जैविक खेती (Organic Farming) से पार्वती बनीं सफल सब्जी उत्पादक

छिंदवाड़ा : पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत संचालित मध्य प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. आजीविका मिशन से जुड़ कर ग्रामीण महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर हो कर परिवार के भरणपोषण में सहयोग कर रही हैं, बल्कि समाज में उन्हें एक नई पहचान भी मिली है, जिस से घर, परिवार और समाज में उन का मानसम्मान बढ़ा है. छिंदवाड़ा जिले के विकासखंड जुन्नारदेव की ग्राम पंचायत जुन्नारदेव विशाला के ग्राम जुन्नोर दमामी की पार्वती दीदी भी उन्हीं ग्रामीण महिलाओं में से एक हैं.

आजीविका मिशन के माध्यम से स्वसहायता समूह से जुड़ कर पार्वती दीदी जैविक खेती कर एक सफल सब्जी उत्पादक बन गई हैं. पिछले वर्ष पार्वती दीदी ने पेप्सिको कंपनी से आलू उत्पादन का अनुबंध किया था, जिस से 65,000 रुपए का खालिस मुनाफा प्राप्त हुआ था.

पार्वती दीदी जैविक खेती के लिए जैविक खाद का निर्माण स्वयं करती हैं और गांव के दूसरे लोगों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित करती हैं. अपने गांव को जैविक गांव बनाने का सपना देखने वाली पार्वती दीदी को एक सफल प्रशिक्षक और कृषि कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के रूप में एक नई पहचान भी मिली है.

निर्धन परिवार में जनमी पार्वती दीदी का विवाह छिंदवाड़ा जिले के ग्राम जुन्नोर दमामी निवासी विनोद पवार से हुआ. इस परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी. पति हाथठेला में सब्जी बेच कर परिवार का जैसेतैसे भरणपोषण करते थे. इन के परिवार में पतिपत्नी के अलावा 2 बेटे और 1 बेटी है. जीवन में कई उतारचढ़ाव आए, कई मौके ऐसे भी आए, जब पार्वती और उन के परिवार को सूखी रोटी खा कर रात गुजारनी पड़ी, लेकिन पार्वती दीदी ने हिम्मत नहीं हारी.

वे वर्ष 2020 में ग्राम के संगठन आराध्या ग्राम संगठन जुन्नोर दमामी के अंतर्गत स्वसहायता समूह से जुड़ीं. समूह से जुड़ने के बाद उन के मन में खर्चों से कटौती कर बचत करने की भावना बढ़ी. सामूहिक बचत से छोटीमोटी जरूरतें भी पूरी होने लगीं.

समूह से जुड़ने के उपरांत पार्वती दीदी को समूह, ग्राम एवं संकुल स्तरीय संगठन की अवधारणा, बुक कीपिंग, एमसीपी निर्माण, कृषि सखी एवं आजीविका मिशन के 30 मार्गदर्शी बिंदुओं का प्रशिक्षण प्राप्त हुआ. इस के बाद उन्होंने कृषि सीआरपी (कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन) के रूप में कार्य शुरू किया.

आज पार्वती दीदी अपने गांव के अलावा ब्लौक स्तर के साथ ही अन्य जिले में भी प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं  दे कर ग्रामीण महिलाओं के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जिस से उन्हें जिला स्तर पर एक सफल प्रशिक्षक एवं कृषि कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन की भी पहचान मिली है.

इतना ही नहीं, समूह से जुड़ने के बाद पार्वती दीदी ने सब से पहले सीसीएल लोन की राशि 10,000 रुपए ले कर अपने पति के हाथठेला व्यवसाय में गन्ने का रस वाली मशीन ले कर नया काम शुरू किया. 10 किस्तों में इस लोन को चुकाने पर दूसरा सीसीएल लोन 35,000 रुपए का प्राप्त हुआ, जिस से उन्होंने बंजर पड़ी भूमि को सुधार कर अपनी मेहनत और आजीविका मिशन के सहयोग से नई तकनीकी का प्रयोग कर व्यावसायिक सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया. तृतीय सीसीएल लोन राशि 50,000 रुपए से कृषि कार्य के लिए कुआं गहरीकरण कर और ट्रैक्टर एवं कल्टीवेटर के लिए लोन ले कर जैविक सब्जी उत्पादन एवं खेती का काम कर रही हैं.

सब्जियों के उत्पादन में पार्वती दीदी इतनी दक्ष हो गई हैं कि कंपनियों से अनुबंध कर सब्जियों के विक्रय से अच्छा लाभ प्राप्त कर रही हैं. पिछले साल पेप्सिको कंपनी से अनुबंध द्वारा आलू का विक्रय कर 65,000 रुपए का शुध्द लाभ प्राप्त किया था. इन की जैविक सब्जियां अपने स्वाद और गुणवत्ता के कारण लोकप्रिय बनी हुई हैं. मध्यान्ह भोजन के लिए स्कूलों और छात्रावासों के लिए इन की सब्जियों का विक्रय थोक में किया जाता है.

पार्वती दीदी ने सब्जियों और फसलों के उत्पादन में रासायनिक कीटनाशक का प्रयोग अब पूरी तरह बंद कर दिया है. जैविक खाद और दवाओं जैसे ब्रम्हास्त्र, अग्निअस्त्र, नीमास्त्र, भूनाडेप, केंचुआ खाद का निर्माण स्वयं घर पर ही कर लेती हैं, जिस से खेती में होने वाले खर्च की बचत भी हो जाती है.

समूह से जुड़ कर पार्वती दीदी का न केवल घर, परिवार, समाज में मानसम्मान बढ़ा है, बल्कि आर्थिक मदद के साथ ही उन की जागरूकता और विभिन्न विषयों पर समझ भी बढ़ी है. वे ग्रामीणों को स्वच्छता मिशन के अंतर्गत शौचालयों के उपयोग, बच्चों को आंगनबाड़ी में भेजने और जैविक कृषि के लिए भी गांव वालों को प्रेरित करती हैं.

ड्रोन (Drones) जैसी आधुनिक तकनीक से कृषि बनेगी सुगम

हिसार : हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला संपन्न हुआ. मेले में अनेक उन्नत किस्में, नई तकनीकें, प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शन हुआ. मेले में मुख्य तौर पर किसानों ने विभिन्न स्टालों पर तकनीकी जानकारी ली और उन्नत किस्मों के बीज खरीदे. साथ ही, प्रश्नोत्तरी सत्र में किसानवैज्ञानिकों के संवाद के अलावा विशेष तौर पर खेती में ड्रोन तकनीक के महत्व पर चर्चा की गई.

मेले में दोनों दिन हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से तकरीबन 67,360 किसान शामिल हुए.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि ड्रोन तकनीक समय, श्रम व संसाधनों की बचत करने वाली एक आधुनिक तकनीक है, जो कृषि लागत को कम करने में व फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है. ड्रोन का उपयोग अपनी फसलों के बारे में नियमित जानकारी प्राप्त करने और अधिक प्रभावी कृषि तकनीकों के विकास में सहायक है. बदलते मौसम की स्थिति में भी ड्रोन तकनीक का कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं.

दुर्गम इलाकों में और असमतल भूमि में कीटनाशक, उर्वरकों व खरपतवारनाशक के छिडक़ाव में भी सहायक है. खरपतवार पहचान एवं प्रबंधन में ड्रोन तकनीक सब से महत्वपूर्ण है. ड्रोन के माध्यम से किए गए सर्वे पारंपरिक सर्वे की तुलना में 10 गुना तेज व अधिक सटीक होते हैं. ड्रोन का उपयोग कर के मिट्टी व खेत का विश्लेषण भी किया जा सकता है.

कीट व बीमारियों से लड़ने के लिए बड़े स्तर पर ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है. मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजरी सिस्टम से लैस ड्रोन द्वारा कीड़ों, टिड्डी व सैनिक कीट के आक्रमण का पता लगते ही समय पर कृषि रसायनों का छिड़काव करने से फसल के नुकसान को बहुत ही कम किया जा सकता है. प्रिसिजन फार्मिंग, जेनेटिक इंजीनियरिंग से ले कर जलवायु स्मार्ट कृषि और कृषि से जुड़े अन्य डिजिटल तकनीक को सही तरीके से क्रियान्वित करने के लिए ड्रोन तकनीक बहुत ही सहायक सिद्ध होगी.

उन्होंने बताया कि मेले के माध्यम से विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई नवीनतम किस्मों व कृषि पद्धतियों को जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी, जिस से कि फसलों की पैदावार बढ़ेगी. वर्तमान समय में कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौतियों जैसे भूजल के स्तर का गिरना, भूमि की उर्वराशक्ति में कमी आना, भूमि की लवणता, क्षारीयता व जलभराव की स्थिति, जलवायु परिवर्तन, फसल विविधीकरण और फसल उत्पादन में कीटनाशक एवं रासायनिक उर्वरकों का अधिक प्रयोग शामिल है.

ड्रोन (Drones)

उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली स्टालों को दिए पुरस्कार
विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने बताया कि स्टालों में से सीड ग्रुप में शक्तिवर्धक सीड्स/आईएफएसए सीड्स, सुपर गोल्ड, करनाल व नाजीरेडू सीड्स/सुपर सीड्स ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा   पुरस्कार, इंसेक्टिसाइड्स व पेस्टीसाइड्स ग्रुप में ग्वाला और्गेनिक, देवी क्राप साइंस/मेगामनी और्गेनिक, मिकाडो क्राप साइंस/इंदोरमा ने क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा पुरस्कार प्राप्त किए. फर्टिलाइजर ग्रुप में यारा, इफको/एनएफएल, बायोस्टड इंडिया/आईकेएमएस बायोटेक को क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा पुरस्कार, मशीनरी व ट्रैक्टर ग्रुप में फील्ड मार्शल, करतार ट्रैक्टर्स/एमएसडब्ल्यू, रतिया, बीरबल चीमा/रेनबो को पहला, दूसरा व तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया. फार्मास्यूटिकल ग्रुप में टाइटेनिक फार्मा, एमडी बायोसीड्स/बायोडिसेंट फार्मा और वेक्सटर हेल्थकेयर को क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा पुरस्कार प्रदान किया गया.

प्रगतिशील किसान समूह में सुभाष कंबोज, धर्मवीर/श्रीभगवान व राजेश कुमार क्रमश: पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे. इसी प्रकार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग विभाग, कम्यूनिटी साइंस/एग्री टूरिज्म, एमबीबी/माइक्रोबायोलौजी को क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा पुरस्कार, सरकारी विभाग/एमएचयू/लुवास/एनजीओ में एमएचयू/आईएफएफडीसी, एचएसडीसी/नैशनल सीड्स, जिला विधिक सेवाएं/सरोज ग्रेवाल क्रमश: पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर रहे.

 

कृषि योजनाओं (Agricultural Schemes) से महिलाएं बन रहीं आत्मनिर्भर

हिसार : सभी बाधाओं के बावजूद महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का प्रमाण दिया है. महिलाओं के उद्यमी और प्रगतिशील स्वभाव के कारण वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पूरी मेहनत और प्रयास कर रही है.

महिलाओं ने अपनी क्षमताओं का सुबूत दिया है. ऐसे कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के ज्ञान, कौशल, जागरूकता, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास में परिवर्तन लाने के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं. सरकार की विभिन्न योजनाओं और पहलों के फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है.

ये विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कैंपस स्कूल की निदेशिका संतोष कुमारी ने रखे. वे गांव धांसू में इंदिरा चक्रवर्ती गृह विज्ञान महाविद्यालय द्वारा आयोजित ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम के समापन पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रही थीं.

इंदिरा चक्रवर्ती गृह विज्ञान महाविद्यालय की अधिष्ठाता डा. बीना यादव ने बताया कि इस मासिक कार्यक्रम में प्रत्येक छात्रा ने कम से कम 3 परिवारों में व्याख्यान, प्रदर्शनी, रैली, समूह चर्चा आदि जैसे विस्तार तरीकों का उपयोग कर के भोजन पोषण, संसाधन प्रबंधन, अपशिष्ट प्रबंधन, कपड़े निर्माण और अलंकरण, बच्चों की देखभाल, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

कृषि योजनाओं (Agricultural Schemes)उन्होंने ग्रामीण महिलाओं से आह्वान किया कि अब समय बदल गया है कि उन्हें न केवल किसी भी कार्यक्रम में लाभार्थी के रूप में भाग लेना चाहिए, बल्कि योजना और कार्यान्वयन में भी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए.

कार्यक्रम में पौष्टिक व्यंजन, बाजरा के उत्पाद, कपड़े की कढ़ाई अध्यापन सामग्री सहित गांव की पारंपरिक वस्तुओं की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिस का मुख्यातिथि ने अवलोकन किया. इस दौरान छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में विशिष्ट योगदान देने वाली महिलाओं को मुख्यातिथि ने स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया.

इस अवसर पर सरपंच प्रतिनिधि सुरजीत सिंह, स्कूल प्राचार्य मोहनलाल बैनीवाल, भारी संख्या में महिलाएं, जिला परिषद, पशु चिकित्सालय, ब्लौक समिति एवं ग्राम पंचायत के सदस्य, युवा संगठन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ग्राम स्तरीय अधिकारी, महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाएं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित अन्य शामिल हुए.

दूध और दूध उत्पाद प्रसंस्करण (Milk Products Processing) पर प्रशिक्षण

हिसार : लुवास के डेयरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में किसानों के लिए आयोजित तीनदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम “उन्नत दूध और दूध उत्पाद प्रसंस्करण’’ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. यह कार्यक्रम केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के साथ संयुक्त रूप से आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को दूध प्रसंस्करण में उन्नत जानकारी और कौशल प्रदान करना था.

इस कार्यक्रम के माध्यम से किसानों को आधुनिक तकनीकों, प्रक्रियाओं और उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त हुई,  जो उन्हें अपनी डेयरी व्यावसायिकता को बढ़ाने और मानकों को पूरा करने में मदद करेगी.
डा. राजेश खुराना, निदेशक, मानव संसाधन प्रबंधन एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए आधुनिक तकनीकों और विधियों के प्रयोग की महत्वपूर्णता पर जोर दिया.

उन्होंने इस प्रशिक्षण के महत्व को डेयरी क्षेत्र में उत्पादकता और उत्पाद गुणवत्ता में सुधार के लिए अद्वितीय योगदान के रूप में माना. उन्होंने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों की प्रतिबद्धता और सीखने के प्रति समर्पण की सराहना की और उद्यम और प्रगति के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ाने वाला कहा.

डा. सज्जन सिहाग, अधिष्ठाता, डेयरी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय ने अपने संबोधन में सभी प्रतिभागियों, प्रशिक्षकों और अतिथियों को इस कार्यक्रम की सफलता में योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद दिया. उन्होंने डेयरी उद्योग को आगे बढ़ाने में निरंतर अध्ययन और सहयोग की महत्वता पर जोर दिया और ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भूमिका को उजागर किया.

उन्होंने बताया कि डेरी उद्योग अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर उन क्षेत्रों में, जहां इस का उपयोग आधुनिक प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और विज्ञान के साथ किया जा रहा है. इस संदर्भ में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण योगदान होता है. इन कार्यक्रमों के माध्यम से, उद्योग के नए और उन्नत प्रौद्योगिकी और विज्ञान को अधिक समझा जा सकता है, जिस से उत्पादन में नवाचार और बेहतर हो सके.

प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से प्रशिक्षकों को नवाचार, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी के नवीनतम विकास के साथ अवगत कराया गया, जिस से वे अपने शैक्षिक प्रोग्रामों को उत्कृष्ट बना सकें.

दूध उत्पाद प्रसंस्करण (Milk Products Processing)

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम समन्वयक डा. नवनीत सक्सेना एवं डा. शालिनी अरोड़ा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपलब्धियों का विवरण दिया. उन्होंने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान और अनुभवों के महत्व को प्रकट किया और प्रतिभागियों को उन के अनुभव में सहयोग और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया.

उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं पर विचार किए, उत्पादकता और उत्पाद गुणवत्ता में सुधार के महत्व को समझाया और प्रतिभागियों को उन को कैसे बढ़ावा देना है, इस विषय पर सुझाव दिए.

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान 30 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम के समापन समारोह में प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए. यह प्रमाणपत्र उन के प्रयासों और उपलब्धियों को मान्यता देने का एक प्रतीक था, जो उन के द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा किया गया.

समापन समारोह ने कार्यक्रम के दौरान प्राप्त समृद्ध अनुभवों और अंतर्दृष्टियों पर विचार करने का मंच प्रदान किया. डा. गुरुराज और डा. रचना, कार्यक्रम समन्वयक ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संपन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सचिवालय परिसर को चार चांद लगा रहे हैं 10 प्रजातियों के गुलाब (Species of Roses)

जयपुर : रंगबिरंगे फूल किसी भी परिसर की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं और उन की भीनी महक किसी भी व्यक्ति के मन को आनंद से प्रफुल्लित कर सकती है. इन दिनों शासन सचिवालय का उद्यान हर साल की तरह विविध रंगों के फूलों से महक रहा है. पिटुनिया, साल्विया, डहेलिया, पैंजी, डायन्थस, फ्लोक्सम, बरबीना, केलेंडूला, मेरीगोल्ड, बिगोनिया, लार्कस्पर, क्राईसेंथिमम, बोगनबीलिया, आइसप्लांट, पनसेटिया जैसी किस्मों के विविध रंगों से लबरेज 40 तरह की फुलवारियां यहां रंग बिखेर रही हैं. यहां गुलाब की 10 से भी ज्यादा किस्में हैं, जिन के फूलों की रंगबिरंगी छटा भी देखते ही बनती है.

सार्वजनिक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधीक्षक (उद्यान) सुरेश नारायण शर्मा ने बताया कि इन दिनों 40 से अधिक फुलवारियां एवं 10 किस्मों के गुलाब शासन सचिवालय उद्यान को सुशोभित किए हुए हैं और आगंतुकों को आकर्षित व आनंदित कर रहे हैं.

उन्होंने आगे यह भी बताया कि राजस्थान रोज सोसाइटी द्वारा हाल ही में आयोजित रोज शो-2024 में भी शासन सचिवालय उद्यान को उत्कृष्ट श्रेणी की फुलवारी में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ. उन्होंने बताया कि गरमी के मौसम की फुलवारी की तैयारियां भी आरंभ हो चुकी हैं.

फूलों से गुलजार इन फुलवारियों का रखरखाव कार्मिक विभाग के निर्देशों पर सार्वजनिक निर्माण विभाग की उद्यान शाखा द्वारा कराया जा रहा है.

विकसित भारत (Developed India) बनाते युवा

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में “द रोल औफ यूथ इन द विजन एंड मिशन औफ विकसित भारत 2047” विषय पर आयोजित कार्यक्रम में  मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने बताया कि भारत को 2047 तक विकसित बनाने के संकल्प को साकार करने में देश के युवाओं की विशेष भूमिका रहेगी. इस के लिए उन्हें विचार करना होगा कि मैं कैसे देश को विकसित बनाने में अपनी भूमिका अदा कर सकता हूं, इसी सकारात्मक सोच व सही दिशा के साथ युवाओं को सोचने व काम करने की जरूरत है. साथ ही, उसे शैक्षणिक विकास के साथ मानसिक व अध्यात्मिक रूप से भी मजबूत बनना होगा.

उन्होंने कहा कि युवाओं को आत्म अवलोकन करने की आवश्यकता है, ताकि वह देश को विकसित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकें. उन्होंने युवाओं से कहा कि वे स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों के प्रेरक प्रसंगों से सीख लेते हुए अध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ कर बदलते परिपेक्ष्य में अपनी जिम्मेदारियों का निष्पक्ष रूप से निर्वहन करें. मुख्यातिथि ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता रहे विद्यार्थियों को सम्मानित कर प्रमाणपत्र दिए व उन का हौसला बढ़ाया.

शोषणमुक्त क्षमतायुक्त हो भारतसुरेश जैन, मुख्य वक्ता

मुख्य वक्ता, भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय आयोजन सचिव सुरेश जैन ने बताया कि विकसित भारत बनाने का मकसद केवल उद्योगों, नवाचारों व प्रौद्योगिकियों का विस्तार करना नहीं है, अपितु समाज के प्रति संवेदनाएं व ममत्व जैसे गुणों को अपनाना भी है. यदि युवाओं व नागरिकों में देश के प्रति ममत्व व संवेदनाएं नहीं होंगी, तब तक वे अपनी जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि भारत को शोषणमुक्त व क्षमतायुक्त बनाना होगा. मुख्य वक्ता सुरेश जैन ने भारत को विकसित बनाने में महिलाओं की भागीदारी को भी अहम बताया. उन्होंने कहा कि युवाओं को केवल शैक्षणिक जानकारी  ही नहीं, बल्कि उन में संस्कारों का होना भी जरूरी है.

उन्होंने आगे कहा कि हर नागरिक इस भाव से काम करे कि जो भी कर रहा हूं देश के लिए कर रहा हूं. सभी को न्याय मिले और वो भी सही समय पर मिले. समाज में सभी के लिए समान अवसर हो, शोषण व अत्याचार न हो, परस्पर अविश्वास खत्म हो, तभी विकसित भारत की कल्पना की जा सकती है.

मुख्य वक्ता सुरेश जैन ने कहा कि युवाओं को आपसी मतभेद भुला कर राष्ट्र के उत्थान में बढ़चढ़ भाग लेना चाहिए. उन्होंने देश के पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइलमैन डा. एपीजे अब्दुल कलाम का प्रेरक प्रसंग बताते हुए कहा कि उन्हें नासा में काम करने का न्योता मिला, लेकिन उन्होंने देशरूपी मां को गरीबी से मुक्त करने का हवाला दे कर इस सुनहरे अवसर को ठुकरा दिया था.

ये रहे विभिन्न प्रतियोगिताओं के परिणाम

प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर राजकीय पीजी कालेज, हिसार के छात्र पंकज व रेनुका भारद्वाज, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस माइक्रोबायोलौजी के छात्र ए. प्रेमा शिवा नागा तेजा व रक्षा जैन और तीसरे स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार के छात्र पायल व पुनिता रहे.

भाषण प्रतियोगिता में पहले स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार की छात्रा अन्नू रही, जबकि दूसरे स्थान पर कालेज औफ एग्रीकल्चर, हिसार के छात्र प्रिंस व तनिषा और केएम कालेज, नरवाना की छात्रा ख्वाइश तीसरे स्थान पर रही.

आन द स्पौट प्रतियोगिता में पहले स्थान पर कालेज औफ एग्रीकल्चर, हिसार के छात्र प्रिंस रहे, जबकि दूसरे स्थान पर राजकीय महिला महाविद्यालय, हिसार की छात्रा अन्नू व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस, हिसार की छात्रा अंशिका रही.

निबंध प्रतियोगिता में पहले स्थान पर डीएन कालेज, हिसार के छात्र रजत सोनी रहे, जबकि दूसरे स्थान पर राजकीय महाविद्यालय, जींद के छात्र सचिन व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा नेहा व कालेज औफ एग्रीकल्चर के छात्र जौंस टायडल रहे.

इसी प्रकार स्कूली स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में पहले स्थान पर जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीपांशु रहे, जबकि दूसरे स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल, गोरखपुर की छात्रा भव्या व तीसरे स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल, गोरखपुर की छात्रा उर्मिला रही.

वेस्ट टू वेल्थ मौडल कंपीटीशन में पहले स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्राएं निकिता, नेहा यादव व वर्तिका रही. दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस एलएचसी की छात्रा नेहा व तीसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस समाजशास्त्र की छात्रा ज्योतिका रही.

विज्ञान प्रदर्शनी में ओडीएम, हिसार की छात्राएं संजू, ज्योति, शीतल व शविना रही, जबकि दूसरे स्थान पर डीपीएस, हिसार के छात्र शिवम व अभय रहे. तीसरे स्थान पर कालेज औफ इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलौजी, एचएयू के छात्र दर्शन सिंह व अतिश रहे.

पेंटिग एंड ड्राइंग कंपीटीशन में स्कूली स्तर पर प्रथम स्थान पर एमएम ब्राइट फ्यूचर स्कूल की छात्रा रितू, दूसरे स्थान पर ठाकुरदास भार्गव स्कूल की छात्रा दीक्षा व तीसरे स्थान पर गुरु जम्भेश्वर स्कूल के छात्र दीक्षित कुमार रहे.

इसी प्रकार विश्वविद्यालय व महाविद्यालय स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर राजकीय पीजी कालेज, हिसार के छात्र योगेश, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा फातिमा व तीसरे स्थान पर एचएयू की छात्रा प्रतिभा रही.

रंगोली प्रतियोगिता में स्कूली स्तर पर प्रथम स्थान जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीक्षित व मुस्कान रहे, जबकि दूसरे स्थान पर जीजेएसएस, हिसार के छात्र दीपांशु व चाहत और तीसरे स्थान पर पूजा व दिशा रही. महाविद्यालय स्तर पर डीएन कालेज, हिसार के विद्यार्थी रजत सोनी व नेहा पहले स्थान पर रहे, दूसरे स्थान पर कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा नीलकमल व प्रियंका और तीसरे स्थान पर एफसी कालेज की छात्रा अंशिका व निहारिका रही, जबकि सांत्वना पुरस्कार राजकीय महाविद्यालय, जींद की छात्राएं मोनिका व दिव्या मोर रही.

स्लोग्न राइटिंग प्रतियोगिता में स्कूली स्तर पर आयोजित इस प्रतियोगिता में गुरु जम्भेश्वर स्कूल, हिसार की छात्राएं काव्या, डौली व पूजा क्रमश: पहला, दूसरा व तीसरा स्थान प्राप्त किया.

महाविद्यालय स्तर पर प्रथम स्थान पर डीएन कालेज, हिसार के छात्र रजत सोनी, दूसरे स्थान पर कालेज औफ कम्युनिटी साइंस की छात्रा गरिमा व तीसरे स्थान पर राजकीय महिला, जींद के छात्र अमन व कालेज औफ बेसिक साइंस की छात्रा राजबाला रही.

विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित उपरोक्त प्रतियोगिता में प्रथम व दूसरे स्थान पर माइक्रोबायोलौजी के छात्र नीलकमल व निकिता रही, जबकि तीसरे स्थान पर ज्यूलौजी के छात्र रिशु रहे.

पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता में ज्यूलौजी की छात्रा प्रियंका पहले स्थान पर रही, जबकि दूसरे स्थान पर माइक्रोबायोलौजी की छात्रा प्रियंका व तीसरे स्थान पर पर्यावरण विभाग की छात्रा फातिमा व अंजू रहे.

मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. नीरज कुमार ने सभी का औपचारिक तौर पर स्वागत किया, जबकि द एचएयू साइंस फार्म के सचिव डा. बलजीत सिंह सहारण ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया. मंच संचालन छात्रा सुनैना ने किया.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के तमाम अधिकारियों सहित इस से जुड़े समस्त महाविद्यालय के अधिष्ठाता, निदेशक, विभागाध्यक्ष, वैज्ञानिक, शोधार्थी सहित शहर के विभिन्न विश्वविद्यालयों, कालेजों व स्कूलों के छात्र व छात्राएं मौजूद रहे.

लुवास में वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन (Scientific Pig Farming) पर ट्रेनिंग

हिसार: लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के पशुधन फार्म परिसर विभाग में चल रहे “वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन” के विषय में तीनदिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला एवं प्रशिक्षण के समापन समारोह के अवसर पर आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए.

प्रशिक्षण कार्यक्रम कुलपति डा. विनोद कुमार वर्मा के दिशानिर्देशन में आयोजित किया गया. इस अवसर पर उपस्थित मुख्य अतिथि आईपीवीएस निदेशक डा. एसपी दहिया ने अपने संबोधन में कहा कि वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन आज के समय की जरूरत है, ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो सके.

उन्होंने प्रतिभागियों को सिखाई गई तकनीकों व विधियों का इस्तेमाल अपने कार्यक्षेत्र में करने के लिए प्रेरित किया. डा. एसपी दहिया ने इस अवसर पर बताया कि सूअर की ज्यादा बच्चे देने की क्षमता और उच्च चारा रूपांतरण अनुपात सूअरपालन को प्रभावी बनाते हैं.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी वितरित किए गए. उन्होंने पशुधन फार्म परिसर विभाग के प्रशिक्षकों एवं कर्मचारियों को कार्यशाला के सफलतापूर्वक समापन पर बधाई दी. इस अवसर पर विभागाध्यक्ष, सूअरपालन इकाई प्रमुख और विभाग के संकाय सदस्य मौजूद थे.

प्रशिक्षण के बारे में बात करते हुए पशुधन फार्म परिसर विभाग के विभागाध्यक्ष और इस प्रशिक्षण कार्यशाला के निदेशक डा. वीएस पंवार ने बताया कि इस तीनदिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यशाला में 14 प्रतिभागियों ने भाग लिया था. इस दौरान उन्हें वैज्ञानिक पद्धति से सूअरपालन प्रशिक्षण के अलावा प्रतिदिन प्रैक्टिकल ट्रेनिंग भी दी गई.

ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत किसान जागरूकता कार्यक्रम

बांसवाड़ाः 27 मार्च, 2024 को कृषि अनुसंधान केंद्र, बोरवट फार्म बांसवाड़ा के ग्रामीण कृषि मौसम सेवा परियोजना के तहत एकदिवसीय कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन झेर्पारा (करजी) गांव में किया गया, जिस में झेर्पारा गांव के लगभग 75 किसानों ने हिस्सा लिया.

इस अवसर पर केंद्र के संभागीय निदेशक अनुसंधान डा. हरगिलास ने फसलों पर मौसम के प्रभाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह केंद्र सप्ताह में 2 दिन मंगलवार व शुक्रवार को मौसम पूर्वानुमान की विज्ञप्ति जारी करता है, जिस में मौसम के घटक, वर्षा, तापमान, बादल, आर्द्रता, धूप, हवा की गति एवं दिशा के पूर्वानुमान के साथ फसल एवं फलवृक्षों से संबंधित बोआई, कटाई, अंतराशस्य क्रिया, कीट एवं रोग व व्याधि की रोकथाम व उपचार की जानकारी दी जाती है.

उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि अपने मोबाइल नंबर रिकौर्ड करवा कर कृषि मौसम से संबंधित सुचना ले सकते हैं. मुकेश जोशी, कृषि वैधशाला प्रेक्षक ने किसानों को बताया कि फसल पर आधारित रोग व कीट सभी मौसम से प्रभावित होते हैं, इसलिए मौसम के अनुकूल फसलों का चुनाव कर के बोआई करें.

इस अवसर पर डा. पीयूष चौधरी, रिसर्च एसोसिएट ने मौसम संबंधित जानकारी, किसानों में उस की उपयोगिता एवं महत्व पर प्रकाश डाला. साथ ही, मौसम के पूर्वानुमान के आधार पर खेती की जानकारी के बारे में विस्तृत चर्चा की. केंद्र के अशोक मावी ने मंच का संचालन एवं आभार व्यक्त किया.

‘’प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” लागू

भोपाल : मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में ‘’मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना” को विस्तारित कर “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” नाम से लागू करने की स्वीकृति दी गई. “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजना में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

किसान/किसानों के समूहों को सोलर कृषि पंप कनेक्शन प्रदान करने के लिए वर्तमान में प्रचलित “मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना” के अंतर्गत सोलर कृषि पंप कनेक्शन भी दिया जा रहा है.

केनबेतवा लिंक परियोजना के लिए 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने केनबेतवा लिंक परियोजना के पहले और दूसरे चरण में कराए जाने वाले कामों के लिए लागत राशि 24 हजार, 293 करोड़, 24 लाख रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी है. परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी, पन्ना, दमोह, सागर, दतिया एवं बेतवा बेसिन के विदिशा, शिवपुरी, रायसेन जिले के सूखा प्रभावित 6,57,364 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई एवं लगभग 44 लाख आबादी को पेयजल की सुविधा मिलेगी.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण स्थापना की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद ने चित्रकूट नगर के समग्र विकास के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा विद्यमान चित्रकूट विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण को विघटित कर चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना की स्वीकृति दी है.

चित्रकूट विकास प्राधिकरण की स्थापना से प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र का समग्र विकास संभव हो सकेगा. साथ ही, संचालनालय नगर और ग्राम निवेश द्वारा प्रभावशील विकास योजना के प्रस्तावों का क्रियान्वयन भी मुमकिन हो सकेगा.

मंत्रिपरिषद ने प्राधिकरण के लिए 20 करोड़ रुपए की सहायता अनुदान राशि की स्वीकृति दी. कलक्टर को अन्य आवश्यक व्यवस्था करने के लिए अधिकृत किया गया है.

रोपवे परियोजनाओं का अनुमोदन
मंत्रिपरिषद ने लोक निर्माण विभाग एवं नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHM) के मध्य रोपवे के विकास, कार्यान्वयन, निर्माण, संचालन और रखरखाव के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का अनुमोदन किया.

“प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” का क्रियान्वयन मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केंद्र शासन की कुसुम ‘बी’ योजनांतर्गत जारी दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा.

मध्य प्रदेश में प्रस्तावित समस्त रोपवे परियोजना के लिए मध्य प्रदेश शासन की ओर से परियोजना के एकरेखण के अनुमोदन के लिए प्रबंध संचालक, मध्य प्रदेश सडक विकास निगम को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया. समस्त रोपवे परियोजना एकरेखण के भू निर्देशांक को राज्य सरकार के राजपत्र में अधिसूचित करने, भूअर्जन से संबंधित समस्त कार्यवाही का अनुमोदन करने, निश्चित समझौता को हस्ताक्षरित करने एवं परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए नेशनल हाईवे लौजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड को प्रवर्तक यानी प्रमोटर नियुक्त करने के लिए प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश शासन, लोक निर्माण विभाग को अधिकृत करने के लिए अनुमोदन किया गया.

पीएम जनमन में नरसिंहपुर में मार्ग निर्माण की स्वीकृति
मंत्रिपरिषद द्वारा पीएम जनमन में नरसिंहपुर का एक मार्ग एल 063 मोहपानी से बड़ागांव (तलैया) लंबाई 29.10 किलोमीटर की लागत 40 करोड़, 75 लाख रुपए मय संधारण (1.40 करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर) है, जो कि निर्धारित सीमा लागत रुपए एक करोड़ प्रति किलोमीटर से अधिक है, में अतिरिक्त राशि 11 करोड़, 65 लाख रुपए का भार राज्य शासन द्वारा वहन किए जाने की स्वीकृति की गई. भविष्य में पीएम जनमन योजनांतर्गत एक करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर की लागत से अधिक राशि के प्रस्ताव निर्मित होने पर ऐसे प्रस्ताव में लगने वाली अतिरिक्त राशि की स्वीकृति प्राधिकरण के अंतर्गत गठित साधिकार समिति द्वारा दी जा सकेगी. इस अतिरिक्त राशि का वहन राज्य शासन द्वारा किया जाएगा.

कपास (Cotton) में गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप

हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि देश के उत्तरी क्षेत्र में लगातार गुलाबी सुंडी का बढ़ता प्रकोप किसानों एवं कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है. इस के समाधान के लिए हमें सामूहिक रूप से एकजुट हो कर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि किसान को माली नुकसान से बचाया जा सके. वे विश्वविद्यालय में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के कृषि क्षेत्र से जुड़े वैज्ञानिक, अधिकारी व निजी बीज कंपनी के प्रतिनिधियों के लिए आयोजित एकदिवसीय सेमिनार को बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे. इस सेमिनार में कपास उगाने वाले 10 जिलों के किसान प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने कहा कि पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी का प्रकोप ज्यादा रहा था, जिस के नियंत्रण के लिए अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, जो चिंता का विषय है. इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशक एवं अन्य कीट प्रबंधन के उपायों को खोजना होगा और हितधारकों के साथ मिल कर सामूहिक प्रयास करने होंगे. तभी किसान को बचाया जा सकता है. किसान नरमा की बन्छटियों को खेत में न रखें. अगर रखी हुई है तो बिजाई से पहले इन्हें अच्छे ढंग से झाड़ कर उसे दूसरे स्थान पर रख दें और इन के अधखिले टिंडों एवं सूखे कचरे को नष्ट कर दें, ताकि इन बन्छटियों से निकलने वाली गुलाबी सुंडियों को रोका जा सकें.

इस के अलावा नरमा की बिजाई विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित बीटी संकर किस्मों की 15 मई तक पूरी करें एवं कीटनाशकों व फफूंदीनाशकों को मिला कर छिडक़ाव न करें. किसान नरमे की बिजाई के उपरांत अपने खेत की फेरोमोन ट्रेप से निरंतर निगरानी रखें और गुलाबी सुंडी का प्रकोप नजर आने पर निकटतम कृषि विशेषज्ञ से बताए मुताबिक नियंत्रण के उपाय करें.

गुलाबी सुंडी के नियंत्रण प्रबंधन के लिए दिए महत्वपूर्ण सुझाव
बैठक में विस्तार शिक्षा निदेशक डा. बलवान सिंह मंडल ने विश्वविद्यालय के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से गुलाबी सुंडी के प्रबंधन के लिए किए गए कामों की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की.

कपास अनुभाग के प्रभारी डा. करमल सिंह ने वर्ष 2023 में हरियाणा प्रांत में नरमा फसल में गुलाबी सुंडी के प्रकोप की स्थिति के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. सतनाम सिंह एवं राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डा. प्रदीप कुमार ने अपनेअपने प्रांत में कपास की स्थिति एवं गुलाबी सुंडी के प्रकोप की जानकारी दी. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, हरियाणा के संयुक्त निदेशक (कपास) आरपी सिहाग ने विभाग द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी.

भारत सरकार के क्षेत्रीय कपास अनुसंधान केंद्र, सिरसा के निदेशक डा. ऋषि कुमार ने उत्तर भारत में कपास की समस्याओं व उन के प्रबंधन को ले कर चर्चा की. इसी दौरान निजी बीज कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी गुलाबी सुंडी के नियंत्रण और प्रबंधन को ले कर महत्वपूर्ण सुझाव दिए.