नई पीढ़ी खेती की ओर बढ़ेगी, तो बढ़ेगा खेती में मुनाफा

नई दिल्ली : 3 मई 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने श्रीराम कालेज औफ कौमर्स की दि मार्केटिंग सोसायटी द्वारा आयोजित मार्केटिंग समिट को संबोधित किया.

इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार का जोर नई पीढ़ी को खेती की ओर आकर्षित करने और किसानों का मुनाफा बढ़ाने पर है.

उन्होंने छात्रों से यह भी कहा कि वे पूरी कृषि व्यवस्था को व्यावहारिक रूप से समझने के लिए पूसा संस्थान, नई दिल्ली सहित देश के प्रमुख संस्थानों का दौरा करें.

भारत कृषि प्रधान देश है, जिस की बहुत महत्ता है. यदि आप के पास पैसा है और खाने के लिए उत्पादों की कमी है तो कैसे काम चलेगा, इसलिए हमारे किसान जो अपनी आजीविका तो कमा रहे हैं, लेकिन पूरे देश के प्रति खाद्यान्न की उपलब्धता के साथ अपना कर्तव्य भी निभा रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र अन्य क्षेत्रों के मुकाबले लंबे समय तक उपेक्षित रहा, लेकिन यह रीढ़ की तरह है, जिस के साथ हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के तानेबाने को मुगल व अंगरेज भी नहीं तोड़ सके. उलट हालात में भी कृषि क्षेत्र ने देश में अपनी सार्थकता सिद्ध की है. ऐसे में भारतीय कृषि की अहमियत और भी बढ़ गई है. भारत अब मांगने वाला देश नहीं, बल्कि देने वाला देश बन गया है. दुनिया के अनेक देशों की हम से उम्मीदें बढ़ गई हैं, उन के लिए भी हमें अपनी कृषि को और बेहतर करने की आवश्यकता है.

उन्होंने अपनी बात साझा करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में एक के बाद एक अनेक ठोस योजनाएं बना कर क्रियान्वित की जा रही हैं. सरकार ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए टैक्नोलौजी का उपयोग भी सुनिश्चित किया है. करोड़ों किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 6-6 हजार रुपए सालाना उन के बैंक खातों में पूरी पारदर्शिता के साथ जमा कराए जा रहे हैं. इस रूप में अभी तक ढाई लाख करोड़ रुपए जमा कराए जा चुके हैं, जो पूरे के पूरे किसानों को मिले हैं.

कार्यक्रम में कालेज की प्राचार्य प्रो. सिमरत कौर ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को स्मृतिचिह्न भेंट किया. सूर्यप्रकाश व श्रीराम मार्केटिंग सोसायटी के अध्यक्ष जय अंबानी, सचिव तनिष्क ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का स्वागत किया.

छात्रों का हुनर बढ़ाने के लिए मत्स्यपालन एवं मूल्य संवर्धन पर हुआ प्रशिक्षण

निदेशालय प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा पिछले दिनों रोजगार को बढ़ावा देने एवं क्षमता विकास हेतु एक द्विवर्षीय ‘उच्च मूल्य मत्स्य उत्पादन के अवसर और मूल्य संवर्धन’ विषय पर आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय के सभागार में किया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन डा. विवेक धामा, कृषि अधिष्ठाता महाविद्यालय द्वारा किया गया.

डा. आरएस सेंगर, निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा प्रशिक्षण के उद्देषीय और प्रशिक्षण का भविष्य में उपयोग पर जानकारी दी गई. प्रशिक्षण सेल का मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षण एवं रोजगार सृजनकर्ता है. साथ ही, क्षमता विकास पर विभिन्न कंपटीशन परीक्षा में अधिक से अधिक सफलता पा सके.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. केके सिंह द्वारा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कराए जा रहे हैं. उन के दिशानिर्देश में छात्रों के हुनर को और मजबूत करने के लिए आगामी माह में कई प्रशिक्षण एवं रोजगार से संबंधित कार्यक्रम किए जाएंगे.

डा. हरिंद्र प्रसाद, उपनिदेशक मत्स्य, मेरठ मंडल द्वारा सरकार द्वारा मत्स्य उत्पादन के लिए चलाई जा रही योजना की जानकारी पर चर्चा करते हुए विस्तार में मत्स्य पट्टा आवंटन और मछली उत्पादन फार्म की शुरुआत कैसे करें, क्याक्या सावधानियां करें, जलाशयों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर विस्तार से चर्चा की गई और फेज कल्चर (पिछड़ा) पद्धति पर चर्चा कर के बताया गया है कि इस पर 40 से 60 फीसदी तक का अनुदान है.

प्रशिक्षण में डा. आशीष पुरथी, मत्स्य वैज्ञानिक, भारतीय फसल प्रणाली अनुसंधान केंद्र, मेरठ द्वारा मछली उत्पादन के समय विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी गई. साथ ही, मछली के विभिन्न उत्पादनों की जानकारी दी गई.

डा. डीवी सिंह, प्राध्यापक कीट विज्ञान एवं प्रभारी मत्स्य द्वारा मछली उत्पादन के समय आहार प्रबंधक और विसर्जन प्रबंधक पर विस्तृत जानकारी दी. साथ ही, यह भी अवगत कराया गया कि मत्स्यपालन कर के कम जगह से अधिक आय रोजगार सृजन एवं मत्स्य का निर्यात कर विदेशी मुद्रा भी प्राप्त की जा सकती है.

डा. अर्चना आर्य, सहप्राध्यापक मत्स्य द्वारा प्रशिक्षण ले कर कम लागत में अधिक आय प्राप्त करने के लिए मत्स्यपालन तकनीकी पर विस्तार से जानकारी दी गई.

डा. डीवी सिंह, प्रभारी कीट विज्ञान एवं मत्स्य प्रभारी प्रशिक्षण तकनीकी सत्र का संचालन किया गया. डा. सत्यप्रकाश, निदेशक प्रशिक्षण एवं सेवा योजन द्वारा प्रशिक्षण निदेशालय द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गया. इस कार्यक्रम में बीएससी के तकरीबन 240 छात्रछात्राओं ने हिस्सा लिया.

गेहूं खरीद का टूटा रिकार्ड

केंद्र सरकार के अनुसार, इस साल एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद के लक्ष्य को पूरा करने में सफलता मिली है. खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने बताया है कि रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के दौरान 26 अप्रैल, 2023 तक 195 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हुई है. इस से पहले आरएमएस 2022-23 में कुल 187.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था यानी सरकार ने इस बार 26 दिन में पिछले साल के खरीद का रिकौर्ड तोड़ दिया है.

क‍ितने किसानों ने एमएसपी पर बेचा गेहूं

वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन में 26 अप्रैल, 2023 तक 14.96 लाख किसानों ने अपना गेहूं एमएसपी पर बेचा है. इन किसानों को एमएसपी के तौर पर 41,148 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को खरीद केंद्रों के अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर खरीद केंद्र खोलने और सहकारी समितियों, ग्राम पंचायतों और आढ़तियों आदि के माध्यम से भी खरीद करने की अनुमति दी है, ताकि किसानों को बेहतर संपर्क के लिए विकल्प उपलब्ध हो सके.

सब से ज्यादा गेहू खरीद वाले राज्य

इस साल के दौरान सब से ज्यादा गेहूं खरीदने वाले राज्यों में पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश सब से आगे हैं.

पंजाब में 89.79 लाख मीट्र‍िक टन, हरियाणा में 54.26 लाख मीट्रिक टन और मध्य प्रदेश में 49.47 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं खरीदा गया है.

इन तीन राज्यों में एमएसपी पर सब से ज्यादा गेहूं की खरीद होती है. इस साल बेमौसम बारिश के कारण भी गेहूं की क्वालिटी में कमी आई थी, जिस के चलते सरकार ने नियमों में छूट दी है. केंद्र सरकार का दावा है कि इस से किसानों को लाभ होगा और उन की कठिनाई कम होगी. साथ ही, किसी भी मजबूरी में बिक्री को नियंत्रित किया जा सकेगा.

बता दें कि केएमएस 2022-23 की रबी फसल के दौरान 106 लाख मीट्रिक टन धा.

प‍िछले साल किया था टारगेट में बदलाव

पिछले साल यह संशोधित किया गया था कि केंद्र सरकार को रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में 444 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया जाएगा. लेकिन, रूसयूक्रेन युद्ध और हीट वैब के कारण ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से अधिक हो गया था, इसलिए अनाज मंडियां सूनी हो गईं.

यही वजह रही कि किसानों ने ज्यादा भाव मिलने के कारण व्यापारियों को गेहूं बेचना शुरू कर दिया था. इस स्थिति में सरकार ने अपना खरीद टारगेट संशोधित कर के 195 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा. लेकिन, संशोधित टारगेट भी पूरा नहीं हुआ. बड़ी मुश्किल से 187.92 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका था यानी पिछले साल के संशोधित खरीद टारगेट जितना गेहूं इस साल 26 दिन में ही खरीद लिया गया है.

 

लांच हुआ नैनो लिक्विड (तरल) डीएपी उर्वरक

देश के गृह मंत्री अमित शाह ने 27 अप्रैल, 2023 को इफको के नैनो लिक्विड डीएपी उर्वरक को कामर्शियल बिक्री के लिए लांच किया. इस की 500 मिलीलिटर की एक बोतल की कीमत तकरीबन 600 रुपए होगी. यह कीमत पारंपरिक डीएपी की मौजूदा कीमत से भी कम है. इस उपलब्धि से भारत की आयात निर्भरता कम होगी.

दाम में कम काम में दम

वर्तमान में पारंपरिक डीएपी का एक 50 किलोग्राम का बैग किसानों को 1,350 रुपए में बेचा जाता है.

दुनिया की पहली नैनो तरल डीएपी की एक बोतल (500 मिलीलिटर) पारंपरिक डीएपी के एक बैग (50 किलोग्राम) के बराबर होगी, जिस की कीमत भी महज 600 रुपए होगी.

भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इफको के नैनो (तरल) डीएपी उर्वरक को कामर्शियल बिक्री के लिए लांच करने से भारत को आत्मनिर्भर बनाने का एक बहुत महत्वपूर्ण कदम है. इस सफलता से सभी राष्ट्रीय सहकारी समितियों को नए क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए प्रेरित किया जा सकता है.

कृषि क्षेत्र में भारत के किसानों को फायदा

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इफको नैनो डीएपी (तरल) प्रोडक्ट का लांच किसानों के उत्पादन और फर्टिलाइजर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम है.

सरकार के इस प्रयास से कृषि क्षेत्र में खास बदलाव लाने के साथसाथ भारत को निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनाने में मदद मिलेगी। इस से किसानों को भी लाभ होगा.

किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा

भारत के कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीक का उपयोग कर के किसानों को बड़ा फायदा मिलेगा, इस बात को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बताया कि नैनो तरल डीएपी के उपयोग से सिर्फ पौधे पर छिड़काव के माध्यम से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाया जा सकता है और भूमि को भी संरक्षित किया जा सकता है. इस से भूमि को पूर्ववत करने में काफी मदद मिलेगी और दानेदार यूरिया के उपयोग से भूमि और फसल दोनों को संरक्षित रखा जा सकता है.

लिक्विड नैनो यूरिया व डीएपी का प्रयोग करें

दानेदार यूरिया व डीएपी की जगह लिक्विड नैनो यूरिया व डीएपी का प्रयोग करें, क्योंकि इस से उन्हें अधिक फायदा होगा. दानेदार यूरिया का उपयोग बहुत सी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, इसलिए लिक्विड नैनो यूरिया का प्रयोग करने से इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

नैनो तरल डीएपी बनाम दानेदार डीएपी

एक बोतल नैनो तरल डीएपी में 500 मिलीलिटर की मात्रा होती है, जो एक बोतल 45 किलोग्राम यूरिया के बराबर फसल पर असर डालती है. नैनो डीएपी से भूमि बहुत कम मात्रा में कैमिकलयुक्त होती है, क्योंकि यह तरल होता है.

किसान तरल डीएपी और तरल यूरिया का उपयोग कर के अपनी भूमि में केंचुओं की तादाद बढ़ा सकते हैं, जो उन के उत्पादन और आय को बढ़ाते हैं बिना फर्टिलाइजर के उपयोग किए, इस से भूमि का संरक्षण भी होता है.

मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत जैसे देशों में जहां कृषि और इस से संबंधित व्यवसायों के साथ आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा जुड़ा हुआ है, ये कदम कृषि को बहुत आगे बढ़ाने में मदद करेगा और भारत को फर्टिलाइजर उत्पादन व कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगा.

सहकारी समितियों का खास योगदान

गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि देश में फर्टिलाइजर 384 लाख मीट्रिक टन बनाया जाता है, जिस में से 132 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन सहकारी समितियों द्वारा होता है. इस में से इफको ने 90 लाख मीट्रिक टन फर्टिलाइजर उत्पादित किया है.

उन्होंने कहा कि इफको, कृभको जैसी सहकारी समितियों का फर्टिलाइजर, दुग्ध उत्पादन और मार्केटिंग के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता में बहुत बड़ा योगदान है.

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बस्तर के डा. राजाराम त्रिपाठी को दिया देश का सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बस्तर, छत्तीसगढ़ के “मां दंतेश्वरी हर्बल समूह” के संस्थापक डा. राजाराम त्रिपाठी को देश के “सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड” से सम्मानित किया.

उल्लेखनीय है कि देश के 5 अलगअलग कृषि मंत्रियों के हाथों 5 बार देश के “सर्वश्रेष्ठ किसान का अवार्ड” प्राप्त करने वाले वे देश के एकलौते किसान हैं.

इस वर्ष का देश का प्रतिष्ठित “सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड-2023” कोंडागांव, छत्तीसगढ़ के जैविक पद्धति से दुर्लभ वनौषधियों की खेती के पुरोधा कहलाने वाले किसान डा. राजाराम त्रिपाठी को 27 अप्रैल, 2023 को आयोजित भव्य समारोह में प्रदान किया. यह अवसर था जैविक खेती के “बायो- एजी इंडिया समिट व अवार्ड समारोह-2023 के शिखर सम्मेलन के समापन समारोह का.

इस शिखर सम्मेलन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की गरिमामय उपस्थिति के साथ ही देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गठित पीएम टास्क फोर्स के अध्यक्ष डा. अशोक दलवई, आईएएस, जीपी उपाध्याय, आईएएस, डा. सावर धनानिया, अध्यक्ष, रबर बोर्ड, रिक रिगनर ग्लोबल वीपी वर्डेसियन (यूएसए), डा. तरुण श्रीधर, पूर्व सचिव, भारत सरकार, डा. एमएच मेहता, अध्यक्ष, जीएलएस, डा. एमजे खान, अध्यक्ष , आईसीएफए और बड़ी तादाद में देशविदेश से पधारी कृषि क्षेत्र की गणमान्य विभूतियां उपस्थित थीं.

डा. राजाराम त्रिपाठी को यह प्रतिष्ठित सम्मान 27 अप्रैल, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में दिया गया. इस अवसर पर देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने डा. राजाराम त्रिपाठी द्वारा बस्तर में जैविक और हर्बल खेती में किए गए कामों की सराहना करते हुए इसे भावी भारत का भविष्य बताया.

इस अवसर पर डा. राजाराम त्रिपाठी ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को अपने हर्बल फार्म पधारने का न्योता भी दिया, जिसे स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि अगली बार वे जब भी छत्तीसगढ़ आएंगे, मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म पर अवश्य आएंगे.

वहीं डा. राजाराम त्रिपाठी ने अपना यह सम्मान छत्तीसगढ़, बस्तर को समर्पित करते हुए कहा कि जैविक खेती की बातें तो बहुत होती हैं, लेकिन जब बजट आवंटन का अवसर आता है तो सारा पैसा और अनुदान रासायनिक खेती को दे दिया जाता है और जैविक खेती को केवल झुनझुना थमा दिया जाता है. कृषि क्षेत्र और किसानों की स्थिति अत्यंत सोचनीय है और इस के लिए अभी बहुतकुछ किया जाना शेष है.

डा. राजाराम त्रिपाठी को देश का यह सब से ज्यादा प्रतिष्ठित सम्मान उन के द्वारा जैविक खेती के क्षेत्र में किए गए दीर्घकालीन विशिष्ट योगदान, विशेष रूप से काली मिर्च की नई प्रजाति (एमडीबीपी-16) के विकास एवं बहुचर्चित एटी-बीपी मौडल अर्थात आस्ट्रेलियन-टीक (AT) के पेड़ों पर काली मिर्च की लताएं चढ़ा कर एक एकड़ जमीन से 50 एकड़ तक का उत्पादन लेने के सफल प्रयोग के लिए दिया गया है.

पिछले कई वर्षों से डा. राजाराम त्रिपाठी अपने इस प्रयोग को अन्य किसानों के साथ भी खुले दिल से साझा कर रहे हैं और अन्य किसानों की मदद भी कर रहे हैं. आस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च की खेती करने वाले देशभर के प्रगतिशील किसान प्रतिदिन उन के फार्म पर इसे देखने, समझने, सीखने और अपने खेत पर भी इस खेती को करने के लिए आते हैं.

क्या है आस्ट्रेलियन टीक?

उल्लेखनीय है कि इन की संस्था द्वारा मूलतः बबूल जैसे कठोरतम जलवायु में भी सरवाइव करने वाले मातृ परिवार से विकसित आस्ट्रेलियन- टीक (एटी) की विशेष प्रजाति जो कि देश के लगभग सभी क्षेत्रों में हर तरह की जलवायु में, बिना विशेष सिंचाई अथवा देखभाल के बहुत तेजी से बढ़ता है.

उल्लेखनीय इस के ग्रोथ की गति महोगनी, शीशम, टीक, मिलिया डुबिया यहां तक कि नीलगिरी से भी ज्यादा है. यह पेड़ लगभग 7 से 10 साल में ही काफी ऊंचा और मोटा भी हो जाता है. यह लकड़ी सागौन, महोगनी, शीशम से भी बेहतरीन मजबूत, हलकी, खूबसूरत बहुमूल्य इमारती लकड़ी देता है. इतना ही नहीं, यह पेड़ अन्य इमारती पेड़ों की तुलना में दोगुनी लकड़ी देता है. इस का एक और फायदा यह है कि यह पेड़ वायुमंडल से नाइट्रोजन ले कर फसलों की नाइट्रोजन यानी ‘यूरिया’ की आवश्यकता को जैविक विधि से भलीभांति पूर्ति करता है. यह जल संरक्षण भी करता है. साथ ही, सालभर में प्रति एकड़ 3 से 4 टन बेहतरीन जैविक खाद भी देता है. इन पेड़ों पर चढ़ाई गई काली मिर्च की लताओं से मिलने वाली काली मिर्च के भरपूर उत्पादन से हर साल अतिरिक्त लाभ भी होता है. इसे ही “कोंडागांव का एटी-बीपी मौडल” कहा जाता है.

डा. राजाराम त्रिपाठी का यह सफल मौडल इस समय तकरीबन 25 राज्यों के प्रगतिशील किसानों के द्वारा सफलतापूर्वक अपनाया जा चुका है. बस्तर के कई आदिवासी किसानों के खेतों में भी अब इस नई प्रजाति की काली मिर्च की फसल लहलहाने लगी है.

कैसे काम करता है उन का बहुचर्चित “प्राकृतिक ग्रीनहाउस मौडल”?

दरअसल, इन के द्वारा तैयार आस्ट्रेलियन टीक और काली मिर्च के पौधों का विशेष तकनीक से किया गया प्लांटेशन का यह मौडल एक ‘प्राकृतिक ग्रीनहाउस’ की तरह काम करता है. एक ओर जहां वर्तमान तकनीक के पौलीथिन से कवर्ड और लोहे के फ्रेम वाले पौलीहाउस बनाने में एक एकड़ में तकरीबन 40 लाख रुपए का खर्च आता है, वहीं डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा विकसित इस “प्राकृतिक ग्रीनहाउस” के निर्माण में कुल मिला कर प्रति एकड़ केवल डेढ़ लाख रुपए का खर्च आता है यानी डेढ़ लाख रुपए में पौलीहाउस से हर माने में बेहतर और ज्यादा टिकाऊ ग्रीनहाउस तैयार हो जाता है. सब से बड़ी बात यह है कि इस 40 लाख रुपए प्रति एकड़ लागत से लोहे और प्लास्टिक से बनने वाले पौलीहाउस’ की आयु ज्यादा से ज्यादा 7 से 10 साल की होती है और फिर तो यह कबाड़ के भाव बिकता है, जबकि डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा तैयार नैचुरल ग्रीनहाउस बिना किसी अतिरिक्त लागत के 10 साल में करोड़ों रुपए की बहुमूल्य इमारती लकड़ी देने के लिए तैयार हो जाता है. इस के साथ ही यह 25 वर्षों तक काम करता है, साथ ही प्रति एकड़ 5 से 10 लाख रुपए तक काली मिर्च से सालाना नियमित आमदनी भी मिलने लगती है. कुल मिला कर भारत जैसे देश के लिए यह मौडल गेमचेंजर माना जा रहा है.

भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में क्षेत्रीय प्रतियोगिता (पूर्वी क्षेत्र) का शुभारंभ

बरेली : 24 अप्रैल, 2023 को  भाकृअनुप-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर में क्षेत्रीय खेलकूद प्रतियोगिता (पूर्वी क्षेत्र) – 2023 का शुभारंभ हुआ. इस प्रतियोगिता में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्वी भारत क्षेत्र में स्थित राज्यों जैसे – अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के कृषि, पशु एवं मत्स्यपालन संस्थानों के तकरीबन 450 पुरुष एवं महिला खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं. 24 अप्रैल से 27 अप्रैल के दौरान इस खेल प्रतियोगिता में एथलेटिक्स के 12 और अन्य 10 सहित 23 खेलों का प्रदर्शन हुआ. इस वर्ष से क्रिकेट को भी इस प्रतियोगिता में शामिल किया गया.

इस खेल प्रतियोगिता का आगाज करते हुए डा. शिव प्रसाद किमोथी, पशु विज्ञान एवं मत्स्यपालन विज्ञान (सदस्य), कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली ने सभी खिलाड़ियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि कोविड काल में सभी देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई, लेकिन कृषि ने भारत की अर्थव्यवस्था को संभाल लिया.

उन्होंने कहा कि भारत के कृषि क्षेत्र में हरित, श्वेत, नीली इत्यादि अनेक क्रांतियां हुईं, जिस के चलते यहां की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव हुआ.

खुशी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस खेल प्रतियोगिता का आयोजन आजादी के अमृत काल में किया जा रहा है. देश के पूर्वी क्षेत्र के भाकृअनुप संस्थानों में किसानों की आय दोगुनी करने की क्षमता है.

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस खेल समागम में विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक तकनीकी एवं अन्य कर्मचारी आपस में विचारों के आदानप्रदान से एक नए विचारों से अवगत होंगे.

उन्होंने विभिन्न महापुरुषों और पूर्व वैज्ञानिक एवं राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम को उद्धृत करते हुए कहा कि खेलों में हारना ही जीत की शुरुआत होती है, इस से तन और मन दोनों स्वस्थ होते हैं.

इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के निदेशक एवं कुलपति, डा. त्रिवेणी दत्त ने इस खेल प्रतियोगिता को आयोजित करने की जिम्मेदारी देने के लिए भाकृअनुप के महानिदेशक के प्रति आभार व्यक्त किया और खुशी जाहिर की कि इस प्रतियोगिता में पुरुष खिलाड़ियों के साथसाथ 44 महिला खिलाड़ी भी प्रतिभागिता कर रही हैं.

इस से पूर्व इस खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन सचिव एवं प्रधान वैज्ञानिक डा. एकेएस तोमर ने अपने स्वागत संबोधन में अतिथियों एवं खिलाड़ियों के प्रति आभार व्यक्त किया और समस्त प्रतियोगिताओं की रूपरेखा प्रस्तुत की.

इस अवसर पर संयुक्त निदेशक – शैक्षणिक, डा. एसके मेंदीरत्ता, संयुक्त निदेशक – शोध, डा. एसके सिंह और संयुक्त निदेशक – प्रसार शिक्षा, डा. रूपसी तिवारी सहित काफी संख्या में स्टाफ, भूतपूर्व वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे.

समारोह का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डा. संजीव मेहरोत्रा और डा. अंजू काला ने किया. डा. एके पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया.

पांच गुना पौधरोपण, किसानों को फायदा

बिलासपुर : पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना के जरीए छत्तीसगढ़ के कोनेकोने में हरियाली बिछाने की योजना राज्य शासन ने बनाई है. इस योजना का खास मकसद पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त करना व युवाओं को रुझान भी पौधरोपण की तरफ हो.

अगर किसानों को खेत में खड़े पेड़ को काटना है, तो प्रशासन उस पेड़ को काटने की अनुमति तो देगा, लेकिन एक पेड़ के बदले उसे पांच पेड़ लगाने होंगे. यह अनुमति राज्य सरकार किसानों को देगी.

पेड़ लगाने के बाद उस की देखरेख की जिम्मेदारी किसान की होगी. पौध रोपने का काम वन विभाग करेगा मतलब किसान को आगे चल कर भी उस पेड़ पर फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं होगा. उस पेड़ की कटाई वन विभाग ही करेगा. उस पेड़ की खरीद भी विभाग ही करेगा. हां, लेकिन 95 फीसदी रकम किसान के बैंक खाते में जमा करा दी जाएगी, बाकी बची 5 फीसदी राशि से वन विभाग पेड़ कटाई के बाद खाली जगह पर पौधरोपण करेगा.

देखा जाए तो ये किसानों के लिए हितकारी योजना है. जैसे, अगर किसान अपनी जमीन से किसी पेड़ को काटना चाहता है, तो उसे काटने की अनुमति तो मिल जाएगी, लेकिन उसे एक पेड़ काटने के बदले पांच पेड़ लगाने होंगे यानी उसे पांच गुना पेड़ लगाने का काम सरकारी महकमा ही करेगा. फिर पेड़ बड़ा होने पर काटा जाएगा तो उसका 95 फीसदी रकम का हिस्सा किसान को मिलेगा. किसान को बस उस पेड़ की देखरेख ही तो करनी है.

खेत पर मेंड़ या फिर खाली जगह में पेड़ लगाने पर मिलेगी सब्सिडी

इस योजना को आकर्षक बनाने के लिए इसे किसानों से जोड़ कर यह कदम उठाया गया है. वैसे भी कई किसान अपने खेत की मेंड़ पर पेड़ लगाते भी हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए अगर किसान अपने खेत की मेंड़ या फिर खाली जगह में पेड़ लगाना चाहते हैं, तो उन को सुविधा के साथ ही राशि भी देने की योजना सरकार ने बनाई है.

इस योजना के तहत पौधरोपण करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 10,000 रुपए अनुदान देने की घोषणा भी राज्य सरकार ने की है.

पौधरोपण के लिए किसानों को उन की पसंद के मुताबिक, पौधे वन विभाग द्वारा ही दिए जाएंगे.

खेत की मेंड़ पर पेड़ लगाने से किसानों को भी फायदा है. ये खेत की मिट्टी के कटाव को भी बचाते हैं. अगर तकनीक से काम किया जाए, तो कुछ हद तक खेत में पानी व मिट्टी का सरंक्षण भी किया जा सकता है.

इस तरह की योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को अपने नजदीक के बागबानी विभाग से मदद ले कर मनपसंद पेड़ का चुनाव कर सकते हैं.

मोबाइल एप पर खादबीज की जानकारी

अमेठी : जिले के किसानों को अब जल्द ही मोबाइल एप पर खेती से संबंधित जानकारी आसानी से मिलने लगेगी.

प्रधानमंत्री के नेशनल मास्टर प्लान के तहत किसानों को डिजिटल एग्रीकल्चर को ले कर प्रोत्साहित किया जाएगा. रिमोर्ट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर की मदद से कृषि निवेश केंद्रों, प्रयोगशाला, कृषि प्रक्षेत्र, फार्म मशीनरी बैंक, कस्टम हायरिंग सेंटर की जियो टैगिंग कर अपलोड किया जाएगा.

यह सब काम समय से पूरा हो और उस का लाभ किसानों को मिल सके, इस के लिए अधिकारियों को नामित किया गया है. इस काम के लिए सभी कृषि सामग्री विक्रेताओं को अपनेअपने ब्लौक में संचालित बीज व उर्वरक दुकान का विवरण, लाइसेंस की कौपी, विक्रेता की फोटो मोबाइल एप पर अपलोड करने का निर्देश दिया गया है, जिस से एप के जरीए जरूरतमंद किसान उस का लाभ ले सके.

अपलोडिंग के दौरान दुकान में मौजूद खेती से संबंधित सभी सामान आदि का ब्योरा देना होगा. इस काम में दुकानदारों को दिक्कत हो, इस के लिए उन की मदद भी की जाएगी.

किसानों को खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी के साथसाथ कब, किस उर्वरक का उपयोग कब करना है, किसकिस रेट पर मिलेगा आदि की जानकारी एक ही प्लेटफार्म पर मिलेगी.

इस समय जिले में एक राजकीय फार्म हाउस, 13 राजकीय कृषि बीज भंडार, 13 कृषि रक्षा इकाई, 510 उर्वरक दुकान, 213 बीज दुकान, 212 कृषि रक्षा रसायन दुकान, 45 कस्टम हायरिंग सेंटर और 18 फार्म मशीनरी बैंक मौजूद हैं, जिन सब का डाटा मोबाइल एप पर अपलोड होगा. किसान उसे आसानी से अपने मोबाइल फोन पर घर बैठे देख सकेंगे. साथ ही, इस मोबाइल एप के जरीए घर बैठे जानकारी मिलेगी ही.

मुजफ्फरनगर में पशु प्रदर्शनी एवं कृषि मेला का आयोजन

6-7 अप्रैल 2023,

मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा भाकृअनुप-केन्द्रीय मवेशी अनुसंधान संस्थान, मेरठ के सहयोग से मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश में को दो दिवसीय (6-7 अप्रैल) पशु प्रदर्शनी तथा कृषि मेला का आयोजन किया गया। मेले का उद्घाटन नितिन गडकरी, केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, भारत सरकार के द्वारा किया गया .

इस अवसर पर, श्री परशोत्तम रुपाला, केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, भारत सरकार, श्री धर्मपाल सिंह, पशुपालन मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार तथा डॉ. संजीव कुमार बालियान, मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री, भारत सरकार भी उपस्थिति रहे।

विशिष्ट अतिथि श्री गिरिराज सिंह, माननीय केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, भारत सरकार थे। अपने संबोधन के दौरान श्री गिरिराज सिंह ने देश के ग्रामीण पशुपालकों की आजीविका में सुधार के लिए देशी पशुओं की भूमिका पर बल दिए। उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पशुपालक को उन्नत तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया।

डॉ. संजीव कुमार बालियान, केन्द्रीय राज्य मंत्री ने अपने संबोधन के दौरान मेले को भव्य रूप से सफल बनाने में क्षेत्र के कृषक समुदाय द्वारा दिखाई गई रुचि की सराहना की।

मेले में 180 प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए जिसमें से 28 मशीनरी और उपकरणों से, 35 कृषि स्टार्टअप से, 17 कृषि मंत्रालय से, 40 पशुपालन और डेयरी विभाग से, 15 मत्स्य पालन क्षेत्र से और 45 भाकृअनुप, एसएयू, कॉमन सर्विस सेंटर और पशु चिकित्सा से था। इन एजेंसियों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों को प्रदर्शित करने की व्यवस्था की गई थी।

मेले के दूसरे दिन, विभिन्न श्रेणियों में, जिनमे गौ वंश की स्वदेशी तथा संकर नस्लें, भैंसे, भेड़, बकरी, अश्व की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। निर्णायक समिति में भाकृअनुप, राज्य पशुपालन विभाग, राज्य कृषि/ पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों जैसे विभिन्न संस्थानों के पशु विज्ञान/ पशु चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल थे। मेले के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर भैंस, भेड़, बकरी और घोड़ों की विभिन्न श्रेणियों का शो और जजिंग का आयोजन भी किया गया। पशु शो की विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को नकद पुरस्कार के साथ प्रमाण पत्र, पदक वितरित किए गए। हरियाणा, सोनारिया से श्री अर्जुन सिंह के मुर्रा नर को मेले का चैंपियन पशु घोषित किया गया।

समापन समोराह में श्री विजयपाल सिंह तोमर, सांसद, राज्य सभा, श्री पंकज सिंह, विधानसभा सदस्य तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की।

इस मेल में स्कूल और कॉलेज के छात्रों सहित लगभग 20000 प्रतिभागियों ने हिस्सेदारी की। पशु प्रदर्शनी और कृषि मेला का समापन 7 अप्रैल की शाम को हो गया।

(स्रोतः भाकृअनुप-केन्द्रीय मवेशी अनुसंधान संस्थान, मेरठ)

मोटे अनाज और जैविक खेती अपनाएं किसान- साभा कुंवर कुशवाहा

कृषि एवं ग्रामीण विकास ट्रस्ट, मल्हनी, भाटपार रानी के तत्त्वावधान में 10 मार्च, 2023 को कृषि एवं ग्रामीण विकास पर एक गोष्ठी का आयोजन ट्रस्ट प्रक्षेत्र कार्यालय, लक्षमणपुर रोड, महुआवारी मेला (मल्हना) में किया गया.

इस गोष्ठी का उद्घाटन भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र के विधायक साभा कुंवर कुशवाहा द्वारा किया गया. अपने उद्धघाटन भाषण में उन्होंने मोटे अनाजों की खेती पर अपना अनुभव साझा किया और बताया कि ‘श्रीअन्न योजना’ सरकार द्वारा लागू की गई है, जिस में मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मड़ुवा, सावा, टागुन और चीना की खेती किसान करें, क्योंकि ये सभी अनाज सेहत के लिए फायदेमंद हैं.

इस मौके पर मुख्य अतिथि ने ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित वित्तीय कलैंडर 2023-24 और राइटिंग पैड का विमोचन भी किया.

इस ट्रस्ट के निदेशक प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि ट्रस्ट के एक साल पूरा होने के मौके पर पहली वर्षगांठ मनाई जा रही है. यह ट्रस्ट फरवरी, 2022 में बनी थी, जिस का मुख्य उद्देश्य कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए सकारात्मक पहल करना, शिक्षा, कृषि शिक्षा, शोध, प्रसार एवं सामुदायिक विकास के उत्थान के लिए कार्य करना, प्राकृतिक, जैविक एवं टिकाऊ खेती को बढ़ावा देना, कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में विशेष परामर्श सेवा प्रदान करना, आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण, कार्यशाला, संगोष्ठी, प्रक्षेत्र दिवस, किसान मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन करना तथा कृषक उत्पादक संगठन को बढावा देना है.

इस ट्रस्ट में अपने उद्देश्यों को ध्यान में रख कर कृषि एवं ग्रामीण विकास गोष्ठी का आयोजन किया गया है.

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या की अधिष्ठाता परास्नातक अध्ययन प्रोफैसर सुमन प्रसाद मौर्य ने महिलाओं के सशक्तीकरण पर प्रकाश डाला और बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि सयुंक्त प्रवेश परीक्षा, का फार्म निकला है. उसे www.nduat.org या https://upcatetexam.net पर देखा जा सकता है. आवेदन करने की अंतिम तिथि 20 अप्रैल, 2023 है. इस की प्रवेश परीक्षा 30-31मई, 2023 को होगी. जो छात्र/छात्राएं कृषि, विज्ञान से इंटर की परीक्षा दे चुके हैं या इंटर पास हैं, वे कृषि, उद्यान, कृषि अभियंत्रण, पशुचिकित्सा, मत्स्यपालन आदि में प्रवेश हेतु आवेदन कर सकते हैं. साथ ही सामुदायिक विज्ञान में किसान अपनी बच्चियों को पठनपाठन हेतु प्रेरित करें.

फार्मर्स फेस के प्रबंध निदेशक मोहन मुरारी सिंह ने जैविक, प्राकृतिक एवं टिकाऊ खेती पर प्रकाश डाला. कृषि विज्ञान केंद्र, मल्हना के प्रभारी अधिकारी डा. रजनीश श्रीवास्तव ने कृषक उत्पादक संगठन के गठन से लाभ की जानकारी दी. डा. विकास मौर्य ने फिजियोथैरेपी की जानकारी दी.

नूतन बीज भंडार, तरकुलहा के प्रबंधक राजबल्लभ कुशवाहा ने बीज उत्पादन पर जानकारी दी. इस कार्यक्रम में देवरिया जनपद के साथसाथ सीवान, गोपालगंज (बिहार) के 250 से अधिक किसानों, प्रसार कार्यकर्ताओं, अधिकारियों ने भाग लिया.

वरिष्ठ समाज सेवी, अध्यापक कृषकों को माला पहना कर और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया. सभी आए कृषकों, अधिकारियों को वर्ष 2023-24 कलैंडर बांटे गए. सभी ने फलफूल, सब्जियों की खेती और मशरूम उत्पादन प्रक्षेत्र का अवलोकन किया.