूरी हैं. उन्होंने कहा कि पारंपरिक रसायन की अधिकता से भूमि की उर्वरता घटती जा रही है जबकि नैनो तकनीकी पर्यावरण अनुकूलन व दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है.
निदेशक ट्रेंनिंग प्लेसमैंट डा. आरएस सेंगर ने कहा कि कृषि उत्पादन में टिकाऊ और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नैनो तकनीकी एक प्रभावशाली साधन बन सकती है. उन्होंने कहा कि यह महाविद्यालय उत्तर प्रदेश में अग्रणीय भूमिका निभा रहा है और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई यह तकनीक किसानों के लिए भविष्य में बहुत काम की साबित हो सकती है. इस अवसर पर नैनो कवकनाशी किसान मार्गदर्शिका पुस्तक का विमोचन भी किया गया.
इस कार्यक्रम में वैज्ञानिक डा. रेखा दीक्षित ने किसानों को नैनो कवकनाशकों की संरचना क्रियाविधि और पौधों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि नैनो कण पौधों की कोशिकाओं तक पहुंच कर रोगजनकों को नष्ट कर देते हैं, जिस से रोग नियंत्रण अधिक प्रभावी होता है.
इस कार्यक्रम का संचालन प्रोफैसर पंकज चौहान और स्वागत भाषण नीलेश कपूर द्वारा दिया गया. इस अवसर पर मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, बिजनौर, बागपत आदि जिलों के अलावा भमौरी, विरालसी, मैथना, पलहेड़ा, डोरली, चिरोड़ी, खेड़ा, पीरपुर, पावली, पवारसा, आदि गांव के 95 से अधिक किसान उपस्थित रहे. इस कार्यक्रम में डाक्टर बुध्यास गौतम, डा. पंकज चौहान, डाक्टर रेखा दीक्षित, डाक्टर नीलेश कपूर और अभिनव सिंह का विशेष योगदान रहा.