हिसार : हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में कृषि मेला संपन्न हुआ. मेले में अनेक उन्नत किस्में, नई तकनीकें, प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शन हुआ. मेले में मुख्य तौर पर किसानों ने विभिन्न स्टालों पर तकनीकी जानकारी ली और उन्नत किस्मों के बीज खरीदे. साथ ही, प्रश्नोत्तरी सत्र में किसानवैज्ञानिकों के संवाद के अलावा विशेष तौर पर खेती में ड्रोन तकनीक के महत्व पर चर्चा की गई.

मेले में दोनों दिन हरियाणा के अलावा पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से तकरीबन 67,360 किसान शामिल हुए.

कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि ड्रोन तकनीक समय, श्रम व संसाधनों की बचत करने वाली एक आधुनिक तकनीक है, जो कृषि लागत को कम करने में व फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है. ड्रोन का उपयोग अपनी फसलों के बारे में नियमित जानकारी प्राप्त करने और अधिक प्रभावी कृषि तकनीकों के विकास में सहायक है. बदलते मौसम की स्थिति में भी ड्रोन तकनीक का कुशलता से प्रयोग कर सकते हैं.

दुर्गम इलाकों में और असमतल भूमि में कीटनाशक, उर्वरकों व खरपतवारनाशक के छिडक़ाव में भी सहायक है. खरपतवार पहचान एवं प्रबंधन में ड्रोन तकनीक सब से महत्वपूर्ण है. ड्रोन के माध्यम से किए गए सर्वे पारंपरिक सर्वे की तुलना में 10 गुना तेज व अधिक सटीक होते हैं. ड्रोन का उपयोग कर के मिट्टी व खेत का विश्लेषण भी किया जा सकता है.

कीट व बीमारियों से लड़ने के लिए बड़े स्तर पर ड्रोन का उपयोग किया जा सकता है. मल्टीस्पेक्ट्रल इमेजरी सिस्टम से लैस ड्रोन द्वारा कीड़ों, टिड्डी व सैनिक कीट के आक्रमण का पता लगते ही समय पर कृषि रसायनों का छिड़काव करने से फसल के नुकसान को बहुत ही कम किया जा सकता है. प्रिसिजन फार्मिंग, जेनेटिक इंजीनियरिंग से ले कर जलवायु स्मार्ट कृषि और कृषि से जुड़े अन्य डिजिटल तकनीक को सही तरीके से क्रियान्वित करने के लिए ड्रोन तकनीक बहुत ही सहायक सिद्ध होगी.

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