नई दिल्ली: विश्वकर्मा जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में विश्वकर्मा योजना लौंच की. इस अवसर पर देश में विभिन्न जगहों पर भी कार्यक्रम आयोजित हुए. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भोपाल में इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली स्थित द्वारका में इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर (यशोभूमि) राष्ट्र को समर्पित की. विश्वकर्मा जयंती समारोह में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लाखों कारीगरों, परिवारों के लिए पीएम विश्वकर्मा योजना आशा की किरण बन कर आ रही है.
उन्होंने देश के रोजमर्रा के जीवन में विश्वकर्माओं के योगदान व महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी में चाहे कितनी भी प्रगति क्यों न हो जाए, विश्वकर्मा समाज में हमेशा महत्वपूर्ण बने रहेंगे.
उन्होंने आगे कहा कि समय की मांग है कि विश्वकर्माओं को मान्यता दी जाए और उन का समर्थन किया जाए. सरकार विश्वकर्माओं का सम्मान, क्षमता व समृद्धि बढ़ाने के लिए भागीदार के रूप में आगे आई है.
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया में बड़ी कंपनियां अपना काम छोटे उद्यमों को सौंप देती हैं. आउटसोर्स का यह काम हमारे विश्वकर्मा मित्रों को मिले, वे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनें, हम इस के लिए काम कर रहे हैं. योजना विश्वकर्मा मित्रों को आधुनिक युग में ले जाने का एक प्रयास है. बदलते समय में प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी व उपकरण विश्वकर्मा मित्रों के लिए महत्वपूर्ण हैं.
प्रशिक्षण में 500 रुपए प्रतिदिन भत्ता दिया जाएगा, आधुनिक टूलकिट के लिए 15,000 रुपए का वाउचर दिया जाएगा. उत्पादों की ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग में सरकार मदद करेगी. विश्वकर्मा मित्रों को बिना गारंटी बहुत कम ब्याज पर 3 लाख रुपए तक का ऋण मिलेगा. केंद्र वंचितों के विकास को प्राथमिकता देता है.
भोपाल में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना देश के कारीगरों-शिल्पकारों के जीवन स्तर में बदलाव लाने में सफल होगी. प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना पर 5 साल में 13,000 करोड़ रुपए खर्च कर गुरुशिष्य परंपरा या हाथों व औजारों से काम करने वाले कारीगरों व शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक कौशल के परिवार आधारित पेशे को मजबूत करते हुए बढ़ावा दिया जाएगा, जो केंद्र का अत्यंत सराहनीय कदम है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वोकल फौर लोकल जैसे मंत्र व कई योजनाओं के जरीए पीएम मोदी ने भारत को 5वीं सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बना दिया है और उन के तीसरे कार्यकाल में भारत दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था वाला देश होगा. देश ने स्वास्थ्य व शिक्षा सहित हर क्षेत्र में तेजी से प्रगति की, उपलब्धियां हासिल की हैं.
इस योजना का लाभ उठा कर सुविधाओं से हमारे कारीगर अपनी स्किल को और बढ़ा पाएंगे और आने वाली पीढ़ी को भी अपना हुनर सिखा पाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि अगले महीने के पहले सप्ताह में मध्य प्रदेश में ग्लोबल स्किल पार्क बन कर तैयार हो जाएगा.
भोपाल के समारोह में आईटीआई का दीक्षांत कार्यक्रम भी संपन्न हुआ और विद्यार्थियों को नरेंद्र सिंह तोमर व शिवराज सिंह चौहान ने सम्मानित किया. यहां मध्य प्रदेश के मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा व यशोधरा राजे सिंधिया, क्षेत्रीय विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधि व विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. भोपाल के कार्यक्रम का समन्वय राज्य शासन के साथ ही एमएसएमई और एनएचएआई द्वारा किया गया.
योजना में 18 पारंपरिक क्षेत्र शामिल – केंद्र सरकार ने देश के पारंपरिक शिल्प की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित व प्रोत्साहित करने, कारीगरों व शिल्पकारों की सहायता के लिए ‘पीएम विश्वकर्मा’ मंजूर की है. इस के पहले चरण में 18 पारंपरिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है. इन में बढ़ई (सुथार), नाव निर्माता, अस्त्र बनाने वाला, लोहार, हथौड़ा व टूल किट निर्माता, ताला बनाने वाला, सुनार, कुम्हार, मूर्तिकार (पत्थर तराशने, पत्थर तोड़ने वाला), मोची, राजमिस्त्री, टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता/जूट बुनकर, गुड़िया, खिलौना निर्माता (पारंपरिक), नाई, माला बनाने वाले, धोबी, दर्जी, मछली पकड़ने का जाल बनाने वाले शामिल हैं.





उन्होंने आगे कहा कि कृषि छात्र आईआईटी, आईआईएम, सिविल सर्विसेज, आईसीएआर, एसएयू, राज्य सरकार एवं बैंकों आदि में अपना भविष्य बना सकते हैं.
कृषि क्षेत्र में अनुसंधान भी बहुत जरूरी है. युवाओं को कृषि से जोड़ने के लिए देशभर में वर्तमान में 73 कृषि विश्वविद्यालय प्रयासरत हैं, जहां कृषि की पढ़ाई गुणवत्तापूर्ण तरीके से हो रही है. भारत का इजरायल के साथ कृषि शोध को ले कर करार हुआ है.
राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में आयोजित इस मेले में उदयपुर जिले में कृषि संकाय में अध्ययनरत साढ़े 3 सौ से ज्यादा छात्रछात्राएं, स्कूलों के प्राचार्य प्रतिभागी बनेंगे, जिन्हें कृषि वैज्ञानिक नई राह दिखाएंगे.
मंत्री सूर्य प्रताप शाही नें बताया कि प्रदेश के प्रत्येक गाटा संख्या का सर्वे करने हेतु हमारी सरकार ने इतना ठोस कदम उठाया है, जो पूर्व की कल्पना से परे था. डिजिटल क्राप सर्वे के काम को कृषि एवं राजस्व विभाग के मजदूरों द्वारा पहले चरण में 21 जनपदों में शतप्रतिशत और 54 जनपदों के 10-10 गांव में डिजिटल क्राप का सर्वे इसी माह में पूरा कर लिया जाएगा. अब तक 5 जनपदों में कुल 27,641 गांव का सर्वे किया जा चुका है, जिस में कुल गाटा संख्या 69,530 है और अभी 1,19,12,445 उत्तर प्रदेश का सर्वे किया जाना है. सर्वे का काम गतिमान है.
इस के अलावा, साल 2022-23 के सभी सीपीएस-आधारित किसान, जिन्होंने सरकार को अफीम की आपूर्ति की है, लेकिन किसी भी आदेश या निर्देश के तहत वंचित नहीं किया गया है, उन के लाइसेंस को भी इस साल सीपीएस-आधारित खेती के लिए बनाए रखा गया है. केंद्र सरकार ने इस नीति के दायरे में आने वाले किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए सीपीएस पद्धति जारी करने को ले कर सामान्य लाइसेंस शर्तों में और अधिक छूट दी है.
गेहूं का भंडारण वाली सभी संस्थाओं को गेहूं भंडार सीमा पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण करना होगा. संस्थाओं को प्रत्येक शुक्रवार को भंडार की स्थिति अपडेट करना आवश्यक है. कोई भी संस्था, जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या भंडरण सीमा का उल्लंघन करती है, तो उस के विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के अंतर्गत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.