सेना अपने राशन में मोटा अनाज शामिल करेगी

नई दिल्ली : भारतीय सेना ने 5 दशक बाद अपने राशन में एक बार फिर मिलेट्स यानी मोटे अनाज को शामिल किया है. अब जवानों को मोटे अनाज से बने भोजन और नाश्ते परोसे जाएंगे.

सेना ने जारी अपने बयान में कहा कि यह फैसला सैनिकों को स्थानीय और पारंपरिक अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए किया गया है. सेना ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 के आलोक में श्री अन्न के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सेना ने मोटे अनाज के आटे की शुरुआत सैनिकों के लिए की है.

बयान के मुताबिक, पारंपरिक रूप से श्री अन्न से बने व्यंजन सेहत के लिए लाभदायक साबित हुए हैं. यह हमारी भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल है. इस से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के असर को कम करने और सैनिकों में संतुष्टि भाव लाने में मदद मिलेगी. अब से सभी पदों पर आसीन सेना के जवानों के दैनिक भोजन में श्री अन्न अभिन्न अंग होगा.

मालूम हो कि सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सेना को कुल राशन में से 25 फीसदी तक श्री अन्न खरीदने के लिए अधिकृत किया है. यह खरीद विकल्प और मांग पर आधारित होगी और इस के तहत बाजरा, ज्वार और रागी के आटे का विकल्प होगा.

ये हैं मोटे अनाज : मोटे अनाज यानी मिलेट्स में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कंगनी, चीना, कोदो, कुटकी और कुट्टू आदि फसलें शामिल हैं. इन में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में पोषक तत्त्व होने की वजह से इन्हें सुपर फूड भी कहा जाता है. भारतीय मिलेट्स अनुसंधान संस्थान के अनुसार, रागी में कैल्शियम की मात्रा अच्छी होती है.

पीएम फसल बीमा योजना में भुगतान किए 1,260 करोड़ रुपए

नई दिल्ली : 23 मार्च, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल के डिजिटाइज्ड क्लेम सैटलमैंट मौड्यूल डिजीक्लेम का शुभारंभ किया.

इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलैक्ट्रौनिक रूप से किया जाएगा, जिस का सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा. दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी, क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डाटा जारी किया जाता है. नरेंद्र सिंह तोमर ने बटन दबा कर इन 6 राज्यों के बीमित किसानों को 1260.35 करोड़ रुपए के बीमा दावों का भुगतान किया.

अभी तक सामान्यतौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वही बीमित होता है, लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैरऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही हैं, लेकिन इन का समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इस में टैक्नोलौजी विशेष सहायक है.

आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सके, इस के लिए टैक्नोलौजी की मदद से कृषि मंत्रालय द्वारा प्रयास किया गया है. उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सब का समन्वय बढ़ रहा है, जिस के परिणामस्वरूप अब अनेक राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए निरंतर अग्रसर हो रहे हैं.

राज्य स्तरीय कृषि विज्ञान मेले का आयोजन

 उदयपुर :  मार्च, 2023. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर एवं कृषि विभाग व कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन अभिकरण (आत्मा) उदयपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में राज्य स्तरीय भव्य कृषि विज्ञान मेला-2023 का आयोजन किया गया. इस मेले में आईसीएआर के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा. आरसी अग्रवाल मुख्य अतिथि थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, एमपीयूएटी ने की. कार्यक्रम में कृषि एवं उद्यानिकी (फसल, फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद) प्रदर्शनी प्रतियोगिता एवं वैज्ञानिकों द्वारा कृषि की नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी गई.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईसीएआर के उपमहानिदेशक डा. आरसी अग्रवाल ने अपने अभिभाषण में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि देश का विकास किसानों एवं खेती की उन्नति से ही संभव है. उन्होंने देश की कृषि को आकर्षक बनाने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किए जा रहे नवाचारों का जिक्र करते हुए कहा कि आईसीएआर द्वारा कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन, आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस, रोबोटिक्स, ब्लौकचेन, मार्केटिंग, कृषि में ड्रोन के उपयोग इत्यादि को बढ़ावा दिया जा रहा है.

कुलपति डा. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि वर्ष 2023 को भारत के प्रस्ताव पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है और देश ही नहीं, बल्कि विश्वभर में पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कार्यक्रम एवं परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

इस संबंध में एमपीयूएटी को कृषि विश्वविद्यालय संगठन की ओर से कार्ययोजना तैयार करने का विशेष कार्यभार दिया गया है. भारत में विभिन्न प्रकार के पोषक अनाज उत्पादित होते हैं, परंतु विशेषकर राजस्थान में सदियों से पोषक अनाज, जिस में ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा, कांगनी, मड़वा इत्यादि उगाए एवं खाए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में इन से इन सभी फसलों के विशिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं.

उन्होंने बताया कि पोषक अनाज को प्राकृतिक खेती से जोड़ कर जैविक उत्पाद प्राप्त किए जाएं तो लघु एवं सीमांत जोत वाले किसानों को आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है.

कार्यक्रम के विशेष अतिथि निदेशक आत्मा, जयपुर डाक्टर सुवालाल जाट ने आत्मा परियोजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा पोषक अनाज को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों पर प्रकाश डाला. किसान मेले के कार्यक्रम में 10 प्रगतिशील किसानों को चैक द्वारा प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई.

इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में एडीएम सिटी ओपी बुनकर, भूरालाल पाटीदार, अतिरिक्त निदेशक कृषि प्रसार, माधो सिंह चंपावत, संयुक्त निदेशक कृषि प्रसार, सुधीर वर्मा, परियोजना निदेशक आत्मा एवं कृषि विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, एमपीयूएटी के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक उपस्थित थे.

इस कार्यक्रम में विवेक कटारा, जिला परिषद सीईओ मनीष मयंक, प्रबंध मंडल के सदस्य डा. एसआर मालू, डा. आरसी तिवारी एवं राज्य सरकार के कृषि पुरस्कार से सम्मानित विष्णु पारीक भी उपस्थित थे. किसान मेले एवं संगोष्ठी में एमपीयूएटी के सेवा क्षेत्र के सभी जिलों में स्थित केवीके से जुड़े एवं उदयपुर संभाग के 2,000 से अधिक किसानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की.

मेले के प्रमुख आकर्षण : मेले में किसानवैज्ञानिक संवाद, प्रश्नोत्तरी (वैज्ञानिकों अधिकारियों द्वारा प्रत्युत्तर), विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियां, विश्वविद्यालय की विभिन्न इकाइयों की तकनीकियों एवं कृषि यंत्रों का प्रदर्शन, उन्नत सिंचाई एवं जल प्रबंधन तकनीकों का प्रदर्शन, प्राकृतिक खेती की प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण रहे.

प्रतियोगिता का आयोजन : कृषि मेला प्रांगण में 19 मार्च, 2023 को फसल फल, पुष्प, सब्जी एवं संरक्षित उत्पाद प्रदर्शनी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ और प्रथम एवं द्वितीय प्रविष्टियों को पुरस्कृत किया गया. गेहूं, जौ, सरसों एवं चना, अरंडी (जड़सहित पौधे, 3 गुच्छे) और गन्ना, मक्का, फलों में पपीता, अमरूद, संतरा, चीकू इत्यादि, गेंदा, हजारा, गुलाब इत्यादि, पुष्प और सब्जियों में टमाटर, बैगन, मिर्च, पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली, गाजर, मूली, खीरा, शिमला मिर्च, गांठगोभी, लौकी, पालक, धनिया और हलदी, अदरक, रतालू, अरबी, चुकंदर, सूरन, शकरकंद, शलजम, सेम फली, भिंडी की प्रविष्टियां आईं. पोषक अनाज में बाजरा, ज्वार, बटी, हामली, सांवा, कुरी, कांगणी, कोदो (कोदरा) इत्यादि अनाजों की प्रविष्टियां प्रदर्शित की गईं.

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के साथ एमओयू

नई दिल्ली : 19 मार्च, 2023, ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन में शामिल विभिन्न देशों के कृषि मंत्रियों के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की द्विपक्षीय बैठकें हुईं. साथ ही, संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

इस दौरान नरेंद्र सिंह तोमर ने भारत द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष (आईवाईएम) के अंतर्गत, श्री अन्न को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित वैश्विक सम्मेलन का हिस्सा बनने के लिए इन मंत्रियों को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष इसलिए मनाया जा रहा है, ताकि भारतीय श्री अन्न, उन के व्यंजनों व मूल्यवर्धित उत्पादों को एक जनांदोलन के रूप में वैश्विक स्तर पर स्वीकारा जा सके.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गयाना के कृषि मंत्री जुल्फिकार मुस्तफा के साथ बैठक में वहां के राष्ट्रपति डा. मोहम्मद इरफान अली व उपराष्ट्रपति भरत जगदेव की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि कृषि दोनों देशों के बीच सहयोग का एक बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है.

उन्होंने भारतगयाना के संबंधों में सतत प्रगति पर खुशी व्यक्त करते हुए कृषि व संबद्ध क्षेत्रों में ठोस सहयोग की आशा प्रकट की. उन्होंने गुयाना को कच्चे तेल की विशाल खोज के लिए बधाई देते हुए कहा कि इस से गुयाना एक प्रमुख ऊर्जा निर्यातक के रूप में स्थापित हो सकेगा, जिस में वहां के लोगों के जीवन को बदलने की क्षमता है.

उन्होंने भारत व गुयाना के बीच कृषि और कृषि प्रसंस्करण उद्योग में सहयोग की अपार संभावनाएं भी जताते हुए कहा कि दोनों देश एकदूसरे के पूरक हैं, क्योंकि गुयाना में व्यापक कृषि योग्य भूमि व पानी की उपलब्धता है और भारत के पास प्रौद्योगिकी, विशेषज्ञता एवं कुशल जनशक्ति है, जिस से दोनों देश लाभान्वित हो सकते हैं.

कृषि पर संयुक्त कार्य समूह की दूसरी बैठक के दौरान हुई चर्चा अनुसार 5 वर्षों (2023-27) के लिए संयुक्त कार्ययोजना का मसौदा जल्द तैयार होने की नरेंद्र सिंह तोमर ने आशा जताई व कहा कि हम सूरीनाम से भारत को लकड़ी निर्यात सुविधा प्रदान करेंगे.

2021-22 में भारत से सूरीनाम को 4.34 मिलियन अमेरिकी डौलर का कृषिसंबद्ध वस्तुओं का निर्यात हुआ.

जांबिया के कृषि मंत्री रूबेन फिरी मटोलो के साथ बैठक में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत व जांबिया के बीच लंबे समय से मधुर संबंध हैं. जांबिया समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निवेश के लिए महत्त्वपूर्ण गंतव्य बना है.

मौरीशस के कृषि उद्योग और खाद्य सुरक्षा मंत्री मनीष गोबिन के साथ बैठक में नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत के ऐतिहासिक, जनसांख्यिकीय व सांस्कृतिक कारणों से मौरीशस के साथ घनिष्ठ, दीर्घकालिक संबंध हैं. भारतीय मूल के लोग द्वीप की 1.2 मिलियन की आबादी का तकरीबन 70 फीसदी शामिल हैं.

मौरीशस उन कुछ महत्त्वपूर्ण देशों में से एक है, जिस के साथ स्वतंत्र भारत ने 1948 में मौरीशस की स्वतंत्रता से भी पहले राजनयिक संबंध स्थापित किए.

नरेंद्र सिंह तोमर व श्रीलंका के कृषि मंत्री महिंदा अमरवीरा के बीच बैठक में कृषि के विषयों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि भारत व श्रीलंका में आबादी का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा कृषि पर निर्भर है और इस क्षेत्र को आगे ले जाने के लिए दोनों पक्षों की प्राथमिकताएं बहुत समान हैं. इस प्रकार, कृषि क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच सहयोग स्वाभाविक हो जाता है. भारत परंपरागत रूप से श्रीलंका के सब से बड़े व्यापार भागीदारों में से एक रहा है और श्रीलंका सार्क में भारत के सब से बड़े व्यापार भागीदारों में से एक है.

वैश्विक सम्मेलन के दौरान डब्ल्यूएफपी व भारत सरकार के बीच 2023-27 में सहयोग के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की उपस्थिति में किए गए. इस दौरान यूएनडब्ल्यूएफपी के उपमुख्य कार्यकारी निदेशक, प्रबंधन व मुख्य वित्तीय अधिकारी मनोज जुनेजा और भारत में डब्ल्यूएफपी प्रतिनिधि और कंट्री डायरैक्टर एलिजाबेथ फौरे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे.

आइसक्रीम और लाइव कुकिंग काउंटर

अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष-2023 के अंतर्गत आयोजित ग्लोबल मिलेट्स (श्री अन्न) सम्मेलन के दौरान लगाई प्रदर्शनी में पहुंचे केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने श्री अन्न से बनें स्वादिष्ठ आइसक्रीम का स्वाद लिया और इस के स्टाल संचालक को इस नवाचार के लिए बधाई व शुभकामनाएं दीं. साथ ही, उन्होंने इंडियन फैडरेशन औफ कलनरी एसोसिएशन के लाइव कुकिंग काउंटर पर भारतीय श्री अन्न के साथ एशियन सलाद बनाया और इसे स्वयं चखने के साथ ही केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी, सचिव मनोज आहूजा, अन्यों को भी खिलाया. उन्होंने अन्य स्टाल का भी दौरा किया. प्रदर्शनी देखने के लिए स्कूलकालेजों के विद्यार्थियों का तांता लगा रहा. 2 दिन में हजारों बच्चे यहां आए.

मैसी फर्ग्यूसन का नया ट्रैक्टर लौंच

कर्नाटक : मैसी फर्ग्यूसन ट्रैक्टरों के निर्माता टैफे ट्रैक्टर्स ऐंड फार्म इक्विपमैंट लिमिटेड ने कर्नाटक के बेलगाम में मैग्नाट्रैक सीरीज लौंच की. 50 एचपी रेंज में नया मैसी फर्ग्यूसन 8055 मैग्नाट्रैक, मैग्नाट्रैक सीरीज का पहला ट्रैक्टर है, जो विश्व स्तर की डिजाइन और स्टाइलिंग, उन्नत तकनीक के साथ और कम परिचालन लागत पर उपयोगिता, आदर्श रूप से भारी ढुलाई संचालन के लिए उपयुक्त है, विशेष रूप से गन्ने की फसल के लिए.

कर्नाटक में मैग्नाट्रैक सीरीज के लौंच पर मल्लिका श्रीनिवासन, सीएमडी टैफे ने कहा, ‘60 से अधिक वर्षों से टैफे और मैसी फर्ग्यूसन ब्रांड ने कर्नाटक के किसानों के साथ एक गहरा और मजबूत बंधन साझा किया है. कर्नाटक प्रगतिशील किसानों का राज्य है, जो उत्पादकता बढ़ाने और अपने कृषि कार्यों से उन्नत मूल्य प्राप्त करने के लिए तेजी से नवीनतम तकनीकों को अपना रहे हैं.

‘शक्ति, शैली, आराम और प्रदर्शन की उन की प्रमुख आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए टैफे ने नई मैग्नाट्रैक शृंखला लौंच की. हम कर्नाटक में प्रीमियम भारी ढुलाई विशेषज्ञ ट्रैक्टर मैग्नाट्रैक को पेश कर के सम्मानित महसूस कर रहे हैं.’

200 एनएम के वर्ग उच्चतम टौर्क के साथ, ट्रैक्टर औफ रोड और औन रोड दोनों तरह की भारी ट्रौली को आसानी से खींच सकता है.

इस में वन टच फ्रंट बोनट ओपनिंग सिस्टम के साथ वायुगतिकीय सिंगल पीस बोनट शामिल है. विशाल प्लेटफार्म, स्टाइलिश लुक, आधुनिक स्टीयरिंग ह्वील और एक समायोज्य सीट औपरेटिंग आराम के स्वर्ण मानक को चिह्नित करते हैं. एमएफ 8055 रात में बेहतर दृश्यता और अधिक चमक के लिए ट्राई एलईडी के साथ शक्तिशाली प्रोजैक्टर हैडलैंप के साथ आता है.

इस ट्रैक्टर का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्रों जैसे रिवर्सिबल मोल्डबोर्ड हल, रोटावेटर पोस्ट होल डिगर थ्रेशर और बेलर के इस्तेमाल के लिए किया सकता है.

कृषि व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता

नई दिल्ली : केंद्र सरकार किसानों की आय को दोगुना करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है. किसानों की आय को बढ़ाने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है, जिस में एक योजना है ‘पीएम किसान एफपीओ योजना’. इस योजना के तहत सरकार देशभर के किसानों को नए कृषि व्यवसाय शुरू करने के लिए 15 लाख रुपए की वित्तीय सहायता देती है. पीएम किसान एफपीओ स्कीम का मकसद किसानों को आत्मनिर्भर बना कर उन्हें आर्थिक संकट से राहत दिलाना है.

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को मिल कर एक संगठन या कंपनी गठित (FPO) करनी होगी, जिस में कम से कम 11 किसान होने चाहिए. योजना का लाभ पीएम किसान के लाभार्थियों को ही मिलेगा. इस के जरीए किसानों को खेती से जुड़े उपकरणों या फर्टिलाइजर्स, दवाओं और बीज जैसी चीजें खरीदने में सहूलियत मिलेगी. चलिए जानते हैं सरकार की इस स्कीम का किसान कैसे ले सकते हैं लाभ :

ऐसे करें अप्लाई

* पीएम किसान एफपीओ योजना का फायदा लेने के लिए किसानों को फार्मर्स प्रोड्यूसर और्गेनाइजेशन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा.

* इस के लिए उन्हें ई-नाम पोर्टल (e-NAM Portal) www.enam.gov.in पर जा कर पंजीकरण कराना होगा.

* इस के अलावा किसान ई-नाम मोबाइल एप के जरीए भी एफपीओ का रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

* वहीं, अगर आप चाहें तो नजदीकी ई-नाम मंडी जा कर भी रिजस्ट्रेशन करा सकते हैं.

जरूरी कागजात : रजिस्ट्रेशन के लिए एफपीओ के प्रबंध निदेशक (NM) या मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) या प्रबंधक (Manager) का नाम, पता, ई-मेल आईडी और कौंटैक्ट नंबर उपलब्ध कराना होगा. साथ ही, इन से संबंधित दस्तावेज देने होंगे. इस के अलावा एफपीओ के शीर्ष अधिकारी की बैंक डिटेल्स भी उपलब्ध करानी होगी. इन में बैंक खाते की जानकारी देनी होगी.

बीजीय मसालों की खेती से लें अधिक आय

डूंगरपुर : कृषि विज्ञान केंद्र, डूंगरपुर एवं सुपारी व मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, केरल द्वारा संयुक्त रूप से ‘बीजीय मसाला फसलों की उन्नत उत्पादन तकनीक’ पर एकदिवसीय कृषक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र, फलोज, डूंगरपुर में आयोजित किया गया.

इस प्रशिक्षण में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं आचार्य डा. सीएम बलाई ने किसानों को बीजीय मसालों की खेती कर के अधिक आर्थिक लाभ कमाने के लिए प्रेरित किया. डा. सीएम बलाई ने अपने उद्बोधन में कहा कि बीजीय मसालों के उत्पादन से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं.

सहायक आचार्य एवं परियोजना प्रभारी डा. अभय दशोरा ने परियोजना के उद्देश्य बताते हुए मसाला फसलों की उन्नत किस्मों की जानकारी किसानों को दी. उपनिदेशक परेश कुमार पंड्या, उद्यान विभाग ने किसानों को राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी.

केंद्र के सहआचार्य डा. बीएल रोत ने बीजीय मसाला फसलों में संभावित रोग एवं कीट प्रबंधन पर विस्तृत जानकारी दी.

सहआचार्य डा. दीपक राजपुरोहित, प्रौद्योगिकी एवं अभियांत्रिकी महाविद्यालय, उदयपुर ने बीजीय मसाला फसलों के मूल्य संवर्धन पर जानकारी दी.

उन्होंने मसाला फसलों में प्रयुक्त आधुनिक तकनीकी एवं विभिन्न मशीनों के उपयोग की जानकारी दी.

परियोजना के सहप्रभारी डा. बीजी छीपा ने किसानों को मसालों के विभिन्न उत्पादों में उपयोग एवं औषधीय गुणों की जानकारी दी. इस प्रशिक्षण में कुल 50 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया. किसानों को मसाला फसलों पर प्रकाशित साहित्य एवं प्रशिक्षण किट आदि वितरित किए गए.

नई दिल्ली में आहार प्रदर्शनी आयोजित

नई दिल्ली : मार्च, 2023. भविष्य में खाद्य सुरक्षा के दृष्टिगत विकल्प में पौध आधारित आहार पर विचारविमर्श करने के लिए प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित आहार प्रदर्शनी के दौरान ‘पौध आधारित युग के उषाकाल’ विषय पर सम्मेलन का आयोजन किया गया.

प्लांट बेस्ड फूड्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (पीबीएफआईए) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि पौध आधारित खाद्य वक्त की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही रोजगार के अवसर सृजित करने और कृषि क्षेत्र को भी बल देने वाला है. जो चुनौतियां कृषि के सामने आ रही हैं, उन के मद्देनजर पौध आधारित आहार वैकल्पिक महत्त्वपूर्ण कदम है.

केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि भविष्य में जरूरत पड़ने वाले विकल्पों को अगर हम अभी से तैयार कर लेंगे तो आने वाले समय में संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा. वर्तमान व भविष्य की चुनौतियों से हम अच्छी तरह से अवगत हैं, खाद्य सुरक्षा इन्हीं में से एक है.

वर्ष 2050 तक कितने खाद्यान्न की आवश्यकता हमें रहेगी व दुनिया की अपेक्षा हम से कितनी बढ़ेगी, इस पर अभी से विचार करने की आवश्यकता है. इस दिशा में केंद्र सरकार अपने स्तर पर पूरे प्रयास कर रही है. कृषि में लोगों की रुचि निरंतर बढ़े, यह भी हमारी जिम्मेदारी है. कृषि क्षेत्र में निजी निवेश आए, नई तकनीकें आनी चाहिए, काम सरल होना चाहिए और किसानों को मुनाफा ज्यादा मिलना चाहिए, इस से आने वाली पीढ़ी कृषि की ओर आकर्षित होगी.

किसान खेती का आधार है, यह बात समझनी होगी. किसानों को फायदा व प्रतिष्ठा देना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि वे खेती में रुकें, देश का पेट भर सकें और दुनिया की अपेक्षा को भी पूरा कर सकें. सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाओं द्वारा इस दिशा में सतत प्रयास किए जा रहे हैं.

इस कार्यक्रम में पीबीएफआईए के पदाधिकारी संजय सेठी, एपीडा के सचिव डा. सुंधाशु, आईटीपीओ के रजत अग्रवाल भी मौजूद थे.

रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह

झांसी/नई दिल्ली :  मार्च, 2023. रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी का द्वितीय दीक्षांत समारोह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ. उन्होंने नवनिर्मित महिला व पुरुष छात्रावास, अतिथि गृह और औडिटोरियम का शुभारंभ भी किया.

इस अवसर पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारा देश कृषि प्रधान है. एक समय कहा जाता था कि खेती उसी की है, जिस के पास पानी है, लेकिन बदलते परिवेश में कहावत बदल कर इस तरह हो गई है कि खेती उसी की है, जिस के पास अच्छा ज्ञान है. उन्होंने विद्यार्थी जीवन को सब से सुनहरा काल बताते हुए विश्वास जताया कि कृषि विद्यार्थियों का ज्ञान देश की खेती को और उन्नत एवं विकसित बनाने में योगदान करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि बुंदेलखंड की धरती हमेशा साहस व वीरता के लिए जानी जाती है. रानी लक्ष्मीबाई व महाराजा छत्रसाल की वीरता के चर्चे देशदुनिया में होते हैं. ऐसी धरती पर स्थापित रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय ने अल्प अवधि में ही काफी प्रगति की है.

दलहन, तिलहन, सब्जी, फल, जैविक व प्राकृतिक खेती के साथ बुंदेलखंड सहित समूचा उत्तर प्रदेश कृषि की दृष्टि से प्रगति कर रहा है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों सहित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के क्षेत्रीय संस्थानों ने उत्तर प्रदेश व समीपस्थ मध्य प्रदेश में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के दतिया जिले में पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान एवं मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय स्थापित करने जा रहा है, जिस के लिए भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर है.

जो बुंदेलखंड कभी पलायन के लिए जाना जाता था, वहां आज कृषि का विकास सुखद स्थिति में है. यह क्षेत्र फलसब्जियों व प्राकृतिक खेती के मामले में एक हब बने, इस दिशा में प्रयास तेज गति से होना चाहिए. साथ ही, बुंदेलखंड क्षेत्र में तिलहन की खेती भी बढ़नी चाहिए.

बढ़ती आबादी, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के मद्देनजर वर्ष 2050 तक की जरूरतों के हिसाब से कदम उठाने होंगे. उत्पादन तभी बढ़ेगा, जब अनुसंधान बढ़ेगा. साथ ही, नई पीढ़ी को कृषि की तरफ आकर्षित करने की जरूरत है.

किसानों को सुरक्षा कवच देने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है, जिस के माध्यम से अभी तक 1.30 लाख करोड़ रुपए क्लेम दे कर किसानों के नुकसान की भरपाई करने का भी काम हुआ है.

किसान क्रेडिट कार्डों के जरीए अल्पकालिक ऋण के रूप में कम से कम 20 लाख करोड़ रुपए किसानों को मिलें, प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने का काम भी किया है. छोटे किसानों को संगठित कर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से 6,865 करोड़ रुपए खर्च कर 10,000 कृषक उत्पादक संघ बनाए जा रहे हैं.

यह गाय आधारित खेती है, जिस के लिए सरकार ने मिशन बनाया है. अनेक समाजसेवी भी इस दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि रासायनिक खेती में कमी आए, जिस से हर साल लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए दी जाने वाली सब्सिडी की राशि देश में विकास कार्यों के काम आ सके.

नैनो यूरिया व नैनो डीएपी पर भी काम हुआ है, इस दिशा में किसानों को हम जितना प्रवृत्त करेंगे, उतना स्वच्छ उत्पादन होगा, जिस से स्वस्थ शरीर व स्वस्थ मन होगा और समूचा भारत स्वस्थ बनेगा.

इस समारोह में कुलाधिपति डा. पंजाब सिंह, डेयर के सचिव व आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. अशोक कुमार सिंह, सभी निदेशक व अधिष्ठातागण, शिक्षक एवं वैज्ञानिकगण, विद्यार्थी, किसान और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी उपस्थित थे.

बीज प्रसंस्करण व भंडारण सुविधा

झांसी/ नई दिल्ली : 11 मार्च, 2023. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के भारतीय चारागाह एवं चारागाह अनुसंधान संस्थान, झांसी में बीज प्रसंस्करण व भंडारण सुविधा का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किया. इस मौके पर महिला कृषक सम्मेलन भी हुआ.

महिला कृषक का सम्मेलन में सम्मान : केंद्रों पर संचालित अनुसूचित जाति उपपरियोजना के तहत 50 लाख रुपए की लागत के कृषि उपकरणों का वितरण लाभार्थी महिला कृषकों को किया गया.

नरेंद्र सिंह तोमर ने महिला कृषकों के सशक्तीकरण के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की एवं संस्थान द्वारा विकसित 300 से अधिक चारा फसल किस्मों व विभिन्न तकनीकों के विकास के लिए भी संस्थान के वैज्ञानिकों की प्रशंसा करते हुए उन का उत्साहवर्धन किया.

बीजों के लिए सीड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम

नई दिल्ली : 4 मार्च, 2023. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारे किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार शीघ्र ही सीड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम लौंच करेगी. इस से बीज व्यापार क्षेत्र में गलत काम करने वालों पर अंकुश लगेगा.

उन्होंने आगे कहा कि सीड ट्रेसेबिलिटी सिस्टम पर संबंधित पक्षों के सुझाव लिए गए हैं. इसे लौंच करने से इस का फायदा किसानों के साथ ही बीज क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले सभी लोगों को मिलेगा और बीज का क्षेत्र ठीक प्रकार से सुनिश्चितता से काम करने की ओर अग्रसर होगा.

नरेंद्र सिंह तोमर ने आगे कहा कि हमारा कृषि क्षेत्र समृद्ध है व अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कृषि में भारत अग्रणी स्थिति में है, फिर भी आयात घटाते हुए तिलहन, कपास जैसे जिन कुछ क्षेत्रों में हमें आत्मनिर्भर होना शेष है. उन में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बीज क्षेत्र के हितधारक भी अपना योगदान दें.

उन्होंने आगे कहा कि कृषि क्षेत्र की निरंतर प्रगति में बीज क्षेत्र के योगदान और बीज की गुणवत्ता निश्चित रूप से किसी भी क्षेत्र के लिए अत्यंत महत्त्व रखती है. कृषि क्षेत्र में बीज की गुणवत्ता, उस का विकास, संख्यात्मक रूप से बढ़ना, किसानों द्वारा उपयोग करना और मनुष्यों द्वारा उपभोग करना, यह एक बड़ी यात्रा है. इस यात्रा में जो लोग सहभागी हैं, वे अपना व्यवसाय तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही इस क्षेत्र के प्रति उन की मानवीय जिम्मेदारी भी बहुत महत्त्वपूर्ण है, जिसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए.

नरेंद्र सिंह तोमर ने जलवायु के अनुरूप एवं बायोफोर्टिफाइड किस्मों के साथ ही बीजों की अन्य अच्छी किस्में विकसित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से जुड़े सभी संस्थानों के वैज्ञानिकों के योगदान की भी सराहना की. उन्होंने सीड्स फोर ग्लोबल यूनिटी वाल का अनावरण किया. वहां पदाधिकारी एम. प्रभाकर राव, दिनेश पटेल, वैभव काशीकर, डा. बीबी पटनायक, आरके त्रिवेदी भी मौजूद थे.